मर्सिडीज-बेंज रूस में बंद करेगी अपना कारोबार, रूसी बाजार छोड़ने वाली चौथी ऑटोमोबाइल कंपनी

admin
Updated At: 27 Oct 2022 at 02:49 AM
जर्मनी की मशहूर लग्जरी कार निर्माता Mercedes-Benz (मर्सिडीज-बेंज) रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस में अपना कारोबार बंद करने वाला लेटेस्ट विदेशी ऑटो ब्रांड बनने जा रहा है। मर्सिडीज ने बुधवार को कहा कि वह रूस छोड़ देगी और अपनी संपत्ति एक स्थानीय निवेशक को बेच देगी। मर्सिडीज निसान, रेनो और टोयोटा के बाद रूसी ऑटो बाजार छोड़ने वाली चौथी बड़ी कार निर्माता बनने जा रही है। इस फैसले से जर्मन ऑटो दिग्गज को 2 अरब यूरो से ज्यादा की अपनी संपत्ति का नुकसान हो सकता है। जिसमें मॉस्को के पास एसिपोवो में इसका एकमात्र मैन्युफेक्चरिंग प्लांट भी शामिल है।
मर्सिडीज-बेंज ने इस साल मार्च में रूस में उत्पानद बंद कर दिया था। मॉस्को के पास एसिपोवो में इसके मैन्युफेक्चरिंग प्लांट में ई-क्लास सेडान और एसयूवी का निर्माण किया जाता था और इसमें लगभग 1,000 कर्मचारी काम करते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मर्सिडीज-बेंज ने इस साल जनवरी से सितंबर के बीच रूस में 9,558 यूनिट्स की बिक्री की है। यह पिछले वर्ष रूस में मर्सिडीज के प्रदर्शन की तुलना में बिक्री में 70 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट है।
Mercedes-Benz Russia (मर्सिडीज-बेंज रूस) ने पुष्टि की है कि स्थानीय सहायक कंपनियों में उसके शेयर कार डीलर चेन Avtodom (एव्टोडॉम) को बेचे जाएंगे। खरीदार की योजना मास्को के उत्तर-पश्चिम में मर्सिडीज के प्लांट में कारों का उत्पादन जारी रखने की है। मर्सिडीज-बेंज रूस के सीईओ नतालिया कोरोलेवा ने एक बयान जारी कर कहा, "लेन-देन की शर्तों से सहमत होने में मुख्य प्राथमिकता आफ्टर-सेल्ट सर्विस और फाइनेंशियल सर्विस के मामले में रूस से ग्राहकों के लिए दायित्वों की पूर्ति को अधिकतम करना था। साथ ही कंपनी के रूसी डिवीजनों में कर्मचारियों की नौकरियों को संरक्षित करना है।"
मर्सिडीज की रूसी ट्रक निर्माण कंपनी Kamaz (कामाज) में भी 15 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। जर्मन कार निर्माता ने कहा कि रूस छोड़ने के उसके फैसले से उसकी हिस्सेदारी प्रभावित नहीं होगी और इसे इस साल के आखिर में Daimler Truck (डेमलर ट्रक) में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
इस महीने की शुरुआत में, जापानी ऑटो दिग्गज निसान मोटर ने रूस से बाहर निकलने की घोषणा की थी। कार निर्माता ने लगभग 687 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ क्योंकि उसने अपने कारोबार को एक यूरो की टोकन राशि में सरकार के स्वामित्व वाली एक यूनिट को बेच दिया। फ्रांसीसी ऑटो दिग्गज रेनो को भी इस साल की शुरुआत में सिर्फ एक रूबल के लिए अपना कारोबार बेचना पड़ा।
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