'रामनामी' कौन हैं? जो पूरे शरीर पर गुदवाते हैं राम नाम, 100 साल से भी पुरानी है परंपरा

admin
Updated At: 22 Jan 2024 at 09:45 PM
Ram Mandir Pran Pratishtha: 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया गया है। इस दौरान छत्तीसगढ़ में रहने वाले रामनामी संप्रदाय की भी खूब चर्चा हो रही है। इस संप्रदाय के एक व्यक्ति ने प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक बड़ा दावा किया है। दावे अनुसार, उनके पूर्वजों ने राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख 150 साल पहले ही बता दी थी। इस दावे के बाद रामनामी समाज के बारे में लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है। तो आइये जानते हैं कि आखिर क्या है रामनामी संप्रदाय और इस संप्रदाय के लोग अपने पूरे शरीर पर रामलला का नाम क्यों गुदवाते हैं?
बात 19वीं शताब्दी की है। पूरे भारत में जब जाति व्यवस्था ने अपनी पकड़ मजबूत कर रखी थी। इसी समय जाति व्यवस्था के विरोध में छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाकों में एक आंदोलन ने जन्म लिया। आगे बढ़ते हुए इस आंदोलन में कई लोग साथ आए और अपना एक संप्रदाय बना लिया। इस आंदोलन में भाग लेने वालों को रामनामी संप्रदाय के रूप माना जाने लगा। इस संप्रदाय के लोग अपने पूरे शरीर पर भगवान राम का नाम गुदवाते हैं। इस संप्रदाय के लोगों में चेहरे के साथ शरीर के ज्यादातर भाग पर भगवान राम का नाम गुदवाने की शुरुआत 100 साल से भी ज्यादा पहले से चालू है।
क्यों गुदवादे हैं श्री राम का नाम?
रामनामी संप्रदाय के लोग अपने चेहरे के साथ ही पूरे शरीर पर भगवान राम का नाम गुदवाते हैं। नाम गुदवाने के पीछे का उद्देश्य भी बताते हैं। रामनामियों का शरीर पर राम का नाम गुदवाने का उद्देश्य प्रतीकात्मक है। उनका मानना है कि भगवान राम सभी जगह मौजूद हैं। इसलिए अपने पूरे शरीर पर 'राम' नाम का टैटू गुदवाते हैं।
कैसी है रामनामियों की जीवनशैली
रामनामी संप्रदाय के लोग भगवान राम के भक्त हैं। इस संप्रदाय के लोग किसी भी रूप में राम की पूजा करने पर जोर देते हैं। इनका मानना है कि भगवान राम चाहे भगवा वस्त्र में हों या मुंडा सिर के साथ, सभी रूपों में उनकी पूजा की जा सकती है। रामनामियों का यह भी मानना है कि जो लोग भगवान राम की पूजा करते हैं, उनके साथ उनका गहरा संबंध बन जाता है। रामनामियों का जीवन बहुत ही सात्वित होता है। ये मांस और मदिरा से दूर रहते हैं।
रामनामी संप्रदाय के लोग लैंगिक समानता में विश्वास रखते हैं और उसका पालन भी करते हैं। इस संप्रदाय के लोग खुद को घुंघरू और मोर पंखों से बने मुकुट से सजाते हैं। छत्तीसगढ़ में घुंघरू रामनामियों के नृत्य और भजन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रामनामी संप्रदाय के लोग हिंदू धर्म से अलग एक निराकार दिव्य इकाई में विश्वास करते हैं, जिसे वे राम के रूप में पहचाने जाने वाले 'एक सच्चे भगवान' के रूप में पूजते हैं। भगवान के प्रति अपना भक्तिभाव दिखाने के लिए इस संप्रदाय के लोग भगवान राम का नाम अपने शरीर पर गुदवाते हैं।
कैसे गुदवाते हैं शरीर पर नाम
रामनामी संप्रदाय के लोगों में भगवान राम का नाम गुदवाने की प्रक्रिया बहुत ही पीड़ादायक होती है। इस प्रक्रिया में संप्रदाय द्वारा नियुक्त वरिष्ठ रामनामियों द्वारा लकड़ी की दो सुइयों द्वारा राम का नाम शरीर पर गोदा जाता है। भगवान राम का नाम गोदने के लिए जिस स्याही का उपयोग किया जाता है, उसका निर्माण ये लोग खुद से करते हैं। मिट्टी के बर्तन में मिट्टी का तेल जलाने के बाद जो कालिख प्राप्त होती है उसी से स्याही बनाई जाती है।
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