होमबड़ी ख़बरेंविडियो
logo


BurningForrest"RBI Permits Minors Above 10 to Operate Savings Accounts"RBI Allows Minors Over 10 to Open Independent Savings AccountsIps Officer transferCop Kills CopBihar

BR Ambedkar Jayanti : बाबासाहेब डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर की महिला सशक्तिकरण की परिकल्पना और समाज को योगदान

Featured Image

admin

Updated At: 14 Apr 2024 at 12:18 PM

गृहमंत्री अमित शाह का छत्तीसगढ़ दौरा आज, खैरागढ़ में करेंगे बीजेपी प्रत्याशी संतोष पांडेय के समर्थन में प्रचार डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर,'बाबासाहेब' के नाम से लोकप्रिय थे। बाबा साहेब की दृष्टि कार्य और प्रवचन एक ऐसे समाज में आवश्यक परिवर्तनों के अनुरूप थे जो सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता से वंचित था। ब्रिटश औपनिवेशिक शासन से संघर्ष कर रहा था। बाबासाहेब अपने समय के लिए ही बने व्यक्ति थे। डॉ. अम्बेडकर सार्वजनिक जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी में दृढ़ विश्वास रखते थे। 1942 में नागपुर में अखिल भारतीय वंचित वर्ग महिला सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि किसी भी समुदाय की प्रगति को, उस समाज की महिलाओं की प्रगति से मापा जा सकता है। बाबासाहेब की लोकप्रियता इतनी थी कि उस सम्मलेन में उन्हें सुनने के लिए इतनी भीड़ उमड़ पड़ी कि उन्हें स्त्री-पुरुष को अलग-अलग संबोधित करना पड़ा। 75,000 से अधिक दर्शकों में पच्चीस प्रतिशत महिलाएं थीं। बाबा साहेब का वैचारिक संसार और जीवन बाबासाहेब आधुनिक भारत की अंतरात्मा के रक्षक थे। उनकी प्रज्ञा और बौद्धिक सामर्थ का अवलोकन विविध विषयों पर लेखनी और निपुणता - अर्थशात्र , न्याय, राजनीति, समाज सुधार और श्रम कानून पर लिखी पुस्तकों से मापा जा सकता है। हालांकि उन्हें आमतौर पर समाज के हाशिए पर खड़े दलित समुदाय के नेता के रूप में माना जाता है और इसमें कोई दो राय नहीं है कि समाज की बुराइयों से लड़ने में उनका योगदान किसी से कम नहीं है पर महिला केंद्रित विषय और लैंगिक विमर्श को प्रभावी रूप से खड़ा करने में उनके अपार योगदान को पहचान दी जानी चाहिए। 1931 में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन के दूसरे सत्र में भाग लेने के लिए जाने से पहले बाबासाहेब ने दर्शकों का हिस्सा रही महिलाओं को समाज में सभी परीक्षणों और विवादों को दूर करने और मनोरंजन के उद्देश्य से महिलाओं को भोग की वास्तु मानने के खिलाफ लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए एक उत्साही भाषण दिया। कई बार उन्होंने ऐसी सभाओं को संबोधित किया जहां बॉम्बे के 'रेड लाइट एरिया' कमाठीपुरा से संबंधित महिलाएं भाग लेती थीं, जहां उन्होंने उनसे अपमानजनक जीवन छोड़ने का आग्रह किया। बीसवीं शताब्दी के पहले भाग में बाबासाहेब एक सामाजिक क्रांतिकारी के रूप में देखे जाते थे। उनका प्रभाव इस हद तक था कि जब 1945 में बॉम्बे (मुंबई) में अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महासंघ की बैठक आयोजित की गई थी, तो 50000 से अधिक लोग जिनमें 5,000 महिलाएं भी शामिल थीं और उन्हें सुनने के लिए प्रति व्यक्ति 1 रुपये का भुगतान करके आए। बाबासाहेब अम्बेडकर महिलाओं को शिक्षित करने के दृढ़ समर्थक थे और उनके योगदान ने देश में कामकाजी महिलाओं के अधिकारों को आकार दिया। बाबासाहेब के अथक प्रयासों के कारण 1929 में बॉम्बे विधान परिषद में पहली बार प्रसूति लाभ अधिनियम पारित किया गया। उन्होंने कहा- "मेरा मानना है कि राष्ट्र के हित में, मां को प्रसव के पूर्व अवधि के दौरान और बाद में भी आराम मिलना चाहिए।" फलस्वरूप, मद्रास प्रांत और अन्य प्रांतों ने भी प्रसूति लाभ अधिनियम पारित किया। गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में श्रम मंत्री के रूप में, बाबासाहेब ने 1941 में देशभर में कोयला और अन्य खनिज की खदानों में मातृत्व लाभ अधिनियम पेश किया, जिसके तहत खदान में काम करने वाली महिला को 8 आना प्रति दिन की दर से 8 सप्ताह की अवधि के लिए मातृत्व लाभ दिया गया और अवहेलना करने वालों पर 500 रुपये का भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान रखा गया। अम्बेडकर स्वतंत्रता-पूर्व भारत में महिलाओं के प्रजनन अधिकारों पर एक अग्रणी आवाज थे। वह परिवार नियोजन, महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति मुखर थे और बाल विवाह, विवाह की आयु और महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और जनसंख्या नियंत्रण का मुखर समर्थन करते थे। उन्होंने बॉम्बे विधानमंडल में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक पेश किया और सरकार से जनता को शिक्षित करने और जनसंख्या नियंत्रण के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करने की सिफारिश की, लेकिन वह उस समय के राजनीतिक दलों से समर्थन हासिल करने में विफल रहे। फेसबुक पर हुई दोस्ती: मेला घुमाने के बहाने होटल ले गया युवक, प्यार करता हूं कहकर किया दुष्कर्म; आरोपी गिरफ्तार बाबा साहेब का राष्ट्र को योगदान भारतीय समाज के लिए बाबासाहेब के सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक हिंदू कोड बिल के माध्यम से महिलाओं के कानूनी अधिकारों की पहल थी। बाबा साहब सिर्फ वर्ग विशेष के नेता न होकर पूरे हिन्दू समाज के प्रति हितकारी कदम उठाने की वकालत करते हैं। आज के कुछ नवबौद्धवादी उनकी हिन्दू हितैषी सोच को दरकिनार करते हैं जबकि उन्होंने पूरे जीवन काल में ना सिर्फ वंचितों बल्कि समाज के हर तबके विशेषकर महिलाओं के कल्याण की बात कही। संविधान सभा में प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में बाबासाहेब ने संविधान सभा में समान नागरिक संहिता के माध्यम से न केवल हिंदू महिलाओं बल्कि सभी वर्ग, पंथ और धर्म की महिलाओं के लिए समान अधिकार प्रदान करने की कल्पना की थी। उन्होंने अपनी पुस्तक 'पाकिस्तान ऑर द पार्टिशन ऑफ इंडिया'- में लिखा है कि मुसलमानों में हिंदुओं की सामाजिक बुराइयों के साथ और कुछ भी हैं। वह "कुछ और" मुस्लिम महिलाओं के लिए पर्दा की अनिवार्य प्रणाली है। उन्होंने लिखा कि मुस्लिम महिलाएं दुनिया की सबसे असहाय इंसान होती हैं। संविधान सभा में समान नागरिक संहिता के समर्थन के लिए उनकी अपील के प्रति संविधान सभा के अधिकतर सदस्यों की तटस्थता रही। प्रगतिशील समाज वो हैं जो सामाजिक और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए अपने सामाजिक मानदंडों, प्रथाओं और रीति-रिवाजों का अन्तरावलोकन और आत्मनिरीक्षण कर सकते हैं उनमें बदलाव की पहल कर सकते हैं। गृहमंत्री अमित शाह का छत्तीसगढ़ दौरा आज, खैरागढ़ में करेंगे बीजेपी प्रत्याशी संतोष पांडेय के समर्थन में प्रचार बाबासाहेब ने इसी की गुहार लगाई थी। भारत की न्यायपालिका ने कई बार सभी महिलाओं के लिए समान अधिकारों पर बाबासाहेब के विचारों को दोहराया है। ऐसा ही एक उदाहरण 1952 में बॉम्बे हाईकोर्ट का है- बॉम्बे राज्य बनाम नरसु अप्पा माली, जिस निर्णय में न्यालालय ने कहा कि जहां यह कहा गया कि राज्य धार्मिक विश्वास और आस्था की रक्षा करता है, वहीं अगर धार्मिक प्रथाएं सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य या राज्य कल्याण नीति के विपरीत हैं, तो ऐसी धार्मिक प्रथाओं को लोगों की भलाई के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए। डॉ.अम्बेडकर अपने शब्दों और कार्यों में उन सभी के लिए प्रकाश स्तंभ रहे हैं जो लैंगिक दृष्टिकोण से समावेशी समाज के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने एक न्यायपूर्ण प्रणाली की वकालत की जहां महिलाओं को सामान अधिकार और सम्मान मिले।

