होमबड़ी ख़बरेंविडियो
logo


BurningForrest"RBI Permits Minors Above 10 to Operate Savings Accounts"RBI Allows Minors Over 10 to Open Independent Savings AccountsIps Officer transferCop Kills CopBihar

नवरात्र विशेष : ऐतिहासिक रियासतकालीन परंपरा के अनुरूप वृक्षगंगा पक्की डांडी में शस्त्र पूजा के साथ की जाएगी कलश स्थापना, विश्व कल्याण के लिए नौ दिनों का होगा अनुष्ठान

Featured Image

admin

Updated At: 03 Oct 2024 at 03:24 AM

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति : प्राइवेट छात्र भी भरेंगे नियमित जितनी ही फीस, 1600 की जगह अब चुकाएंगे 16 हजार जशपुरनगर प्रतिपदा के साथ शरदीय नवरात्र की शुरूआत हो रही है। शहर में ऐतिहासिक परंपरागत विधि से माता की अराधना की जाएगी। राजपरिवार के सदस्य, आचार्य, पुस्तकाचार्य व पुरोहित गण काली मंदिर व भगवान बालाजी मंदिर में माता की विशेष पूजा शुरू करेंगे। पहले दिन पक्की डांड़ी वृक्षगंगा के पास शस्त्रों की पूजा की जाएगी व यहां से कलश के पात्र में जल लेकर मां काली मंदिर में कलश स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही भव्य व आकर्षक पंडालों में श्री हरि कीर्तन भवन, संगम चौक व महापात्रै कालोनी में कलश स्थापना की जाएगी। नवरात्र के पूरे दिन मां काली मंदिर व भगवान बालाजी मंदिर में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भारी उमड़ेगी। मंदिरों के पट सूर्योदय से पहले ही खोल दिए जाएंगे। पहले दिन शस्त्र पूजा समाप्ति व कलश स्थापना के बाद मंदिर में भक्तों का हुजूम उमड़ेगा। देवी की होने वाली आराधना की परंपरा के अनुसार इस वर्ष भी पहले दिन सुबह तकरीबन 7 बजे राजपरिवार से रणविजय सिंह देव, राज पुरोहित, पुस्तकाचार्य, आचार्य और पुरोहित जुटेंगे। मंदिर में स्थापित अस्त्रों को यहां से निकालकर पक्कीडांड़ी ले जाया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान बजनिया टीम पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाएंगे। ढ़ोल व नगाड़ों की गूंज के बीच पुरोहितगण वैदिक मंत्रोच्चार करेंगे। वृक्षगंगा पक्की डांडी में होगी शस्त्र पूजा वृक्षगंगा कहे जाने वाले पक्कीडांड़ी में पीपल के एक पेड़ की जड़ से पानी का स्त्राव हो रहा है। यहां के पानी को भी गंगाजल के समान मान्यता शहरवासियों ने दे रखी है। शस्त्र पूजा की विधि में यहां अस्त्र शस्त्रों को पक्की डांड़ी के जल में धोकर पवित्र किया गया और उसकी पूजा होती है। इसके साथ ही पवित्र पात्र में पीपल की जड़ से स्त्रावित पानी को भरा गया और कलश स्थापना के लिए उसे मंदिर ले जाया जाएगा। यहां भी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापना के बाद माता काली की विशेष पूजा की जाएगी। इसके साथ ही बाजारडांड़ स्थित श्री हरि कीर्तन भवन में भी माता की स्थापना के लिए कलश स्थापित किया जाएगा। यहां कीर्तन भवन समिति ने माता के मंडप को भव्य रूप से सजाया है। नवरात्र व दशहरा पर्व जशपुर में आज भी रियासतकालीन परंपरा के अनुरूप मन रहा है। वर्तमान में जशपुर राजपरिवार की 27 वीं पीढ़ी द्वारा अनुष्ठान किया जा रहा है। जशपुर में नवरात्र व दशहरा पर्व समाज के सभी वर्ग के लोगों की सहभागिता से मनाने वाला पर्व है। इसमें हर वर्ग के अलग-अलग कार्य बंटे हुए हैं, जिसका निर्वहन आज भी हो रहा है। झारखंड में 5 साल पहले बने वाहनों में लग सकेगा हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट जशपुर दशहरा के ऐतिहासिक महत्व पर गौर करें तो रियासतकाल में जनजातीय समुदाय और तात्कालीन राजाओं का आपसी सामंजस्य इतना मजबूत था कि दस दिनों तक चलने वाले इस महाउत्सव में हर रीति रिवाज में समाज के सभी वर्ग की बराबर की भागीदारी थी। नवरात्र के पहले दिन से लेकर रावण दहन तक के हर अनुष्ठान में समाज के हर वर्ग को जो जिम्मेदारी बांटी गई है। राजपरिवार की 27 वीं पीढ़ी भी वर्तमान में इस रिवाज को बखूबी निभा ही है। जशपुर रियासत के उत्तराधिकारी रणविजय सिंह देव का मानना है कि दशहरा उत्सव जशपुर का महा उत्सव इसलिए भी है क्योंकि इस उत्सव में धर्म, जाति, संप्रदाय के बंधनों के काफी पीछे छोड़ यहां के निवासी एक स्थान पर सद्भावनापूर्वक एकत्रित होकर असत्य पर सत्य की जीत के लिए एक दूसरे क शुभकामनाएं देते हैं। उत्सव