होमबड़ी ख़बरेंविडियो
logo


"64 Chhattisgarh Naxalites Surrender in Telangana"Five youths gang-raped a married woman;उत्तरप्रदेशSogda ashramBaba sambhav ramGurupad sambhw ram

अवधूत गुरुपद संभव राम जी के अवतरण दिवस पर विशेष: : राजकुमार से सन्यासी तक का दिव्य सफर, संभव से अवधूत तक: त्याग, तपस्या और दिव्यता की अद्भुत यात्रा

Featured Image

Faizan Ashraf

Updated At: 15 Mar 2025 at 04:54 PM

"जो तप के अग्नि में जलते हैं,

वही प्रकाश बनते हैं,

जो स्वयं मिटते हैं जगत के लिए,

वे ही पूज्य बनते हैं।"

उदालक नायडू /फैज़ान अशरफ

मध्यप्रदेश के नरसिंहगढ़ राजघराने में जन्मे राजकुमार यशोवर्धन सिंह, जिन्होंने राजसी ठाठ-बाट त्यागकर आध्यात्मिक जीवन को अपनाया, आज अवधूत गुरु पद संभव राम के रूप में पूज्य हैं। उनका जन्म 15 मार्च 1961 को इंदौर में हुआ। शिक्षा डॉली कॉलेज, इंदौर और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से प्राप्त की।

लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही निर्धारित कर रखा था। 1982 के अर्धकुंभ में जब वे अघोरेश्वर भगवान राम के शिविर में पहुँचे, तो उनका जीवन ही परिवर्तित हो गया। एक तेजस्वी किशोर, जिसका ऊँचा ललाट, चौड़ा सीना और बलशाली भुजाएँ बताती थीं कि वह केवल किसी राजपरिवार का उत्तराधिकारी ही नहीं, बल्कि सदियों तक लोगों के हृदय में राज करने वाला संत भी बनेगा।

उन्होंने जैसे ही अघोरेश्वर भगवान राम के दर्शन किए, मानो जीवन का वास्तविक उद्देश्य मिल गया। उन्होंने सिंहासन, ऐश्वर्य और सांसारिक बंधनों को त्यागकर स्वयं को गुरुदेव के चरणों में समर्पित कर दिया।

अर्धकुंभ के समापन के बाद वे काशी गए, जहाँ अघोरेश्वर भगवान राम ने उन्हें "गुरुपद संभव राम" नाम दिया।

राजसी वैभव से सन्यास तक का सफर

"जिसे सत्य का मार्ग मिले,

वो सत्ता से विमुख हो जाए,

जो सागर की गहराई पा ले,

उसे नदियों का मोह न लुभाए।"

उनका जन्म एक गौरवशाली परमार वंश में हुआ, जिस वंश में कभी सम्राट विक्रमादित्य और महाराज भर्तृहरि जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया। उनके पिता महाराजा भानुप्रकाश सिंह और माता लक्ष्मी कुमार (बीकानेर राजपरिवार की पुत्री) थीं। परिवार में चार और भाई थे—शिलादित्य सिंह, राज्यवर्धन सिंह, गिरिरत्न सिंह, और भाग्यादित्य सिंह।

राजसी माहौल में पले-बढ़े होने के बावजूद हृदय में वैराग्य की लौ जल रही थी। यह संयोग मात्र नहीं था कि जिस राजवंश में महाराज भर्तृहरि जैसे संत हुए, उसी वंश में संभव बाबा जैसे संत का भी अवतरण हुआ।

अघोरेश्वर भगवान राम के प्रिय शिष्य

"जिसे सत्य की जोत जला दे,

उसे महलों का मोह न भाए,

जो जीवन का मर्म समझ ले,

उसे सांसारिक बंधन ठुकराए।"

गुरुपद संभव राम, अघोरेश्वर भगवान राम के सबसे प्रिय शिष्यों में से एक बने। जब भी अघोरेश्वर अपने भक्तों को शिक्षा देते, तो वे उन्हें कभी "संभव", कभी "संभव साधक", कभी "सौगत उपासक", तो कभी "मुड़िया साधु" कहकर पुकारते।

उन्होंने कठोर तपस्या और साधना की, जिससे वे अवधूत पद पर प्रतिष्ठित हुए। उनकी साधना का उद्देश्य केवल आत्मिक उत्थान नहीं था, बल्कि लोक-कल्याण भी उनका संकल्प था।

"सोगड़ा आश्रम और टी-कॉफी क्रांति

जिसकी कृपा से वन भी हरित हो जाए,

जिसके विचार से मिट्टी भी सोना बन जाए,

जो लोगों के लिए कष्ट सहे,वही संत,

वही संभव बाबा कहलाए।"

