रतन टाटा के निधन से देश में शोक की लहर, राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

admin
Updated At: 10 Oct 2024 at 12:35 PM
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रतन टाटा के निधन पर देशभर में शोक की लहर है। उन्होंने 86 साल की आयु में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। टाटा के निधन पर टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने समूह की तरफ से संदेश जारी किया। चंद्रशेखरन ने पद्मविभूषण रतन टाटा योगदान को अतुल्य बताया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि टाटा का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
रतन टाटा 11 साल पहले ताजमहल का दीदार करने के लिए आए थे। उन्होंने यहां के उद्यमियों से भी मुलाकात की थी। एक सितंबर 2013 को रतन टाटा जब ताज देखने आए तो कहा कि ताजमहल उनके दिल में है। विजिटर बुक में लिखा, इंजीनियरिंग और वास्तुकला की महानतम प्रस्तुति ताजमहल है। यह न आज और न कल इस तरह दोबारा नहीं बन सकता है। वह एक घंटे तक ताजमहल में रहे थे।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई बोले- टाटा असाधारण व्यवसाय और परोपकारी विरासत छोड़ गए
भारतवंशी सुंदर पिचाई ने भी रतन टाटा के निधन पर संवेदनाएं प्रकट कीं। उन्होंने कहा, रतन टाटा के साथ गूगल में मेरी आखिरी मुलाकात में हमने वेमो की प्रगति के बारे में बात की और उनका विजन सुनना प्रेरणादायक था। वह एक असाधारण व्यवसाय और परोपकारी विरासत छोड़ गए हैं और भारत में आधुनिक व्यावसायिक नेतृत्व को मार्गदर्शन और विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्हें भारत को बेहतर बनाने की गहरी चिंता थी। उनके प्रियजनों के प्रति गहरी संवेदना और रतन टाटा को शांति मिले।
दो दशक से अधिक समय तक समूह की मुख्य होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष रहे रतन टाटा ने शीर्ष पद संभालने से कई वर्ष पहले ही परोपकारी गतिविधियां शुरू कर चुके थे। 1970 के दशक में, उन्होंने आगा खान अस्पताल और मेडिकल कॉलेज परियोजना की शुरुआत की थी। टाटा ने जनवरी 2017 में सेवानिवृत्त होने के बाद नटराजन चंद्रशेखरन को टाटा समूह का अध्यक्ष नियुक्त किया।
कॉर्पोरेट दिग्गज रतन टाटा को 'धर्मनिरपेक्ष जीवित संत' माना गया
दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा कभी भी अरबपतियों की टाइम, फोर्ब्स, हुरुन जैसी किसी चर्चित सूची में शामिल नहीं रहे। यह इस बात की मिसाल है कि छह महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में काम करने वाली कंपनी के मुखिया होने के बावजूद टाटा सादगीपूर्ण जीवन जीना पसंद करते थे। शायद व्यक्तित्व के इसी पहलू के कारण कॉर्पोरेट दिग्गज रतन टाटा को 'धर्मनिरपेक्ष जीवित संत' माना गया। उनकी शालीनता और ईमानदारी के किस्से भी खूब सुर्खियों में रहे हैं। 1991 में अपने चाचा जेआरडी टाटा से टाटा समूह के अध्यक्ष का पदभार संभालने वाले रतन ने आधी सदी से भी अधिक समय तक यह पद संभाला।
PETA इंडिया ने पशुओं के प्रति टाटा की करुणा को याद किया
रतन टाटा के निधन के बाद देश के औद्योगिक घरानों, खेल-मनोरंजन और सामाजिक-आर्थिक जगत की हस्तियों ने भी संवेदनाएं प्रकट कीं। टाटा को पशुओं के प्रति करुणा के लिए भी जाना जाता है। पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया ने भी रतन टाटा के निधन पर संवेदनाएं प्रकट कीं। पेटा इंडिया की तरफ से जारी एक बयान के मुताबिक टाटा का पशुओं के प्रति प्रेम और करुणा उनकी व्यावसायिक क्षमता की तरह ही प्रसिद्ध रही। इसे हमेशा याद किया जाएगा। पेटा ने कहा कि मुंबई में टाटा ट्रस्ट्स स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल, उनकी करुणा का परिणाम है, जो पहले से ही जरूरतमंद असंख्य जानवरों की मदद कर रहा है। यह निश्चित रूप से पेटा इंडिया के आपातकालीन प्रतिक्रिया कार्य का सहयोगी बनेगा।
रतन टाटा ऐसी विभूति हैं, जिन्हें अगर अद्वितीय कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं। ऐसे रत्न सदियों में चुनिंदा ही होते हैं। उनके हौसले की मिसाल बंगलूरू में आयोजित एयर शो में मिली थी। 73 साल की आयु में आज से 13 साल पहले रतन टाटा ने एफ-17 लड़ाकू विमान के कॉकपिट में बैठकर उड़ान भरी थी। साल 2011 में कर्नाटक के येलहंका एयर बेस पर आयोजित भारत के सबसे बड़े एयर शो- एयरो इंडिया के दौरान जब 73 साल के उद्योगपति रतन टाटा एफ 17 लड़ाकू विमान में बैठे तो इस यादगार तस्वीर को युवाओं के लिए भी प्रेरणा माना गया।