में उत्साह सिर्फ रावण वध का नहीं बल्कि आधुनिकता में इस परंपरा क बचाए रखने का भी उतना ही उत्साह यहां के लोगों में होता है। विश्व कल्याण के लिए नौ दिनों का अनुष्ठान से शुरू होगा नवरात्र के पहले दिन से शुरू होने वाले अनुष्ठान का विशेष महत्व है। जशपुर रियासत की सत्ता को संचालित करने वाले देव बालाजी भगवान के मंदिर और काली मंदिर से अस्त्र-शस्त्रों को लाकर यहां पूजा की जाती है। राजपुरोहित पंडित विनोद मिश्रा ने बताया कि यह अनुष्ठान विश्व कल्याण की प्रार्थना के साथ राज परिवार के सदस्यों, आचार्य, बैगाओं और नागरिकों के द्वारा प्रारंभ किया जाता है। झांकी के रूप में पक्की डाड़ी से पवित्र जल गाजे- बाजे के साथ देवी मंदिर में लाया जाता है, जहां कलश स्थापना कर अखंड दीप जलाए जाते हैं। इसी के साथ नियमित रूप से 21 आचार्य के मार्गदर्शन में राज परिवार के सदस्य सहित नगर व गांवों से आए श्रद्वालु मां दुर्गा की उपासना वैदिक, राजसी और तांत्रिक विधि से करते हैं। अनुष्ठान में पूरे नवरात्र तक हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। भारी ठंड पड़ने की भविष्यवाणी, IMD ने दिए संकेत बुरी आत्माओं व 64 योगिनियों को दिया जाता है निमंत्रण नवरात्र के दौरान मां काली व बालाजी मंदिर में नियमित रूप से हवन, पूजन में श्रद्वालुलीन रहते हैं, वहीं षष्ठी के दिन वन दुर्गा को दशहरा पर इस विशेष अनुष्ठान में शामिल करने के लिए आमंत्रण दिया जाता है। आमंत्रण के लिए षष्ठी के दिन शाम में विशेष झांकी निकलती है, जो देवी मंदिर से लगभग दो किलोमीटर पर स्थिति जुरगुम जाती है। वन दुर्गा के साथ मां काली की सेना के रूप में 64 योगिनियों को भी आमंत्रण दिया जाता है। योगिनियों के साथ वे बुरी आत्माएं आमंत्रित होती हैं, जिन्हें सतकर्मांे के लिए मां काली ने अपने नियंत्रण में ले लिया था। मान्यता है कि यहां पर तांत्रिक बेल का पेड़ है, जिसमें आम के पौधे भी उगे हैं। षष्ठी के दिन आमंत्रण देने के बाद वन दुर्गा को सप्तमी के दिन लेने के लिए भी आचार्य झांकी के साथ जाते हैं। यहां से सप्तमी के दिन वन दुर्गा के प्रतीक के रूप में बेल के फल को लाया जाता है और उसे देवी मंदिर में स्थापित कर पूजा की जाती है। इन सभी परंपराओं का निर्वहन इस वर्ष भी किया गया। जानिए कौन हैं मिरधा और क्या है इनकी भूमिका पुस्तकाचार्य पंडित विनोद मिश्रा ने बताया कि अष्टमी और नवमी के संधि समय में मेषभेड़ के बली की परंपरा है। बली मिरधाओं के द्वारा किया जाता है। रियासत के समय से ही यह परंपरा विकसित हुई थी। रियासतकाल से बली चढ़ाने के लिए एक परिवार को नियत किया गया था, जिसे मिरधा कहा जाता है। मिरधा को जमीन सहित अन्य संसाधन उपलब्ध कराए गए थे, जिनका दाायित्व ही बली की परंपरा को बनाए रखना था। दशहरा पर नीलकंठ दर्शन होता है शुभ दशहरा के दिन अपराजिता पूजा के बाद दशहरा के दिन अंतिम कार्यक्रम के रूप में रणजीता मैदान में भगवान के रथ से नीलकंठ पक्षी के उड़ाने की परंपरा है। यह विशेष बैगा के द्वारा यहां के बालाजी मंदिर में लाया जाता है। इस दिन नीलकंठ पक्षी को देखना शुभ माना जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि रावण वध के समय रावण ने हनुमान क उनके वास्तविक रूप में पहचान लिया था और हनुमान ने शिव के नीलकंठ रूप में दर्शन दिए थे। इसके बाद ही रावण को मुक्ति मिली थी। यहां के लोगों की मान्यता है कि यदि नीलकंठ पूर्व और उत्तर की ओर उड़ता है तो पूरे विश्व के लिए यह वर्ष शुभ होता है, वह नीलकंठ यदि अन्य दिशाओं की ओर उड़ता है तो प्राकृतिक आपदाओं सहित अन्य परेशानियों का संकेत होता है। नीलकंठ क राजपरिवार के सदस्यों द्वारा उड़ाया जाता है। ऐतिहासिक काली मंदिर का है अलग महत्व नवरात्र की पूजा यहां के सैकड़ों साल पहले स्थापित काली मंदिर से होती है, जहां 21 आचार्य हर दिन विश्व कल्याण के लिए अनुष्ठान करते हैं। इस मंदिर की स्थापना राज परिवार ने की थी। इसमें मां काली की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा आचार्य खगेश्वर मिश्रा द्वारा की गई थी। यहां हर एक त्योहार में नगरवासियों और जनजातियों में पूजा पद्घति में कुछ विभिन्नताएं हैं, लेकिन दशहरा महोत्सव में बैगा, पुजारी, आचार्य सभी एक परंपरा का निर्वहन करते हैं। sorce dainik bhasker

