छतीसगढ़ के स्कुलों का यूडाइस कोड एक,नाम अनेक : समस्या को देखते हुए फेडरेशन ने सीएम से मांगा हस्तक्षेप

Faizan Ashraf
Updated At: 28 Apr 2025 at 03:57 PM
रायपुर —
छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा व्यवस्था एक अजीब संकट से जूझ रही है — एक ही स्कूल के तीन-तीन नाम, दो-दो सेटअप और अलग-अलग प्रबंधन समिति! छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन ने इस अव्यवस्था पर कड़ा ऐतराज़ जताते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से तत्काल दखल की मांग की है।
फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश चटर्जी ने कहा कि शासकीय स्कूलों का एक ही यूडाइस कोड है, फिर भी अलग-अलग पंजीयन और बजट आवंटन से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। एक ओर प्रभारी मंत्री के अधीन समिति है, दूसरी ओर जिला कलेक्टर के निर्देशन में संचालित व्यवस्थाएं हैं। स्कूलों में दो अलग-अलग सेटअप से वेतन का भुगतान हो रहा है, जिससे वित्तीय और प्रशासनिक गड़बड़ियां पैदा हो रही हैं।
नाम बदलने की मांग
चटर्जी ने साफ कहा — "एक ही स्कूल के तीन नाम क्यों? सेजेस, पीएम श्री और अलग-अलग अंग्रेजी माध्यम स्कूल के नामों ने पूरी व्यवस्था को उलझा दिया है। सभी स्कूलों का नाम केवल और केवल 'पीएम श्री स्कूल' किया जाए।"
उन्होंने यह भी बताया कि पहले तत्कालीन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सेजेस स्कूलों को राज्य शासन के अधीन लाने की घोषणा की थी, लेकिन आज भी पुरानी जटिलताएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं।
वेतन भुगतान में गड़बड़ी
फेडरेशन ने आरोप लगाया कि प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत रहे सेवानिवृत्त और दिवंगत शिक्षकों के अंतिम स्वतत्वों का भुगतान अन्य स्कूलों के रिक्त पदों से किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के आदेश से स्कूलों का आहरण और संवितरण अधिकार बंद कर दिया गया था, जबकि यह अधिकार केवल वित्त विभाग और महालेखाकार से स्वीकृत होता है। फेडरेशन ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया तो भविष्य में वेतन और अंतिम स्वतत्वों के भुगतान में भारी संकट खड़ा होगा।
स्कूलों में दो प्राचार्य, दो सेटअप!
चटर्जी ने बताया कि कई स्कूलों में दो-दो प्राचार्य कार्यरत हैं — एक सेजेस का, दूसरा पीएम श्री का। शिक्षकों की भर्ती से लेकर वेतन मद और शाला प्रवेश तक के नियम अलग-अलग हैं। एक ही स्कूल में अलग-अलग बजट, अलग-अलग सेटअप और अलग-अलग शैक्षणिक माध्यम से शिक्षा दी जा रही है।
ऐतिहासिक स्कूलों के नाम बने मजाक
फेडरेशन ने बस्तर और सरगुजा संभाग के उदाहरण देते हुए बताया कि स्कूलों के नाम इतने लंबे और जटिल हो गए हैं कि बच्चों और अभिभावकों के लिए भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। उदाहरणस्वरूप —
पीएम श्री स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम नरहरदेव उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (कांकेर) और
पीएम श्री स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुनकुरी जैसे नाम।
फेडरेशन की सख्त मांग
फेडरेशन ने मुख्यमंत्री से मांग की है —
सभी स्कूलों का नाम सिर्फ पीएम श्री स्कूल हो
एक ही भर्ती नियम लागू हो
एक ही सेटअप और एक ही वेतन मद से संचालन हो
शाला संचालन की स्पष्ट नीति तय की जाए
चटर्जी ने कहा कि यदि जल्द सुधार नहीं हुआ तो स्कूल शिक्षा व्यवस्था और अधिक अव्यवस्थित हो जाएगी, जिससे शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों सभी को नुकसान होगा।
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