टाटा ट्रस्ट प्रमुख बोले- विरासत को आगे बढ़ाने के लिए खुद को समर्पित करेंगे
टाटा ट्रस्ट्स के मुख्य कार्यकारी सिद्धार्थ शर्मा ने रतन टाटा के निधन के बाद बुधवार देर रात जारी एक बयान में कहा, गैर-लाभकारी संस्थाओं का समूह रतन टाटा की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए खुद को समर्पित करता है। उन्होंने कहा, हम उनकी और संस्थापकों की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए खुद को पुनः समर्पित करते हैं। शर्मा ने कहा कि टाटा ट्रस्ट्स भारत के सभ्यतागत मूल्यों पर आधारित है। संस्था सभी के कल्याण के लिए प्रयास करती है। बता दें कि टाटा ट्रस्ट्स गैर-लाभकारी संस्थाओं का एक समूह है, जो नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली इस कंपनी में लगभग दो तिहाई हिस्सेदारी रखता है। रतन टाटा, टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष थे। शर्मा ने यह भी कहा कि ट्रस्ट को रतन टाटा की भौतिक उपस्थिति की कमी खलेगी लेकिन वह हमेशा उनके दिल और दिमाग में जीवित रहेंगे।
Ratan Tata Death: रतन टाटा के निधन से देश में शोक की लहर, राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने 86 साल की आयु में बुधवार रात करीब 11.30 बजे अंतिम सांस ली। देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान- पद्म विभूषण से नवाजे जा चुके टाटा के निधन की पुष्टि करते हुए इस औद्योगिक घराने के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने बयान जारी किया। उन्होंने कहा, 'हम रतन नवल टाटा को बहुत ही गहरे दुख के साथ विदाई दे रहे हैं। वे वास्तव में असाधारण शख्सियत थे।' टाटा के निधन के बाद महाराष्ट्र सरकार ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कराने की बात कही। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, टाटा नैतिकता और उद्यमशीलता का अनूठा मिश्रण थे। सीएम ने रतन टाटा को किंवदंती बताया जिन्होंने 150 साल पुराने टाटा समूह को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया।
पार्थिव शरीर के दर्शन सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, टाटा के रिश्तेदारों ने बताया है कि उनका पार्थिव शरीर गुरुवार को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक दक्षिण मुंबई स्थित राष्ट्रीय कला प्रदर्शन केंद्र (एनसीपीए) में लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। टाटा को देश का गौरव बताते हुए शिंदे ने कहा कि वह अगली पीढ़ी के उद्यमियों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान उन्होंने जो दृढ़ता दिखाई, उसे हमेशा याद रखा जाएगा।
झारखंड में एक दिन का राजकीय शोक
टाटा के निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक दिन के राजकीय शोक का एलान किया। उन्होंने कहा कि टाटा के योगदान की बदौलत झारखंड को पूरी दुनिया में अलग पहचान मिली।
टाटा... एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र
इससे पहले चंद्रशेखरन ने कहा, 'टाटा समूह के लिए, रतन टाटा एक अध्यक्ष से कहीं बढ़कर थे। मेरे लिए, वे एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे। उन्होंने उदाहरण के माध्यम से प्रेरित किया। उत्कृष्टता, अखंडता और नवाचार के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ, उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने अपने नैतिक मानदंडों के प्रति हमेशा सच्चे रहते हुए वैश्विक स्तर पर विस्तार किया।
टाटा की पहल ने गहरी छाप छोड़ी, आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा लाभ
चंद्रशेखरन ने कहा कि टाटा के परोपकार और समाज के विकास के प्रति समर्पण ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, उनकी पहल ने एक गहरी छाप छोड़ी है जो आने वाली पीढ़ियों को लाभान्वित करेगी। तमाम कार्यों को सुदृढ़ बनाने में टाटा के साथ हुई हर व्यक्तिगत बातचीत उनकी वास्तविक विनम्रता की मिसाल है। टाटा संस के चेयरमैन चंद्रशेखरन ने कहा, 'पूरे टाटा परिवार की ओर से, मैं उनके प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। उनकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी क्योंकि हम उन सिद्धांतों को बनाए रखने का प्रयास करते हैं जिनका उन्होंने इतने जुनून से समर्थन किया।'

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