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नया शिक्षा सत्र शुरू : कहीं छत उजड़े, तो कहीं शिक्षक ही नही, एक शिक्षक के भरोसे है हजारों स्कूल, फिर भी प्रवेश उत्सव मनाने की तैयारी जोरों पर, ऐसा है प्रदेश के स्कूलों का हाल, पढ़िए समीर इरफ़ान की रिपोर्ट

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admin

Updated At: 26 Jun 2024 at 05:11 PM

छत्तीसगढ़ पुलिस अब शुद्ध हिंदी का करेगी प्रयोग, उर्दू-फारसी के शब्द होंगे चलन से बाहर समीर इरफ़ान संपादक छत्तीसगढ़ में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद स्कूल खुलने के साथ ही शिक्षा सत्र का प्रारंभ हो रहा है और विद्यार्थियों के लिए जोर-शोर से प्रवेश उत्सव की तैयारी की जा रही है। हालांकि, इस उत्सव के बीच एक चौंकाने वाली बात सामने आई है जो शिक्षा विभाग की लचर कार्यप्रणाली को उजागर करती है। प्रदेश के लगभग 610 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं, यानी ये स्कूल पूरी तरह से शिक्षक विहीन हैं। इसके अलावा, प्रदेश के 5500 स्कूल ऐसे हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं। यह स्थिति शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाती है। विशेषकर, बस्तर जिले में सबसे ज्यादा 428 स्कूल और कोंडागांव जिले में 417 स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल एक ही शिक्षक हैं। ऐसे में प्रवेश उत्सव मनाने के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखना और इन समस्याओं का समाधान करना शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है। जशपुर के छात्र आयुष साहू का आईआईटी-खड़गपुर में हुआ चयन,पहले प्रयास में बने टॉपर, बढ़ाया प्रदेश का मान छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग की लचर कार्यप्रणाली ने गंभीर समस्याओं को उजागर किया है। पूरे प्रदेश में ऐसा कोई जिला नहीं है जहां एकल शिक्षक स्कूल न हो। सबसे ज्यादा समस्या बस्तर इलाके में है, जहां बस्तर जिले में 428 और कोंडागांव जिले में 417 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। रायपुर जिले में 27 और बिलासपुर जिले में 109 स्कूल एकल शिक्षक पर निर्भर हैं। इसके अलावा, धमतरी में सबसे ज्यादा 112 स्कूल बिना शिक्षक के चल रहे हैं, और बिलासपुर में ऐसे 16 स्कूल हैं। कबीरधाम और जांजगीर-चांपा को छोड़कर सभी जिलों में शिक्षकविहीन स्कूल हैं। छत्तीसगढ़ के अगले डीजीपी हो सकते हैं हिमांशु गुप्ता? एक ओर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, तो दूसरी ओर शहरी क्षेत्र के स्कूलों में स्वीकृत पदों से ज्यादा शिक्षक पदस्थ हैं। ऐसे अतिरिक्त शिक्षकों की संख्या 6406 है। रायपुर जिले में 886 अतिरिक्त शिक्षक, महासमुंद में 804, राजनांदगांव में 430, बिलासपुर में 367, दुर्ग में 264, जांजगीर-चांपा में 226, और कबीरधाम में 220 शिक्षक अतिरिक्त पदस्थ हैं। इस प्रकार, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की असमान वितरण की समस्या गंभीर है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक विहीन स्कूल और शहरी क्षेत्रों में अतिरिक्त शिक्षक होने के कारण शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए शिक्षा विभाग को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि सभी छात्रों को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। बिलासपुर में ऐसे 16 स्कूल है. विसंगति ये है कि एक ओर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, तो दूसरी ओर शहरी क्षेत्र के स्कूलों में स्वीकृत पदों से ज्यादा शिक्षक हैं. ऐसे शिक्षकों की संख्या 6406 है.