भारत ने 28वां विश्व ओजोन दिवस मनाया ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के उत्पादन और खपत को धीरे-धीरे समाप्त करने में भारत ने सक्रिय भूमिका निभाई: पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव

admin
Updated At: 17 Sep 2022 at 03:26 AM
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में नीति निर्माण के संदर्भ में भारत का योगदान उल्लेखनीय है, भारत ने ओजोन परत को नुकसान पहुंwचाने वाले पदार्थों के उत्पादन और खपत को धीरे-धीरे समाप्त करने में सक्रिय भूमिका निभाई है। केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन तथा श्रम और रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव ने 28वां विश्व ओजोन दिवस मनाने के लिए मुम्बई में आज आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन तथा उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने महाराष्ट्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से किया था।
इस अवसर पर केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि भारत वैश्विक उत्सर्जन में पारंपरिक योगदानकर्ता नहीं रहा है, लेकिन अपने कार्यों से, हम एक समस्या हल करने का इरादा दिखा रहे हैं। यह कहते हुए कि दुनिया ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग के कारण जलवायु संकट का सामना कर रही है, पर्यावरण मंत्री ने एल.आई.एफ.ई.(लाइफ फॉर एनवायरमेंट) का मंत्र अपनाने का आह्वान किया, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टिकाऊ जीवन शैली की अवधारणा की तर्ज पर गढ़ा था, जो हमें बिना सोचे समझे नहीं बल्कि सावधानी से संसाधनों के उपभोग और इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करता है।
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बार-बार सावधानीपूर्वक खपत पर ध्यान केन्द्रित किया है, उदाहरण के लिए, बर्बादी किए बिना गोदामों और रेफ्रीजरेटर में ऊर्जा का उपयोग कैसे करें, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी लड़ाई की तर्ज पर हैं। श्री यादव ने कहा, भारत उन देशों में से है, जिन्होंने कहा है कि देश का निरन्तर विकास इस तरह होगा कि 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल हो जाए। पर्यावरण मंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने किगाली संशोधन को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सितम्बर 2021 में इसकी पुष्टि के बाद, केन्द्र सरकार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) को कम करने के लिए उद्योग के साझेदारों के साथ परामर्श कर एक राष्ट्रीय रणनीति विकसित करने की दिशा में काम कर रही है।
विश्व ओजोन दिवस के बारे में
विश्व ओजोन दिवस हर साल 16 सितंबर को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने के अवसर पर मनाया जाता है जो 1987 में इस दिन लागू हुआ था। विश्व ओजोन दिवस हर वर्ष ओजोन परत की परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों और इसे संरक्षित करने के लिए किए गए उपायों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।
विश्व ओजोन दिवस 2022 का विषय "मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल @ 35: ग्लोबल कोऑरेशन प्रोटेक्टींग लाइफ ऑन अर्थ (पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करने के लिए वैश्विक सहयोग)" है।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन में भारत की उपलब्धियां
भारत, जून 1992 से मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकार के रूप में, प्रोटोकॉल के चरणबद्ध कार्यक्रम के अनुरूप ओजोन की परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों को धीरे-धीरे समाप्त करने के लिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, परियोजनाओं और कार्यों को सफलतापूर्वक कार्यान्वित कर रहा है।
भारत ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल अनुसूची के अनुरूप 1 जनवरी 2010 को नियंत्रित उपयोग के लिए क्लोरोफ्लोरोकार्बन, कार्बन टेट्राक्लोराइड, हैलोन, मिथाइल ब्रोमाइड और मिथाइल क्लोरोफॉर्म का उत्पादन बंद कर दिया। वर्तमान में, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के त्वरित कार्यक्रम के अनुसार हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन को समाप्त किया जा रहा है।
हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन का इस्तेमाल चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की प्रबंध योजना (एचपीएमपी) चरण - I को 2012 से 2016 तक सफलतापूर्वक लागू किया गया है और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन को धीरे-धीरे समाप्त करने की प्रबंध योजना (एचपीएमपी) चरण- II 2017 से कार्यान्वयन के अधीन है और 2023 तक पूरी हो जाएगी। शेष एचसीएफसी को धीरे-धीरे समाप्त करने के लिए एचपीएमपी का अंतिम चरण III 2023 - 2030 से लागू किया जाएगा। रेफ्रिजरेशन और एयर-कंडीशनिंग विनिर्माण क्षेत्रों सहित सभी विनिर्माण क्षेत्रों में एचसीएफसी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का काम 1.1.2025 तक पूरा कर लिया जाएगा और सर्विसिंग क्षेत्र से संबंधित कार्य 2030 तक जारी रहेंगे।
भारत में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल कार्यान्वयन के तहत ओजोन की परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों (ओडीएस) को धीरे-धीरे समाप्त करने के माध्यम से ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में कमी पर अध्ययन। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा कराए गए अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि 2022 तक ओडीएस के धीरे-धीरे समाप्त होने के कारण जीएचजी उत्सर्जन में 465 मिलियन टन कार्बनडाइक्साइड के बराबर कमी आएगी, जबकि उम्मीद है कि 2030 तक जीएचजी के उत्सर्जन में 778 मिलियन टन कार्बनडाइक्साइड के बराबर कमी आने की उम्मीद है।
किगाली संशोधन के अंतर्गत इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) उभरते कार्यों के क्रियान्वयन से एचएफसी धीरे-धीरे समाप्त होने पर अमल होने के दौरान जलवायु-अनुकूल विकल्पों को अपनाने और ऊर्जा के किफायती इस्तेमाल को बढ़ावा देने के प्रयासों में वृद्धि करेगा। यह भारत के प्रधानमंत्री की 2021 के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में 'पंचामृत' के माध्यम से 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन की प्रतिबद्धता को हासिल करने में भारत के जलवायु कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देगा।


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