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एनआईटी राउरकेला के वैज्ञानिकों की नई खोज: : ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर पहचान अब होगी आसान, सेमीकंडक्टर आधारित बायोसेंसर तकनीक विकसित

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Sameer Irfan

Updated At: 24 May 2025 at 06:31 AM


राउरकेला

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी), राउरकेला के शोधकर्ताओं ने कैंसर के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक नवीन सेमीकंडक्टर आधारित बायोसेंसर तकनीक विकसित की है, जिससे कैंसर का प्रारंभिक और सटीक पता बेहद आसान और किफायती हो सकेगा। यह तकनीक खासकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में कैंसर जांच को सुलभ बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है।

रासायनिक प्रक्रिया के बिना सटीक निदान
शोध से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार, यह बायोसेंसर बिना किसी अतिरिक्त रसायन की आवश्यकता के कार्य करता है और कैंसर कोशिकाओं को स्वस्थ कोशिकाओं से अत्यधिक प्रभावी ढंग से अलग कर सकता है। यह मौजूदा बायोसेंसिंग उपकरणों की तुलना में अधिक सटीक और तेज़ परिणाम देता है। इस शोध को अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका माइक्रोसिस्टम टेक्नोलॉजीज में प्रकाशित किया गया है।

स्तन कैंसर मामलों में तेजी से वृद्धि
एनआईटी राउरकेला के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रसन्न कुमार साहू ने बताया कि कैंसर विश्व स्तर पर एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है, और भारत में विशेष रूप से स्तन कैंसर के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि चूंकि कैंसर प्रारंभिक अवस्था में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाता, इसलिए समय रहते पहचान ही बचाव और इलाज का सबसे कारगर उपाय है।

ग्रामीण भारत के लिए वरदान
वर्तमान में एक्स-रे, मैमोग्राफी, एलिसा टेस्ट, अल्ट्रासोनोग्राफी और एमआरआई जैसे निदान उपकरण महंगे होने के साथ-साथ प्रशिक्षित स्टाफ और उच्च तकनीकी संसाधनों की भी माँग करते हैं। प्रो. साहू ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान इन चिकित्सा संसाधनों की कमी ने कैंसर स्क्रीनिंग की चुनौती को और बढ़ा दिया था। ऐसे में यह नई बायोसेंसर तकनीक ग्रामीण भारत के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। यह सस्ती, तेज़, सुलभ और पोर्टेबल है, जिससे किसी भी सामान्य स्वास्थ्य केंद्र में इसका उपयोग संभव हो सकेगा।

आशाओं को मिली नई दिशा
इस शोध ने कैंसर के शुरुआती और किफायती निदान की दिशा में एक नई राह खोली है, जिससे लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है। आने वाले समय में इस तकनीक के बड़े पैमाने पर उत्पादन और उपयोग से स्वास्थ्य सेवाओं में एक क्रांतिकारी बदलाव आने की संभावना है।

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