AI अब आपकी ड्राइविंग दक्षता का फैसला करेगा! छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के लाखों लोगों के लिए यह खबर एक बड़ी सौगात है, क्योंकि प्रदेश का परिवहन विभाग (Transport Department) लाइसेंस प्रक्रिया को एक आधुनिक और पारदर्शी दौर में ले जा रहा है। राजधानी रायपुर के बीरगांव में अत्याधुनिक ई-ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक (ई-ट्रैक) का निर्माण शुरू हो रहा है। इस नई व्यवस्था में ड्राइविंग टेस्ट कोई इंसान नहीं, बल्कि AI कैमरे और सेंसर तकनीक की मदद से लिया जाएगा। यह बदलाव न केवल प्रक्रिया को तेज करेगा, बल्कि सड़क पर सुरक्षित चालकों को लाने में भी मदद करेगा।
AI और सेंसर करेंगे आपकी ड्राइविंग का ‘जजमेंट’
नई ई-ट्रैक व्यवस्था पूरी तरह से डिजिटल और मानव-हस्तक्षेप मुक्त होगी. यह छत्तीसगढ़ को उन चुनिंदा राज्यों में शामिल करेगा, जहां इतनी एडवांस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.
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AI और सेंसर का रोल: नए ई-ट्रैक पर सेंसर और AI कैमरे आवेदकों के ड्राइविंग स्किल का मूल्यांकन करेंगे। सड़क पर वाहन नियंत्रण, लेन अनुशासन (Lane Discipline), सही गति नियंत्रण और सिग्नल पालन जैसे सभी महत्वपूर्ण मानकों को सेंसर स्वतः (Automatically) रिकॉर्ड करेंगे।
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टेस्ट के मानक: ई-ट्रैक पर एल-शेप, एच-शेप, ब्रेक टेस्ट और स्लोप (ढलान) जैसे सभी जरूरी परीक्षण होंगे, जिनका परिणाम सीधे डिजिटल रूप से दर्ज होगा।
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लक्ष्य और पारदर्शिता: परिवहन विभाग का दावा है कि इस पहल से सही और प्रशिक्षित चालकों को चुना जा सकेगा, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में प्रभावी रूप से कमी लाई जा सकेगी।
इन 8 जिलों को मिलेगी हाई-टेक ई-ट्रैक की सुविधा
यह अत्याधुनिक सुविधा केवल रायपुर तक सीमित नहीं रहेगी. परिवहन विभाग की योजना के अनुसार, पहले चरण में राज्य के सात अन्य प्रमुख जिलों में भी ई-ट्रैक स्थापित किए जाएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि लाइसेंस बनवाने की यह आधुनिक सुविधा पूरे प्रदेश में समान रूप से उपलब्ध हो।
ये हैं वो 8 जिले जहां स्थापित होंगे ई-ट्रैक:
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रायपुर (बीरगांव में)
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दुर्ग
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बिलासपुर
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जांजगीर-चांपा
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जगदलपुर
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अंबिकापुर
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रायगढ़
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कोरबा
परिवहन विभाग के सचिव एस. प्रकाश ने बताया कि ई-ट्रैक लागू होने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया और अधिक विश्वसनीय, पारदर्शी और आधुनिक बनेगी।
ऑनलाइन आवेदन और ‘ज़ीरो’ भ्रष्टाचार
नई डिजिटल प्रक्रिया से आवेदकों को लंबी लाइनों और दलालों से पूरी तरह मुक्ति मिल जाएगी।
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ऑनलाइन प्रक्रिया: लाइसेंस बनवाने के इच्छुक लोग अब आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे और अपनी सुविधानुसार टेस्ट के लिए अपाइंटमेंट बुक कर सकेंगे।
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मानव हस्तक्षेप शून्य: सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि परीक्षण से लेकर अंतिम परिणाम जारी होने तक मानव हस्तक्षेप शून्य रहेगा। अब तक अधिकारी की उपस्थिति में टेस्ट होने के कारण कई बार भेदभाव और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आती थीं, जो इस नई AI आधारित व्यवस्था में पूरी तरह समाप्त हो जाएंगी।
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डिजिटल लाइसेंस: सेंसरों द्वारा दर्ज डाटा सीधे पोर्टल पर अपलोड होगा और योग्य आवेदकों को डिजिटल फीडबैक के साथ उनका लाइसेंस जारी किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम डिजिटल इंडिया और सड़क सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा और सराहनीय कदम है। ई-ट्रैक प्रणाली से न केवल ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, बल्कि यह सुनिश्चित होगा कि सड़कों पर केवल योग्य और प्रशिक्षित ड्राइवर ही वाहन चलाएं, जिससे भविष्य में दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकेगी। प्रदेश के लाखों नागरिकों के लिए यह एक बड़ी राहत है। ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए हमें Facebook और Instagram पर फॉलो करें।