एक तरफ ग्रामीण क्षेत्रों के 610 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है और दूसरी तरफ शहरों में एक ही पद पर कई शिक्षक पदस्थ हैं. 1 जुलाई से मोबाइल-ईमेल से दर्ज होगी रिपोर्ट:3 दिन में साइन करना जरूरी; देश के किसी भी थाने में कराई जा सकेगी FIR अधिकारियों की मिलीभगत लापरवाही के कारण आज इन स्कूलों में शिक्षक नहीं है. स्कूलों में शिक्षकों की कमी के कारण छत्तीसगढ़ में तालाबंदी की खबर तो आपने सुनी ही होगी.. लेकिन शिक्षा विभाग जिनके कंधों पर बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी है, वही भविष्य डुबाने में लगी है. हम कल्पना नहीं कर सकते, कि बगैर शिक्षक के एक स्कूल भी हो सकता है. लेकिन शिक्षा विभाग वास्तविकता में हमें दिखा रहा है. हजारों लाखों बच्चों के भविष्य दांव पर लगा है. शिक्षक पात्रता परीक्षा में गड़बड़ी, दोषियों पर कार्यवाही एवं परीक्षार्थियों को परीक्षा का अवसर दिया जाये – भूपेश बघेल समाज का हर वर्ग चाहता है कि उसके बच्चे पढ़ें और आगे बढ़ें, अपने भविष्य को गढ़े. लेकिन आर्थिक स्थिति इस सपना में रोड़ा बन जाता है. कई कर्ज़ लेकर प्राइवेट स्कूल की ओर भागते हैं तो कई सरकारी स्कूलों में ही संतुष्ट होते हैं. लेकिन बिना शिक्षक के स्कूलों का जो आंकड़ा सामने आ रहा है, ऐसे में न चाहते हुए भी पालक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने को मजबूर हो जाएंगे.  आपातकाल में हमने कांग्रेस से लड़कर दूसरी आजादी पाई : CM विष्णुदेव साय सत्र शुरू होने के पूर्व क्या कहा मंत्री ने प्रदेश में नए शिक्षा सत्र प्रारंभ होने से पहले शिक्षामंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों की समीक्षा बैठक ली थी । इस दौरान विश्वस्तरीय शिक्षा मुहैया कराने के लिए सभी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम और ई-क्लास रूम बनाने के निर्देश दिए। साथ ही, राज्य के ज्यादा से ज्यादा स्कूलों का पीएम श्री योजना के तहत अपग्रेडेशन करने के निर्देश दिए हैं। नई शालाओं के निर्माण समेत विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा कर जानकारी ली। मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा था कि , राज्य में शिक्षा के स्तर को विश्वस्तरीय बनाने के लिए हम लगातार कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से स्वीकृति के बाद राज्य में शिक्षकों के 33 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके साथ ही राज्य में वेतन विसंगति और संयुक्त संचालक, उप संचालक, प्राचार्य, व्याख्याता, उच्च वर्ग शिक्षक, प्रधानपाठक (माध्यमिक शाला) की पदोन्नति के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया। मंत्री ने इन सारी विसंगतियां को जल्द से जल्द दूर करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित भले ही किया गया है लेकिन वस्तुस्थिति कुछ और है छत्तीसगढ़ में कल से हैवी रेन फॉल का यलो अलर्ट जारी डीएमएफ की राशि से स्कूलों की मरम्मत मंत्री अग्रवाल ने सभी शासकीय और गैर शासकीय स्कूलों में नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध कराने के लिए पाठ्य पुस्तक निगम को निर्देश देते हुए कहा, पुस्तकों को जिलास्तर पर उपलब्ध कराया जाए, वहां से सभी स्कूलों में शिक्षा सत्र प्रारंभ होने से पहले ही भेज दिया जाए। उन्होंने प्रदेश के जर्जर होते स्कूलों की बिल्डिंग और नए भवनों के निर्माण के लिए डीएमएफ और सीएसआर मद से कार्य कराने के निर्देश दिए। निर्माण कार्यों के लिए शिक्षा विभाग की अलग से इंजीनियरिंग सेल निर्माण प्रक्रिया को जल्द ही पूर्ण करने के लिए भी अधिकारियों को निर्देश दिया। 