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राजस्थान के जैसलमेर जिले में मंगलवार दोपहर एक चलती एसी बस में अचानक लगी आग ने भीषण रूप ले लिया और यह हादसा अब तक का एक सबसे दर्दनाक सड़क हादसा बन गया है। इस भयावह दुर्घटना में 20 से अधिक यात्रियों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि मौत का आंकड़ा 35 तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।

जानकारी के अनुसार यह घटना दोपहर करीब साढ़े तीन बजे जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थईयात गांव के पास हुई। बस में कुल 57 यात्री सवार थे और यह बस जैसलमेर से जोधपुर जा रही थी। लगभग 20 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अचानक बस के पिछले हिस्से से धुआं उठने लगा। इससे पहले कि चालक या यात्री कुछ समझ पाते एसी यूनिट में आग भड़क उठी और पूरी बस को चपेट में ले लिया। आग लगने के बाद बस का फाटक लॉक हो गया जिससे यात्री बाहर नहीं निकल सके। कुछ लोगों ने खिड़कियां तोड़कर किसी तरह अपनी जान बचाई लेकिन कई लोग बस में ही जिंदा जल गए।

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इस हादसे में जैसलमेर के गोला-बारूद डिपो में कार्यरत महेंद्र मेघवाल का पूरा परिवार खत्म हो गया। महेंद्र, उनकी पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा इस बस में सवार थे। मूल रूप से वे जोधपुर जिले के बालेसर के लावारान शेतरावा गांव के निवासी थे और जैसलमेर की इंद्रा कॉलोनी में किराए के मकान में रहते थे। सेना अब इस परिवार से जुड़ी जानकारी जुटा रही है।

घायलों की बात करें तो हादसे के बाद 19 गंभीर रूप से झुलसे यात्रियों को जोधपुर रेफर किया गया था जिनमें से अधिकांश की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। चार घायलों का इलाज जैसलमेर में चल रहा है और उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है। जोधपुर पहुंचे मरीजों में से अधिकतर 70 प्रतिशत से ज्यादा जल चुके थे और उनकी स्थिति को अतिगंभीर बताया गया है। स्थानीय पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान भी इस हादसे में जान गंवाने वालों में शामिल हैं।

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हादसे में कई शव बुरी तरह जल चुके हैं जिससे उनकी पहचान संभव नहीं हो सकी है। मृतकों के नामों की आधिकारिक पुष्टि डीएनए जांच के बाद ही की जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर शोक जताया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि जैसलमेर में हादसे से व्यथित हूं। इस कठिन समय में मेरी संवेदनाएं प्रभावित परिवारों के साथ हैं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं। उन्होंने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को पचास हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।

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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस गंभीर घटना को देखते हुए अपना प्रस्तावित बिहार दौरा रद्द कर दिया और स्पेशल फ्लाइट से जोधपुर पहुंचे जहां उन्होंने घायलों से मुलाकात की और डॉक्टरों से उनका हाल जाना। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि हर घायल के लिए विशेष चिकित्सकीय निगरानी दल नियुक्त किया जाए ताकि चौबीसों घंटे मरीजों की देखरेख हो सके। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि परिजनों के ठहरने, भोजन और अन्य जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था की जाए।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस हादसे को हृदय विदारक बताते हुए शोक व्यक्त किया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने इसे अत्यंत पीड़ादायक और असहनीय बताते हुए कहा कि यह हादसा कई परिवारों की दुनिया उजाड़ने वाला है। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार वीआईपी लोगों के लिए हेलिकॉप्टर की व्यवस्था कर सकती है तो आम नागरिकों को एयरलिफ्ट क्यों नहीं किया गया जबकि जैसलमेर में सेना के हेलिकॉप्टर मौजूद थे। उन्होंने राज्य सरकार और प्रदेश अध्यक्ष पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाया।

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राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने भी इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ईश्वर से मृतकों की आत्मा की शांति और परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।

पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी ने जानकारी दी कि घटनास्थल से 19 शव बरामद किए गए हैं। जोधपुर में इलाज के दौरान एक और घायल की मौत के बाद मृतकों की संख्या 20 पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि डीएनए जांच से ही मृतकों की शिनाख्त की जाएगी।

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जैसलमेर के कलेक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन की टीमें घटनास्थल पर मौजूद रहीं और राहत-बचाव कार्य में जुटी रहीं। घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर भेजा गया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों से अपील की है कि वे अपने परिजनों की पहचान के लिए जिला प्रशासन की हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करें।

इस हादसे ने पूरे राजस्थान को शोक में डुबो दिया है। बस जैसे ही थईयात गांव के पास पहुंची तो पहले हल्का धुआं उठा और देखते ही देखते पूरा वाहन आग की लपटों में घिर गया। यह हादसा न केवल यात्री सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है बल्कि प्रशासन की आपातकालीन व्यवस्था और निजी बस ऑपरेटरों की लापरवाही पर भी गंभीर चिंता पैदा करता है।

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यह केवल एक सड़क दुर्घटना नहीं बल्कि कई परिवारों की ज़िंदगी को उजाड़ देने वाली त्रासदी है।

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