चंद्रयान-3 की लैंडिंग का काउंटडाउन शुरू; थोड़ी देर में चांद पर उतरेगा मिशन

admin
Updated At: 23 Aug 2023 at 11:09 PM
चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) आज शाम चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। ऐसा होने पर भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। सिर्फ भारतवर्ष ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक पल का टकटकी लगाए इंतजार कर रही है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है।
थोड़ी देर में चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर लैंडिंग
इसरो ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग का सीधा प्रसारण शुरू कर दिया है। थोड़ी देर में चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लैंडिंग करेगा।
थोड़ी देर में भारत बनाने वाला है रिकॉर्ड- कैलाश खेर
चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने से पहले गायक कैलाश खेर ने इसे भारत के लिए गर्व के क्षण करार दिया है। उन्होंने कहा कि भारत से प्यार करने वालों के लिए यह गर्व का क्षण है कि चंद्रयान उतरने जा रहा है। विज्ञान और अंतरिक्ष जटिल विषय हैं लेकिन मैं अपने साथी भारतीयों को सलाम करता हूं क्योंकि वे इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्हें आज के नेतृत्व का समर्थन प्राप्त है। मैं हमारे भारतीय मूल्यों, हमारी सनातन परंपराओं को सलाम करता हूं। उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों को शुभकामनाएं देता हूं कि यह शुभ अवसर हमारे पास है। यह उन सभी के लिए एक बड़ा क्षण है जो भारत से प्यार करते हैं। थोड़ी ही देर में भारत एक रिकॉर्ड बनाने वाला है।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग में अब दो घंटे से भी कम का वक्त
चांद की सतह पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग का पूरा देश बेसब्री से इंतजार कर रहा है। इसकी लैंडिग में अब दो घंटे से भी कम समय बचा है। बता दें कि लैंडिंग के लिए आखिरी के 15 से 19 मिनट बेहद चुनौतीपूर्ण हैं।
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जब चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह को छूने के लिए तैयार है, तब कांग्रेस ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा के बारे में बताया है। कांग्रेस ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा 1962 में INCOSPAR के गठन के साथ शुरू हुई। ये होमी भाभा और विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता के साथ-साथ देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के उत्साहपूर्ण समर्थन का परिणाम था।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा 23 फरवरी, 1962 को INCOSPAR (अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति) के गठन के साथ शुरू हुई, जिसका श्रेय होमी भाभा और विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता को जाता है। उन्होंने कहा कि समिति में देश भर के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों के शीर्ष वैज्ञानिक शामिल हैं जो सहयोग और टीम वर्क की भावना से एक साथ आ रहे हैं।
चंद्रयान-3 की आज लैंडिंग पर CSIR के वरिष्ठ वैज्ञानिक सत्यनारायण ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हम चंद्रमा की सतह को छूने वाले चार (देशों) के विशिष्ट समूह में शामिल होने जा रहे हैं। असफलताएं सबक देती हैं। हमने इनसे बहुत कुछ सीखा है। इसरो ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती है।
चांद की सतह पर अंकित होगा अशोक स्तंभ का निशान
इसरो के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया कि रोवर को लैंडर के चारों ओर 500 मीटर इलाके में घूमता है। इसमें दो पहिये हैं, एक पर हमने इसरो का लोगो उभारा है और दूसरे पहिये पर हमने अशोक स्तम्भ उकेरा है, ताकि जब रोवर चांद की सतह पर चलेगा, तो वो अपनी छाप या पदचिह्न छोड़ेगा। इसरो का लोगो और साथ ही चंद्रमा की सतह पर अशोक स्तंभ। रोवर इमेजर या कैमरा सिस्टम, जिसे हमने रोवर के पीछे लगाया है, जब भी रोवर आगे या पीछे जाएगा, हमेशा इलाके की तस्वीरें लेगा। तो इस तरह हमारा लोगो और अशोक स्तंभ चंद्रमा की सतह पर अंकित हो जाएगा। पिछली बार हमने चंद्रमा की सतह पर भारत का झंडा फहराया था। इस बार हमारे पास चंद्रमा की सतह पर इसरो का विशेष लोगो और अशोक स्तंभ उभरा हुआ होगा।
वैज्ञानिक ने बताया- चंद्रयान-3 के लैंडर ऐसे करेंगे लैंडिंग में मदद
विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक डॉ. टी. वी. वेंकटेश्वरन ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के उतरने की प्रक्रिया को समझाया है। उन्होंने कहा, "वास्तव में चंद्रयान-थ्री का लैंडर (विक्रम), चंद्रमा के दरवाजे पर है। कुछ घंटों के बाद ये सुरक्षित लैंडिंग करेगा। लैंडर पर दो महत्वपूर्ण कैमरे मौजूद हैं, पहला लैंडर पोजीशन डिटेक्शन कैमरा और दूसरा खतरे का पता लगाने और बचाव करने वाला कैमरा, इनका परीक्षण किया जा चुका है। लैंडर पर लगा कैमरा वास्तव में नीचे चंद्रमा की सतह का एक स्नैपशॉट लेगा। ये इसे एक तरफ रखेगा और उसकी तुलना चंद्रयान-टू की तस्वीरों से करेगा, जो पहले से ही उसकी मेमोरी में फीड है। इसके बाद ये बताएगा कि यान की वर्तमान स्थिति क्या है? खतरा टालने वाला कैमरा वास्तव में लैंडर के ठीक नीचे चंद्रमा की सतह पर खतरों का पता लगाएगा। ये एक ऐसे स्थान की तलाश करेगा, जो काफी हद तक समतल हो और यान को उस स्थान पर उतरने के लिए मार्गदर्शन करेगा।"
चंद्रयान-3 मिशन को लेकर इसरो ने अपने कमांड सेंटर की दो तस्वीरें जारी की हैं। एक्स पर किए गए पोस्ट में इसरो ने बताया कि लैंडर मॉड्यूल की लैंडिंग की प्रक्रिया 17.44 पर शुरू हो जाएगी। सेंटर से कमांड मिलने के बाद लैंडर मॉड्यूल अपने इंजनों को शुरू करेगा और मिशन ऑपरेशन टीम लगातार इसे कमांड भेजेगा। इस पूरी प्रक्रिया का लाइव टेलीकास्ट शाम 5 बजकर 20 मिनट से शुरू हो जाएगा।
चंद्रयान-3 मिशन पर इसरो के संस्थापक विक्रम साराभाई के बेटे कार्तिकेय साराभाई ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "यह एक बड़ा दिन है। यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि इस ग्रह पर किसी के लिए भी इतनी सटीकता से इसे भेजने के लिए एक शानदार बात है जिसके साथ हम चंद्रयान -3 भेजने में सक्षम हुए हैं और वह भी एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से जो दूसरों से अलग है... विज्ञान और इंजीनियरिंग में, हम गलतियों से सीखते हैं...यह मानवता के लिए बहुत बड़ी बात होगी क्योंकि चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर आज तक कोई नहीं उतर सका है।"
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