छतीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव हो सकते हैं एक साथ

admin
Updated At: 15 Oct 2024 at 06:24 PM
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों और त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव एक साथ हो सकते हैं दरअसल, दोनों चुनाव एक साथ करवाने के सिलसिले में आम जनता से सुझाव लेने के लिए सरकार ने नई एसीएस ऋचा शर्मा की अध्यतक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी है। अब सरकार को कमेटी की रिपोर्ट पर फैसला करना है। इधर बुधवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक रखी गई है। इस बैठक में संभव है सरकार कोई निर्णय ले।
दिसंबर-जनवरी से आगे बढ़ेंगे चुनाव
इधर राज्य निर्वाचन आयोग इस पूरी प्रक्रिया से पहले पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार निकाय चुनाव दिसंबर और पंचायतों के चुनाव जनवरी 2025 में कराने की तैयारी में था, लेकिन अब अगर सरकार ये निर्णय लेती है कि दोनों चुनाव एक साथ कराने हैं, तो निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकायों के चुनाव कार्यक्रम में बड़ा फेरबदल करना पड़ेगा। जानकार संभावना जता रहे हैं कि अगर चुनाव एक साथ हुए तो चुनाव फरवरी या मार्च में एक साथ कराए जाएंगे, लेकिन इन सब कयासों से अलग साय कैबिनेट की बैठक में इस बारे में फैसले से स्थिति स्पष्ट होगी।
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विधानसभा में पेश हुआ था प्रस्ताव
छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत और अगले साल के शुरु तक नगरीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव होने हैं। लेकिन इससे काफी पहले राज्य विधानसभा में यह प्रस्ताव रखा गया था कि दोनों चुनाव एक साथ कराएं जाने चाहिए। इसके बाद राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर आम राय जुटाने के लिए एसीएस की अध्यक्षता में कमेटी बनाने का निर्णय लिया था। माना जा रहा है कि राज्य सरकार की मंशा है कि दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएं। लेकिन जब से ये मामला सामने आया तभी से विपक्षी दल खासकर कांग्रेस इसके विरोध में है। कुछ कांग्रेसी नेता तो ये भी कहते हैं कि दोनों चुनाव साथ कराना संभव नहीं है।
इससे धन और पैसे की होगी बचत
जानकार सूत्रों के अनुसार, आईएएस ऋचा शर्मा की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की गई है। कमेटी ने इसमें कहा कि एक साथ चुनाव कराने से धन और पैसे दोनों की बचत होगी। इसी के साथ ही विकास कार्यों में भी तेजी आएगी। वर्तमान में प्रदेश में दोनों चुनाव अलग-अलग कराए जाते रहे हैं। इसके कारण प्रदेश में दो बार आदर्श चुनाव आचार संहिता लगाई जाती है। इससे विकास के काम की गति प्रभावित होती है। दो बार चुनाव कराने से मैन पॉवर अधिक लगता है। दोनों चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे इन सब की बचत होगी।
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