सादगी की चादर ओढ़े, सेवा का दीप जलाती हैं,हर दिल में अपनापन भरकर, ममता की छांव बन जाती हैं,सफ़र मुख्यमंत्री का हो या जनसेवा का, हर कदम में संग हैं,श्रीमती कौशल्या साय नारी शक्ति की सजीव पहचान हैं।समीर इरफ़ान/ उदालक नायडूजशपुरनगर। छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला श्रीमती कौशल्या साय का जन्मदिवस आज, 11 मार्च को हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। वे न केवल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अर्धांगिनी हैं, बल्कि समाजसेवा, धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक मूल्यों में अपनी गहरी रुचि के लिए भी जानी जाती हैं। उनकी सहजता, विनम्रता और सेवा भाव ने उन्हें जनसामान्य के बीच अत्यंत लोकप्रिय बना दिया है।समाजसेवा में सतत योगदानश्रीमती कौशल्या साय का जीवन समाज के प्रति समर्पण का जीवंत उदाहरण है। वे हमेशा जरूरतमंदों की सहायता के लिए तत्पर रहती हैं और जनसमस्याओं को अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी मानती हैं। यही कारण है कि उनके निवास स्थान पर लोगों का आना-जाना निरंतर बना रहता है। वे सामाजिक एवं धार्मिक आयोजनों में भी सक्रिय भूमिका निभाती हैं और अपनी सादगी व आत्मीयता से हर किसी को प्रभावित करती हैं।राजनीति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संतुलनराजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर श्रीमती कौशल्या साय ने अपने जीवन में राजनीति और आध्यात्मिकता के बीच अद्भुत संतुलन स्थापित किया है। उनका विवाह 27 मई 1991 को श्री विष्णुदेव साय से हुआ, जब वे विधायक थे। समय के साथ विष्णुदेव साय संगठन और प्रशासन में अपनी जिम्मेदारियों का विस्तार करते गए, और इस पूरे सफर में श्रीमती कौशल्या साय उनकी सशक्त सहभागी बनी रहीं।त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में जनपद सदस्य के रूप में चुनाव जीतकर वे सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय रहीं। उनकी सहजता और कर्तव्यपरायणता को देखते हुए स्व. कुमार दिलीप सिंह जूदेव उन्हें स्नेहपूर्वक "बहुरिया साहब" कहकर पुकारते थे। यह संबोधन उनके प्रति सम्मान और स्नेह का प्रतीक था।परिवार और कर्तव्यों का उत्कृष्ट निर्वहनसाय दंपति के तीन संतान हैं – एक पुत्र और दो पुत्रियां। श्रीमती कौशल्या साय ने अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों को इतनी कुशलता से निभाया कि श्री विष्णुदेव साय को संगठन और प्रशासनिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने की पूरी स्वतंत्रता मिली। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री के रूप में श्री विष्णुदेव साय की सफलता समस्त समाज की उपलब्धि है।अपने एक वक्तव्य में उन्होंने कहा था –"जब मेरा विवाह हुआ, तब श्री विष्णुदेव साय विधायक थे और आज वे ईश्वर एवं जनता के आशीर्वाद से मुख्यमंत्री पद पर आसीन हैं। यह आशीर्वाद और विश्वास ही हमारे परिवार को प्रेरित करता है कि हम छत्तीसगढ़ की सेवा में अपना सर्वश्रेष्ठ दें।"राजनीति से परे, एक मजबूत परिवार की आधारशिलाश्रीमती कौशल्या साय के अनुसार, उनका परिवार पारंपरिक मूल्यों पर आधारित है, जहाँ हर सदस्य – मां, पुत्र, पुत्रियां – सभी एक साथ रहते हैं। घर में पारिवारिक और सामाजिक चर्चाओं को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि राजनीति की चर्चा से बचा जाता है। उनका प्रयास रहता है कि जब श्री विष्णुदेव साय घर में हों, तो वे परिवार के साथ सुकून के पल बिता सकें।उनका यह विश्वास है कि छत्तीसगढ़ की जनता का स्नेह, सहयोग और समर्थन ही मुख्यमंत्री को इस महत्वपूर्ण दायित्व को निभाने की शक्ति प्रदान करता है।जनता के दिलों में बसने वाली प्रथम महिलाश्रीमती कौशल्या साय का जीवन सेवा, सादगी और निष्ठा का अनुपम उदाहरण है। वे एक कुशल गृहिणी, आदर्श माता, समर्पित धर्मपत्नी और कर्मठ समाजसेवी हैं। उनका जीवन न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दर्शाता है कि सशक्त नेतृत्व के पीछे एक सशक्त सहभागी का होना कितना आवश्यक है।उनके जन्मदिन पर सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता है और उनके दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना करता है।न सियासत की चाह, न शोहरत का गुमान,बस सेवा में ढलता है उनका हर अरमान,विष्णुदेव जी की हमसफ़र, हर दिल की धड़कन,श्रीमती कौशल्या साय हैं ममता की पहचान।