जशपुर के बाजार में आई रसीली लीची: : बंपर पैदावार- बढ़िया मुनाफा, किसान खुश, खरीदार उत्साहित

Faizan Ashraf
Updated At: 01 May 2025 at 11:29 AM
Juicy Litchis Hit Jashpur Markets
जशपुर,
उदालक नायडू
छत्तीसगढ़ – मई की दस्तक के साथ ही जशपुर के बाजारों में लालिमा बिखेरती, रस से भरपूर लीची की आमद हो चुकी है। इस बार की लीची न केवल स्वाद में बेजोड़ है, बल्कि उसकी पैदावार भी किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। पत्थलगांव, कुनकुरी, फरसाबहार, बागीचा और जशपुर के आसपास के गांवों में लीची की बागवानी वर्षों से की जा रही है, लेकिन इस बार फलों का आकार, रंग और मिठास देखकर किसान और व्यापारी दोनों ही बेहद उत्साहित हैं।
इस बार मौसम ने लीची किसानों का साथ दिया। समय पर वर्षा, उपयुक्त तापमान और किसानों की मेहनत ने इस फल को रसीला और आकर्षक बना दिया है। झिंकी, लोधमा, नारायणपुर और बेहरापाठ जैसे गांवों में किसानों ने बताया कि वे इस बार प्रति पेड़ 2 से 3 हजार रुपये तक कमा रहे हैं। कई किसानों ने अपने बगीचों से 40 से 50 हजार रुपये तक की आय होने की बात कही है।
बाजारों में लीची की धूम
जशपुर के प्रमुख बाजारों में लीची की रौनक देखते ही बनती है। लाल रंग की चमचमाती लीचियों से ठेले और दुकानों की सजावट हो रही है। खरीदार भी भारी संख्या में पहुंच रहे हैं। स्थानीय दुकानदार बताते हैं कि सुबह के समय लीची की डिमांड इतनी अधिक होती है कि दोपहर तक स्टॉक खत्म हो जाता है। एक किलो लीची की कीमत 100 से 120 रुपये के बीच चल रही है, फिर भी ग्राहक बेहिचक खरीद रहे हैं।
बाहर भी बढ़ी मांग
जशपुर की लीची अब केवल स्थानीय बाजारों तक सीमित नहीं है। रायपुर, बिलासपुर, अंबिकापुर, झारखंड, ओडिशा और बंगाल तक इसकी आपूर्ति की जा रही है। व्यापारी इसे थोक में खरीदकर बड़े शहरों में भेज रहे हैं। इसका कारण है – जशपुर की लीची का प्राकृतिक स्वाद और उसका आर्गेनिक उत्पादन।
हालांकि कुछ क्षेत्रों में समय से पहले पकने के कारण लीची में खट्टापन आ गया, जिससे किसानों को आधे दाम पर फल बेचना पड़ा। लेकिन इससे लीची की समग्र मांग पर कोई खास असर नहीं पड़ा। प्रशासन और उद्यानिकी विभाग द्वारा समय-समय पर मार्गदर्शन देने से किसानों ने स्थिति को संभाल लिया।
जशपुर की लीची न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह जिले की पहचान भी बन रही है। गर्मियों में यहां आने वाले पर्यटक अब प्राकृतिक सौंदर्य के साथ जशपुर की लीची का स्वाद भी ले रहे हैं। कई दुकानों ने ‘लीची-जूस पॉइंट’ शुरू कर दिए हैं, जिससे युवाओं को स्वरोजगार का भी अवसर मिला है।
किसान अब लीची की प्रोसेसिंग यूनिट और ठंडी भंडारण सुविधा की मांग कर रहे हैं, ताकि लीची को लंबे समय तक संरक्षित किया जा सके और मूल्यवर्धन किया जा सके। जिला प्रशासन यदि इसमें सहयोग करे तो जशपुर की लीची देश के प्रमुख फलों में अपना स्थान बना सकती है।
जशपुर की रसीली लीची इस बार हर दिल को भा रही है। यह न केवल स्वाद में समृद्ध है, बल्कि अर्थव्यवस्था, रोजगार और पहचान के स्तर पर भी जिले को आगे बढ़ा रही है।
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