अनानास की खेती, कम लागत में अधिक मुनाफा : : जशपुर की मिट्टी और मौसम अनुकूल माहौल,वैज्ञानिक पद्धति अपनाकर किसान कमा सकते हैं लाखों, अन्य किसानों के लिए प्रेरणा

Sameer Irfan
Updated At: 20 May 2025 at 07:12 AM
रिपोर्ट: उदालक नायडू, जशपुर
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जशपुर,
जशपुर जिले की उर्वर भूमि और अनुकूल जलवायु अब किसानों के लिए समृद्धि का नया रास्ता खोल रही है। विशेषकर अनानास की खेती यहां के किसानों के लिए कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का साधन बनती जा रही है। जहां एक ओर इस फल की बाजार में सालभर मांग बनी रहती है, वहीं दूसरी ओर इसकी खेती में सिंचाई और देखरेख की आवश्यकता बेहद कम होती है।
कब और कैसे करें अनानास की खेती
अनानास की खेती मुख्यतः गर्म और आद्र जलवायु में की जाती है। मानसून की शुरुआत (जून-जुलाई) और शरद ऋतु की शुरुआत (सितंबर-अक्टूबर) इसकी बुवाई के लिए उपयुक्त समय होता है। 22°C से 32°C तक का तापमान इसकी सर्वोत्तम वृद्धि के लिए अनुकूल माना जाता है।
जशपुर की विशेष मिट्टी और प्राकृतिक परिस्थितियाँ इस फसल के लिए अद्वितीय उपयुक्तता प्रदान करती हैं।
मिट्टी, पौधारोपण और देखरेख
खेती से पहले खेत को अच्छी तरह जोतकर गोबर खाद मिलाकर समतल करना जरूरी है। हल्की लाल या रेतीली दोमट मिट्टी में यह फसल बेहतर होती है। पौधारोपण के लिए 25-30 सेमी की दूरी पर स्वस्थ और ताजे क्राउन या बीज का प्रयोग किया जाता है।
अनानास की खेती में अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती – गर्मियों में हर 10 दिन में सिंचाई पर्याप्त होती है, जबकि वर्षा ऋतु में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती। जल जमाव से बचाना अनिवार्य है।
खाद, पोषण और उत्पादन
गोबर की खाद, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग इस फसल को अधिक मजबूत और उपजाऊ बनाता है। पौधारोपण के 12-14 माह बाद फूल और 15-18 माह बाद फल तैयार हो जाता है। जब फल हल्के पीले रंग के होने लगें, तभी सावधानीपूर्वक कटाई करें और छाया में रखें।
मुनाफा और बाजार
अनानास की खेती से किसान यदि वैज्ञानिक पद्धति अपनाएं तो लाखों रुपये की आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। बाजार में इसकी स्थायी मांग और कम लागत वाली प्रक्रिया इसे एक लाभकारी व्यवसाय बनाती है।
प्रेरणादायक बन रहा जशपुर
जशपुर विकासखंड के कई किसानों ने इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं और उन्हें बेहतर परिणाम भी मिले हैं। अन्य किसान भी इस नवाचार से प्रेरणा लेकर खेती की नई दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
राज्य सरकार और कृषि विभाग यदि प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएं, तो यह क्षेत्र अनानास उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
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