जब उन्होंने जशपुर के सोगड़ा आश्रम में कदम रखा, तो उन्होंने वहाँ के वनवासियों के लिए चाय और कॉफी की खेती शुरू की। जशपुर का जलवायु इसके लिए उपयुक्त था, इसलिए उन्होंने ग्रीन टी और कॉफी प्लांटेशन को प्रोत्साहित किया। आश्रम में उन्होंने इसकी प्रोसेसिंग यूनिट भी स्थापित की, जिससे वहाँ की चाय और कॉफी का स्वाद प्रसिद्ध हो गया।

जब छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्य सचिव सुनील कुमार को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने वन विभाग को निर्देश दिए कि इस खेती को राज्यभर में बढ़ावा दिया जाए। आश्रम की ग्रीन टी इतनी शुद्ध और स्वादिष्ट थी कि जो एक बार पीता, वह बाजार की किसी भी चाय को भूल जाता।

जब पूर्व सीएम भूपेश बघेल जशपुर दौरे पर आए, तो वे सोगड़ा आश्रम पहुंचे और माँ काली की पूजा-अर्चना की। उन्होंने जब संभव बाबा से भेंट कर चाय और कॉफी की खेती देखी, तो प्रभावित हुए और छत्तीसगढ़ में "टी-कॉफी बोर्ड" गठित करने की घोषणा कर दी।

वनवासियों के लिए सेवा और इको चूल्हा अभियान

संभव बाबा केवल आध्यात्मिक गुरु नहीं थे, वे समाज के कल्याण में भी उतने ही समर्पित थे। उन्होंने वनवासियों के लिए निःशुल्क इको चूल्हा वितरण अभियान शुरू किया, जिससे वे खाना बना सकें और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोका जा सके।

उनकी दृष्टि में हर व्यक्ति समान था, और वे समाज में न्याय और समरसता स्थापित करने के लिए कार्यरत रहे।

"जो स्वार्थ से परे हो,

वो ही सच्चा संत कहलाए,

जो सत्य का दीप जला दे,

वही युगों तक पूजे जाए।"

गुरुपद संभव राम का जीवन केवल एक कहानी नहीं, बल्कि त्याग, तपस्या, साधना और सेवा का आदर्श उदाहरण है। उन्होंने राजसी जीवन छोड़कर संन्यास को अपनाया और एक ऐसे मार्ग पर चले, जो लाखों-करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।आज भी देश के अनेक प्रतिष्ठित राजनेता और कारोबारी उनके दिखाए पदचिन्हो का अनुसरण करते है.

आज उनके विचार और कार्य समाज को दिशा दिखा रहे हैं। उन्होंने दिखाया कि जो मोह-माया से ऊपर उठता है, वही वास्तव में जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सकता है।

गुरुपद संभव राम को अवतरण दिवस पर कोटि-कोटि नमन!

Follow us on

Advertisement

image

जरूर पढ़ें

Featured Image

फगुआ 2025: : उरांव समुदाय का पवित्र अनुष्ठान, सोनो-रूपो के आतंक से मुक्ति का उत्सव सरहुल और होली से पहले गूंजेगा फगुआ का उल्लास

Featured Image

होली 2025: : खुशियों के रंग और पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प

Featured Image

Join Indian Army through NCC Special Entry! : भारतीय सेना में NCC स्पेशल एंट्री से अधिकारी बनने का सुनहरा मौका,आवेदन प्रक्रिया शुरू

Featured Image

आज से होलाष्टक शुरू: : फाल्गुन मास में इसका विशेष महत्व,होलाष्टक के दौरान क्या करें और क्या न करें?

Featured Image

Airtel का सस्ता धमाका : 199 रुपये वाला प्लान, 28 दिन की वैधता और अनलिमिटेड कॉलिंग के साथ मिलेंगे ये फायदे! जानिए पूरी डिटेल

Featured Image

Jio का नया धमाका : OTT और क्रिकेट प्रेमियों के लिए Jio का खास प्लान, ₹195 में 15GB डेटा और फ्री JioHotstar सब्सक्रिप्शन

Featured Image

"planetary parade. 2025": : आसमान में दिखेगा अद्भुत नज़ारा: सात ग्रह होंगे एक सीध में

Featured Image

सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी : यूनिफाइड पेंशन स्कीम से मिलेगी गारंटीड पेंशन, 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी पेंशन स्कीम

Featured Image

फास्टैग रिचार्ज में बदलाव: : अब जुर्माना भरने से बचने के लिए समयसीमा का पालन करना होगा

Featured Image

TRAI: : स्पैम कॉल और संदेशों पर लगेगा 10 लाख तक जुर्माना, TRAI ने टेलीकॉम कंपनियों पर कसा शिकंजा

Advertisement