Follow us on

Advertisement

image

जरूर पढ़ें

Featured Image

JEE Advanced 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू : IIT कानपुर ने शुरू की आवेदन प्रक्रिया, अंतिम तिथि 2 मई

Featured Image

बिना रिस्क कमाएं ज्यादा : पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम से कमाएं हर माह 20 हजार रुपये, बस एक बार निवेश करना होगा निवेश

Featured Image

RBI का बड़ा फैसला : अब 10 साल से ऊपर के नाबालिग खुद खोल सकेंगे बैंक खाता, पहले पैरेंट के साथ खुलता था जॉइंट अकाउंट

Featured Image

फगुआ 2025: : उरांव समुदाय का पवित्र अनुष्ठान, सोनो-रूपो के आतंक से मुक्ति का उत्सव सरहुल और होली से पहले गूंजेगा फगुआ का उल्लास

Featured Image

होली 2025: : खुशियों के रंग और पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प

Featured Image

Join Indian Army through NCC Special Entry! : भारतीय सेना में NCC स्पेशल एंट्री से अधिकारी बनने का सुनहरा मौका,आवेदन प्रक्रिया शुरू

Featured Image

आज से होलाष्टक शुरू: : फाल्गुन मास में इसका विशेष महत्व,होलाष्टक के दौरान क्या करें और क्या न करें?

Featured Image

Airtel का सस्ता धमाका : 199 रुपये वाला प्लान, 28 दिन की वैधता और अनलिमिटेड कॉलिंग के साथ मिलेंगे ये फायदे! जानिए पूरी डिटेल

Featured Image

Jio का नया धमाका : OTT और क्रिकेट प्रेमियों के लिए Jio का खास प्लान, ₹195 में 15GB डेटा और फ्री JioHotstar सब्सक्रिप्शन

Featured Image

"planetary parade. 2025": : आसमान में दिखेगा अद्भुत नज़ारा: सात ग्रह होंगे एक सीध में

Advertisement