10वीं-12वीं के छात्रों के लिए सुनहरा मौका : माशिम ने जारी की दूसरी परीक्षा तिथि, 7059 स्टूडेंट्स ने किया आवेदन ऐसा है प्रदेश के स्कूलों का हाल 1.जांजगीर-चांपा  जिले में 32 स्कूल भवन विहीन, 61 स्कूल एकल शिक्षकीय हैं. नए शिक्षा सत्र की शुरूआत भले ही एक अप्रैल से कर ली गई है, लेकिन डेढ़ माह क्लास लगने के बाद भी स्कूलों में तैयारी पूरी तरह से अधूरी है। बता दें कि जांजगीर-चांपा व सक्ती जिले मिलाकर 1612 प्राइमरी व 793 मिडिल स्कूल के अलावा 134 हाई व 143 हायर सेकंडरी स्कूल संचालित है। जिले भर में प्राइमरी व मिडिल स्कूल मिलाकर चार दर्जन ऐसे स्कूल भवन हैं जो पूरी तरह से जर्जर हैं। ब्रिटिशकालीन खपरैला वाले भवन में बच्चे जान जोखिम में डालकर भविष्य गढऩे मजबूर हैं। संसद भवन में छत्तीसगढ़ के सांसदों के साथ मिले CM विष्णुदेव साय राजनांदगांव: शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूलों का जीर्णोद्धार कराने की बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं, जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ सकता है। सैंकड़ों स्कूल जर्जर, खतरों के बीच करेंगे पढ़ाई बच्चे करेंगे  नए जिले मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के औंधी समीप स्थित आलकन्हार गांव स्थित प्राथमिक शाला भवन जर्जर है। बच्चों को सांस्कृतिक मंच में बिठाकर पढ़ाई कराते हैं। बारिश में तो स्कूल बंद होने की नौबत आ जाती है। राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-चौकी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में करीब 424 स्कूल जर्जर थे। जिसमें 265 स्कूल बिल्डिंग की मरम्मत हो पाई है। 150 स्कूलों में कार्य प्रगति पर है। वहीं 9 जर्जर स्कूलों की मरम्मत अब तक शुरू नहीं हो पाई। तीसरी बार मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर BJP 27 जून से 14 जुलाई तक होंगे हर विधानसभा में मतदाता अभिनंदन कार्यक्रम करेगी कवर्धा : इस शिक्षा सत्र में भी हजारों बच्चे जान हथेली पर लेकर कक्षाओं में पढ़ाई करेंगे क्योंकि यहां पर 402 शासकीय स्कूल भवन जर्जर और डिस्मेंटल योग्य हो चुके हैं। बाजवूद वहां पर कक्षाएं संचालित होती है। जिले में शासकीय स्कूल से नींव गढऩे वाले बच्चों का भविष्य जर्जर और तोडऩे योग्य भवन से शुरू होता है। कबीरधाम जिले में कुल 1494 शासकीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं, लेकिन इसमें से 402 स्कूल भवन जर्जर हैं या तोडऩे लायक हो चुके हैं। हालात तो ऐसे हैं कि 168 स्कूल भवन पूरी तरह से कंडम हो चुके हैं। रेल यात्रियों परेशानी बढ़ी , छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली अलग अलग रूट की 40 ट्रेनों को किया रद्द… शिक्षकों व इन सुविधाओं की कमी दो दर्जन स्कूल अभी भी जुगाड़ के भवन में संचालित हो रहा है। इन स्कूलों के पास खुद का भवन नहीं है। जांजगीर चांपा जिले में 16 तो इतने ही शैक्षणिक जिले सक्ती में भी इतने ही स्कूल भवन विहीन हैं। कोई स्कूल हाईस्कूल भवन में तो कोई स्कूल मिडिल स्कूल के भवन में संचालित हो रहा है। बात दें कि कई स्कूलों के भवन बनकर तैयार है, लेकिन भवन में बिजली पानी जैसे कई खामियां होने के कारण संबंधित स्कूल के प्राचार्य भवन को हैंडओवर लेने तैयार नहीं है। स्कूलों में अभी भी सैकड़ों शिक्षकों की कमी बरकरार है। 