Follow us on

Advertisement

image

जरूर पढ़ें

Featured Image

JEE Advanced 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू : IIT कानपुर ने शुरू की आवेदन प्रक्रिया, अंतिम तिथि 2 मई

Featured Image

बिना रिस्क कमाएं ज्यादा : पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम से कमाएं हर माह 20 हजार रुपये, बस एक बार निवेश करना होगा निवेश

Featured Image

RBI का बड़ा फैसला : अब 10 साल से ऊपर के नाबालिग खुद खोल सकेंगे बैंक खाता, पहले पैरेंट के साथ खुलता था जॉइंट अकाउंट

Featured Image

फगुआ 2025: : उरांव समुदाय का पवित्र अनुष्ठान, सोनो-रूपो के आतंक से मुक्ति का उत्सव सरहुल और होली से पहले गूंजेगा फगुआ का उल्लास

Featured Image

होली 2025: : खुशियों के रंग और पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प

Featured Image

Join Indian Army through NCC Special Entry! : भारतीय सेना में NCC स्पेशल एंट्री से अधिकारी बनने का सुनहरा मौका,आवेदन प्रक्रिया शुरू

Featured Image

आज से होलाष्टक शुरू: : फाल्गुन मास में इसका विशेष महत्व,होलाष्टक के दौरान क्या करें और क्या न करें?

Featured Image

Airtel का सस्ता धमाका : 199 रुपये वाला प्लान, 28 दिन की वैधता और अनलिमिटेड कॉलिंग के साथ मिलेंगे ये फायदे! जानिए पूरी डिटेल

Featured Image

Jio का नया धमाका : OTT और क्रिकेट प्रेमियों के लिए Jio का खास प्लान, ₹195 में 15GB डेटा और फ्री JioHotstar सब्सक्रिप्शन

Featured Image

"planetary parade. 2025": : आसमान में दिखेगा अद्भुत नज़ारा: सात ग्रह होंगे एक सीध में

Advertisement