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आज कार्तिक शुक्ल द्वितीया के पावन अवसर पर देशभर में चित्रगुप्त पूजा मनाई जाएगी। इस दिन विशेष रूप से कायस्थ समुदाय भगवान चित्रगुप्त की पूजा-अर्चना करता है, जिन्हें ज्ञान, बुद्धि और न्याय का देवता माना जाता है। भगवान चित्रगुप्त को यमराज के सचिव और ब्रह्मांड के पहले अकाउंटेंट के रूप में जाना जाता है।
📅 कब है चित्रगुप्त पूजा 2025
इस साल चित्रगुप्त पूजा गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025 को मनाई जा रही है। पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर की रात 8:16 बजे से शुरू होकर 23 अक्टूबर की रात 10:46 बजे तक रहेगी। पूजा का शुभ अपराह्न मुहूर्त दोपहर 12:53 बजे से 3:09 बजे तक का रहेगा, जिसकी अवधि करीब 2 घंटे 16 मिनट है।
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चित्रगुप्त पूजा का महत्व
यह दिन केवल कायस्थ समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि ज्ञान और न्याय की शक्ति में आस्था रखने वाले हर व्यक्ति के लिए खास होता है। लोग इस दिन भगवान चित्रगुप्त की आराधना करते हैं ताकि उन्हें जीवन में सद्बुद्धि, सफलता और न्यायप्रियता का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
चित्रगुप्त पूजा को यम द्वितीया भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे, इसलिए इसे भाई-बहन के स्नेह का दिन भी माना जाता है।
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क्यों की जाती है कलम-दवात और किताबों की पूजा
चित्रगुप्त पूजा को कलम-दवात पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन छात्र, व्यवसायी और लेखाकार अपनी किताबें, नोटबुक, पेन, दवात और अकाउंट बुक की पूजा करते हैं।
- छात्र अपनी पढ़ाई में सफलता और ज्ञान की वृद्धि की कामना करते हैं।
- व्यापारी इस दिन से नए हिसाब-किताब या व्यवसायिक रिकॉर्ड की शुरुआत करते हैं।
- कलम और कागज़ की पूजा को लेखन, बुद्धि और ईमानदारी का प्रतीक माना जाता है।
🕉️ धार्मिक मान्यता और परंपरा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी के मन से हुआ था। उन्हें संसार के सभी प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने का दायित्व सौंपा गया था। इसी कारण से उन्हें कायस्थों के आराध्य देव माना जाता है।
कहा जाता है कि इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से ज्ञान, विवेक, निर्णय क्षमता और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
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पूजा विधि
लोग सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं, फिर पूजा स्थल पर भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति या चित्र स्थापित करते हैं। उसके बाद कलम, दवात, किताबें, अकाउंट बुक, और कागज़ की पूजा की जाती है। भोग के रूप में खीर, पूड़ी और मिठाई अर्पित की जाती है। पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्य भगवान चित्रगुप्त से अच्छे कर्म करने और ज्ञान के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। चित्रगुप्त पूजा सिर्फ धार्मिक आस्था का पर्व नहीं, बल्कि ज्ञान, सत्य और न्याय के प्रति सम्मान का प्रतीक भी है। इस दिन की गई पूजा व्यक्ति के जीवन में बुद्धि, विवेक और सफलता लेकर आती है।
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