108 पहाड़ी कोरवाओं-बिरहोर युवाओं को मिला नियुक्ति प्रमाण पत्र रायगढ़, भले ही पढ़ाई का पैटर्न बदल जाए, सिलेबस चेंज हो जाए, स्कूलों में चमकते हुए फर्नीचर लग जाएं, रंगरोगन प्राईवेट स्कूलों की तरह हो जाए, लेकिन इससे कुछ बदलने नहीं वाला। शिक्षा का स्तर शिक्षकों से ही बदलेगा और जिले में अब भी 266 प्रायमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां एक ही शिक्षक है। आठ स्कूल तो बिना शिक्षक के भगवान भरोसे चल रहे हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था सुधारने के दावे और वादे हजारों हैं, धरातल पर परिस्थितियां दूसरी हैं। जब प्राइवेट स्कूल बहुत कम थे तब पूरी शिक्षा व्यवस्था इन्हीं सरकारी स्कूलों के कंधों पर थी। आज जो बड़े-बड़े अधिकारी हैं, सभी ने कभी न कभी सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है, लेकिन अब इन्हीं स्कूलों को दोयम दर्जे का बना दिया गया है। प्रदेश के 40 प्रतिशत सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को नहीं मिल पाई फ्री किताबें केवल भवन बनाने और फर्नीचर खरीदने में फंड खर्च किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में बिना पर्याप्त शिक्षकों के शिक्षा का स्तर नहीं सुधर सकता। इतनी समीक्षा के बाद भी रायगढ़ जिले में 266 प्रायमरी स्कूल ऐसे हैं जहां एक ही शिक्षक है। मतलब पहली से पांचवीं तक के लिए केवल एक शिक्षक। सात प्रायमरी और एक मिडिल स्कूल में तो कोई शिक्षक ही नहीं है। एक सप्ताह बाद शाला प्रवेशोत्सव मनाया जाना है। सवाल यह है कि शिक्षक विहीन स्कूलों में कौन प्रवेशोत्सव मनाएगा। रायगढ़ जिले में शिक्षा विभाग का यह हाल चिंताजनक है। विधानसभा सत्र में भी यह जवाब प्रस्तुत किए जाने के बावजूद सुधार नहीं है। इसमें भी सबसे खराब हालत धरमजयगढ़ और लैलूंगा की है। एकल शिक्षक स्कूलों में 70 प्रश तो इन्हीं दोनों ब्लॉकों के हैं। व्यापम द्वारा प्री बीएड और प्री डीएड का प्रवेश पत्र जारी : जिला मुख्यालयों में होगी परीक्षा रायगढ़ जिले के सात ब्लॉकों का आंकड़ा देखेंगे तो भेदभाव साफतौर पर दिखेगा। आदिवासी ब्लॉकों को शिक्षा विभाग ने भगवान भरोसे छोड़ दिया है। 266 एकल शिक्षकीय प्रायमरी स्कूलों में से धरमजयगढ़ में 89 और लैलूंगा में 93 स्कूल हैं। रायगढ़ में सबसे कम 9 स्कूल ऐसे हैं। शिक्षक विहीन स्कूलों में 3 धरमजयगढ़, 3 घरघोड़ा, 1 खरसिया और एक लैलूंगा में हैं। मतलब 70 प्रश शिक्षक विहीन स्कूल धरमजयगढ़ और लैलूंगा में हैं। लैलूंगा में तो एक मिडिल स्कूल भी शिक्षक विहीन है। Galaxy: खगोलविदों ने खोजी सबसे पुरानी आकाशगंगा, साढ़े 13 अरब साल अंतरिक्ष में यात्रा करने के बाद पहुंची रोशनी शिक्षा विभाग का पूरा फोकस केवल स्कूलों में भवन बनाने और रंगरोगन करने में है। शिक्षकों की ट्र्रांसफर और पोस्टिंग का समय आता है तो सांठगांठ शुरू हो जाती है। हर शिक्षक शहर में या आसपास रहना चाहता है। किसी को भी धरमजयगढ़ और लैलूंगा के गांवों में पोस्टिंग नहीं चाहिए। पिछले साल ट्रांसफर के बाद एक ही स्कूल में शिक्षकों की संख्या जरूरत से ज्यादा हो गई तो कहीं जरूरत से कम। इसे अब तक ठीक नहीं किया जा सका है। अब छग शासन स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों में शिक्षकों की विषयवार जानकारी 20 जून तक मांगी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति : प्राइवेट स्टूडेंट्स के लिए भी अनिवार्य होगी एक माह की कक्षा, होगा आंतरिक मूल्यांकन, इंटर्नशिप भी बस्तर  बस्तर के सरकारी स्कूलों में नए सत्र से अच्छी शिक्षा प्रणाली का दावा किया जा रहा है. शिक्षा विभाग के अधिकारी बेहतर नतीजों की भी बात कह रहे हैं. लेकिन दावों पर खरा उतरना सबसे बड़ी चुनौती है. आदिवासी क्षेत्र होने की वजह से स्कूलों में संसाधनों का अभाव है. एकल शिक्षक के भरोसे 400 से ज्यादा स्कूल संचालित हो रहे हैं. 