जन्म जयंती पर विशेष : अद्वितीय नेतृत्व और बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, छत्तीसगढ़ के जननायक और युवाओं के प्रेरणास्रोत युद्धवीर सिंह जूदेव

Sameer Irfan
Updated At: 01 Mar 2025 at 12:41 PM
छत्तीसगढ़ के दमदार जननेता और युवाओं के प्रेरणास्रोत, युद्धवीर सिंह जूदेव का जीवन समाज, राजनीति और धर्म के क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल रहा है। उनके बिना आज का छत्तीसगढ़ अधूरा है – वे एक ऐसे नायक थे, जिनकी हर उपलब्धि में जनता के लिए समर्पण और हर कदम में जनसेवा की झलक मिलती थी।
"शेर की दहाड़ थे, जशपुर का गुरूर थे,
जनता के हक में उठती आवाज़ थे.
मिट गए मगर झुके नहीं कभी,
युद्धवीर जूदेव सच में 'युद्धवीर' थे.
जशपुर राजपरिवार के इस लाडले का जन्म 1 मार्च 1982 को हुआ। छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित जशपुर राजपरिवार के गौरवमयी सदस्य, स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र, युद्धवीर सिंह जूदेव ने बचपन से ही अद्वितीय नेतृत्व क्षमता, राजनितिक कला दांव पेंच में पारंगत,खेलों के प्रति जुनून और वीरता की छाप छोड़ी। उनके व्यक्तित्व में साहस, धैर्य और समर्पण का अनोखा संगम था, जिसने उन्हें एक बहुआयामी नेता के रूप में तराशा।
राजनैतिक पृष्ठभूमि से आने के कारण, उन्हें राजनीति में विशेष रुचि थी। इसी लगन और उत्साह के चलते उन्होंने बहुत कम उम्र में ही राजनीति में कदम रखा। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत जशपुर जिला पंचायत से की और तेजी से सफलता के पायदान चढ़ते हुए छत्तीसगढ़ के सबसे कम उम्र के विधायक के रूप में जनता का विश्वास जीत लिया। 2008 और 2013 में चंद्रपुर विधानसभा से चुनाव जीतकर, उन्होंने ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और आदिवासी उत्थान के क्षेत्र में कई नवीन योजनाएँ चलाईं। विशेषकर कोरवा आदिवासी समुदाय के उत्थान हेतु, उन्होंने नए आयाम स्थापित किए और समाज में समरसता एवं विकास की नई राह प्रशस्त की।
धर्म जागरण के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने उन्हें एक सच्चे धर्म संरक्षक के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया। अपने पिता के चलाय घर वापसी अभियान को उन्होंने अपना कर्म माना और इस दिशा में भी खुद को समर्पित किया , उन्होंने अनेक कलश यात्राएँ, मंदिर निर्माण और घर वापसी अभियानों के माध्यम से, उन्होंने हिंदू संस्कृति और परंपरा की रक्षा में न केवल अपना बलिदान दिया, बल्कि लोगों में आत्म-विश्वास और धार्मिक चेतना का संचार भी किया।
25 फरवरी 2012 को संयोगिता सिंह जूदेव से विवाह करके, उन्होंने पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों को आगे बढ़ाया। दुर्भाग्यपूर्ण 20 सितंबर 2021 को लिवर की बीमारी के कारण उनका निधन हो गया, जिससे छत्तीसगढ़ की राजनीति, धर्म जागरण आंदोलन और समाज को अपूरणीय क्षति पहुँची।
उनके द्वारा किए गए कार्य, उनके प्रेरणादायक आदर्श और समाज के प्रति उनका निस्वार्थ समर्पण आज भी लोगों के दिलों में जीवंत हैं। आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें एक सच्चे नायक के रूप में याद करेंगी, जिनकी विरासत हर युवा में प्रेरणा की नई लहर पैदा करती रहेगी। युद्धवीर सिंह जूदेव का नाम सदैव उन अनगिनत कार्यों और आदर्शों के प्रतीक के रूप में अमर रहेगा, जिन्होंने छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान और दिशा दी।
"जो धर्म के लिए लड़ा, वो अमर हो गया,
जो गरीबों के लिए जिया, वो अमर हो गया।
जशपुर की माटी में जो नाम लिख गया,
वो युद्धवीर था, वो अमर हो गया!"
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