25% छात्र कक्षा दो की पुस्तक पढ़ने में असमर्थ, 14-18 आयु वर्ग के 34745 बच्चों पर किया गया सर्वेक्षण

admin
Updated At: 18 Jan 2024 at 01:11 PM
देश के 25 फीसदी 14 से 18 आयु वर्ग के छात्र कक्षा दो की क्षेत्रीय भाषा की पुस्तक पढ़ने में असमर्थ हैं। आधे से अधिक युवा भाग के सामान्य सवाल हल करने में पीछे हैं। यह खुलासा वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (असर ) 2023 में हुआ है। दिल्ली में बुधवार को भारत में सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को दर्शाती असर रिपोर्ट 2023 जारी की गई है। असर रिपोर्ट के लिए 26 राज्यों के 28 जिलों में 14 से 18 आयु वर्ग के 34745 बच्चों पर सर्वेक्षण किया है।
देशभर के प्रत्येक राज्य के एक ग्रामीण जिले को चुना गया है, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के दो-दो ग्रामीण जिलों को सर्वेक्षण के लिए चुना गया था।
असर रिपोर्ट 2023 रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर के 86.8 फीसदी छात्र किसी न किसी शैक्षणिक संस्थान में नामांकित हैं। लेकिन आयु के अनुसार नामांकन में कुछ अंतर है। इसके मुताबिक, 14 वर्ष के 3.9 फीसदी और 18 वर्ष के 32.6 फीसदी युवा कहीं भी पढ़ाई नहीं कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, 14 साल के 96.1 फीसदी छात्रों ने शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश लिया था, लेकिन जब 18 साल के बच्चों की बात आती है तो यह प्रतिशत तेजी से गिरकर 67.4 फीसदी हो गया।
लड़कों की सबसे अधिक साइंस टेक्नोलॉजी, गणित में रुचि
अभी तक इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, साइंस, मैथ्स यानी स्टेम में लड़कियों का दबदबा होता था। रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेम एरिया यानी साइंस, इंजीनियरिंग, टेक्नोलाॅजी व मैथ्स में अब लड़कों का रुझान बढ़ रहा है। देश में 36.3 फीसदी लड़के इन विषयों में पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि लड़कियां का यहां आंकड़ा महज 28.1 फीसदी है। हालांकि, उच्च शिक्षा तक आते -आते बेटियां आगे निकल जाती हैं। वहीं, 14 ो 18 आयु वर्ग में सबसे अधिक छात्र कला या मानविकी स्ट्रीम में पढ़ाई करना पसंद करते हैं। कक्षा 11 व 12 के 54 फीसदी छात्र कला और मानविकी में, 9.3 फीसदी वाणिज्य और 33.7 फीसदी ने विज्ञान में अपना नामांकन कराया है। कक्षा 11 से ऊपर की कक्षाओं में 55.7 फीसदी छात्रों की पहली पसंद कला और मानविकी स्ट्रीम में हैं।
अंग्रेजी और गणित में लड़कियों से बेहतर लड़के
अंग्रेजी और गणित में लड़कियां से बेहतर लड़के होते हैं। यह खुलासा भी असर रिपोर्ट 2023 में हुआ है। इसमें लिखा है कि 70.9 फीसदी लड़के कक्षा दो की पढ़ाई क्षेत्रीय भाषा में कर पाते हैं तो लड़कियों का यह आंकड़ा 76 फीसदी है। हालांकि, लड़के अंग्रेजी और गणित में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। इसके अलावा 57 .3 फीसदी युवा अंग्रेजी के वाक्य पढ़ सकते हैं। वहीं,लगभग तीन-चौथाई यानी 73.5 फीसदी युवा ही उनका अर्थ बता सकते हैं। वहीं, आधे से अधिक युवा भाग (3 अंक से एक अंक) का सवाल नहीं कर पाते हैं। सिर्फ 43.3 फीसदी युवा ही सवाल हल कर पाए। जबकि यह क्षमता कक्षा तीसरी और कक्षा चौथी में अपेक्षित की जाती है। इसका अर्थ है कि सर्वेक्षण में शामिल 51.6 फीसदी बच्चे बेसिक अंकगणितीय हल करने में असमर्थ थे। जबकि 56.7 फीसदी बेसिक भाग-जोड़ व लगभग 34.7 फीसदी बच्चे घटाना-जोड़ के बेसिक सवालों को भी हल नहीं कर सके।
छह महीने के स्किल कोर्स की अधिक मांग
स्कूलों में अभी भी व्यावसायिक कोर्स यानी कौशल विकास आधारित कोर्स बहुत पापुलर नहीं हैं। स्कूलों में सिर्फ 5.6 फीसदी युवा ही व्यावसायिक कोर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि कॉलेजों में यह आंकड़ा 16.2 फीसदी युवा पढ़ाई के साथ रोजगार या व्यवसाय में मदद करने वाले कोर्स की पढ़ाई भी साथ में करते हैं। इसमें भी सबसे अधिक पसंदीदा कोर्स छह महीने वाले स्किल कोर्स ही हैं।
65.1 फीसदी ही ओआरएस घोल के पैकेट के निर्देश पढ़ सके
सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 85 फीसदी किसी वस्तु की लंबाई की सही गणना कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि इसे रूलर पर ''''0'''' निशान पर रखा गया हो। लेकिन जब वस्तु को स्थानांतरित किया गया और रूलर पर कहीं और रखा गया, तो 40 फीसदी से कम लोग उसकी लंबाई की सही गणना कर सके। वहीं, दो-तिहाई युवा (65.1 फीसदी ) ओआरएस घोल के पैकेट पर लिखे निर्देशों को समझ सके।
92% स्मार्टफोन का प्रयोग कर रहे
सर्वेक्षण में शामिल 92 फीसदी से अधिक बच्चे स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं। वहीं, 89 फीसदी ने बताया कि उनके पास घर पर स्मार्टफोन उपलब्ध है।लड़कियों की तुलना में लड़कों के पास अपना स्मार्टफोन है। वहीं, सर्वेक्षण में शामिल केवल 27.6 फीसदी बच्चे ही ऑनलाइन सेवाओं के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करते थे और 37.1 फीसदी बच्चे अपने घरों की दूरी मापने के लिए गूगल मैप का उपयोग कर सकते थे। बेटियों को स्मार्टफोन की सुरक्षा का पता नहीं है।
बेटियों के बजाय बेटे घर में कृषि काम में सहयोग दे रहे
अक्सर कहा जाता है कि बेटियां पढ़ाई के साथ घर का काम अधिक करती हैं। लेकिन इस रिपोर्ट के मुताबिक, 40.3 फीसदी लड़के घर या बाहर का काम पढ़ाई के साथ करते हैं। इसमें कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक काम करते हैं। जबकि 28 फीसदी लड़कियां पढ़ाई के साथ घर का काम करती हैं।
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