54 से ज्यादा स्कूल शिक्षक विहीन हैं. एकल शिक्षक स्कूलों में 5वीं तक की पढ़ाई होती है. पिछले कई वर्षों से स्कूली छात्रों के रिजल्ट में सुधार होता भी नहीं दिख रहा है. हालाकि नये शिक्षक आने से एकल शिक्षक स्कूलों की संख्या जरूर कम हुई है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति : प्राइवेट स्टूडेंट्स के लिए भी अनिवार्य होगी एक माह की कक्षा, होगा आंतरिक मूल्यांकन, इंटर्नशिप भी CG Board: छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने दूसरी मुख्य परीक्षाएं के लिए किया टाइम टेबल जारी, 10वीं की 24 और 12वीं 23 जुलाई से शुरू जिला शिक्षा अधिकारी भी प्राइमरी स्कूलों के साथ माध्यमिक और हाई स्कूल में लंबे समय से रेगुलर शिक्षकों की कमी स्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि समय-समय पर जरूर अतिथि शिक्षक के माध्यम से खाली पदों पर भर्ती की जाती है. लेकिन रेगुलर बहाली नहीं होने से बड़ी संख्या में प्राइमरी स्कूल एक ही शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं.उन्होंने कहा कि शिक्षकों की कमी का मुद्दा आलाधिकारियों के सामने उठाया गया है. वर्तमान में 400 से ज्यादा प्राइमरी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे पहली से पांचवीं तक संचालित हो रहे हैं. 54 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि नए शैक्षणिक सत्र में शिक्षक विहीन स्कूलों में अतिथि शिक्षक की व्यवस्था की जाएगी. छत्तीसगढ़ के महाविद्यालय में विभिन्न पाठयक्रमों में सीटों की बढ़ोतरी, एक दर्जन से ज्यादा संकाय प्रारम्भ करने की भी मंजूरी आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ ने अपने टर्म प्लान- आईप्रोटेक्ट स्मार्ट पर महिलाओं के लिए की 15% आजीवन छूट की पेशकश साय सरकार का बड़ा फैसला, किसानों के लिए शुरू होगी एग्रीस्टैक योजना, मिलेगी यह सुविधाएं बारुद की गंध की बजाय अब गुलाब की खुशबू से महक रहा है… बस्तर धान के एमएसपी में मात्र 5 प्रतिशत की वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरा के समान- दीपक बैज प्री.इंजीनियरिंग एवं प्री.मेडिकल की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने हेतु आवेदन आमंत्रित, 01जुलाई तक कर सकते है आवेदन RTE के जरिए बड़े निजी स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों के मेंटर होंगे कलेक्टर प्रदेश के सभी स्कूलों में बनाया जाएगा स्मार्ट क्लासरूम नई रेल सुविधा : छत्तीसगढ़ से दिल्ली आम यात्री के लिए ट्रेन चलाने की तैयारी हाईकोर्ट का फैसला : ईडब्ल्यूएस वाले बच्चे बड़े निजी स्कूलों में निःशुल्क पढ़ाई के पात्र, प्राइवेट स्कूल नहीं कर सकते हैं मना रेलवे का नया नियम : वेटिंग टिकट पर यात्रा अब बैन, बिना कन्फर्म टिकट ट्रेन पर सवार हुए तो लगेगा जुर्माना पीएम मोदी आज जारी करेंगे सम्मान निधि की 17वीं किस्त महिंद्रा की इलेक्ट्रिक कार मचाएंगी धमाल, भारत में ही बनेंगी ईवी बैटरी जशपुर में मिला सूक्ष्म हीरे का भंडार, राज्य भौमिकी व खनिकर्म विभाग करेगा ई- ऑक्शन

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