नरभक्षी सीरियल किलर ‘राजा कोलंदर’ को उम्रकैद की सजा: : खोपड़ी भूनकर खाई. दिमाग उबालकर सूप बनाया; 14 नृशंस कत्ल और नरमुंडों से भरा फार्महाउस , राजा कोलंदर की दरिंदगी की दास्तान

Faizan Ashraf
Updated At: 24 May 2025 at 05:38 PM
Skull Roasted, Brain Souped: India’s Notorious Serial Killer Gets Life Term for 14 Grisly Murders, Shocking Nation Again
लखनऊ की एडीजे कोर्ट ने 25 साल पुराने दोहरे हत्याकांड में शुक्रवार को कुख्यात सीरियल किलर राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को उम्रकैद और भारी जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ये सजा एक साथ चलेंगी और दोनों दोषियों को अपने जीवन की अंतिम सांस तक जेल में ही रहना होगा। हालांकि, अदालत ने यह भी माना कि यह मामला "दुर्लभतम से दुर्लभ" की श्रेणी में नहीं आता।
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रायबरेली डबल मर्डर केस: 25 साल बाद आया इंसाफ
राजा कोलंदर और उसके साले को यह सजा साल 2000 में रायबरेली के मनोज सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव के अपहरण और नृशंस हत्या के मामले में सुनाई गई। अधिवक्ता एमके सिंह ने अदालत से दोषियों को मृत्युदंड देने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने आजीवन कारावास का फैसला सुनाया।
पहले भी सुनाई जा चुकी है उम्रकैद
राजा कोलंदर और उसके साले को 2012 में प्रयागराज के पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी उम्रकैद की सजा मिल चुकी है। धीरेंद्र की हत्या की क्रूरता ने देश को हिला दिया था। हत्या के बाद उनका सिर और धड़ अलग-अलग स्थानों पर फेंक दिया गया था।
सीरियल किलिंग की डायरी से खुली दरिंदगी की परतें
धीरेंद्र हत्याकांड की जांच के दौरान जब पुलिस ने राजा कोलंदर के फॉर्महाउस और घर की तलाशी ली, तो एक डायरी मिली, जिसने पूरे देश को सन्न कर दिया। उस डायरी में 14 हत्याओं का ब्यौरा था। प्रत्येक पीड़ित का नाम, हत्या की विधि, और उसकी सनक का कारण लिखा हुआ था। कोलंदर ने पत्रकार धीरेंद्र को अपनी डायरी में 'धीरे-धीरे लाल' कहकर दर्ज किया था।
नरभक्षी मानसिकता: खोपड़ी भूनकर खाई, दिमाग का सूप पिया
पूछताछ में राजा कोलंदर ने मानव मांस खाने की बात कबूल की। उसने बताया कि वह कायस्थ समुदाय के काली प्रसाद की हत्या सिर्फ इसलिए कर बैठा क्योंकि उसे लगता था, कायस्थों का दिमाग तेज होता है और वह उस दिमाग को खुद में समेटना चाहता था। उसने खोपड़ी को भूनकर खाया और दिमाग का सूप बनाकर पीया।
सनकी मनोवृति: बेटों का नाम ‘अदालत’ और ‘जमानत’
राजा कोलंदर की मानसिकता का स्तर इस कदर विचलित था कि उसने अपने बेटों के नाम अदालत और जमानत रखे। वह खुद को ‘राजा’ समझता था और अपनी पत्नी को 'फूलन देवी' कहता था। उसकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य भी रही है। उसका मानना था कि जो उसे पसंद नहीं, वो उसकी अदालत में दोषी है और उसकी सजा केवल मौत है।
ओटीटी पर भी गूंजा उसका आतंक
राजा कोलंदर की दरिंदगी को नेटफ्लिक्स ने भी डॉक्यूमेंट्री रूप में दुनिया के सामने पेश किया। ‘इंडियन प्रीडेटर: द डायरी ऑफ ए सीरियल किलर’ नामक इस सीरीज़ ने कोलंदर के खौफ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया।
जेल में, लेकिन परिवार बेखबर
सजा सुनाए जाने के बावजूद राम सगरा गांव स्थित उसके परिवार को इस फैसले की जानकारी नहीं थी। उसकी सास ने कहा, “वह तो जेल में है, अब क्या सजा होई।” कोलंदर के बेटे अदालत और जमानत अब रोजगार के सिलसिले में बाहर रहते हैं।
राजा कोलंदर की कहानी किसी खौफनाक उपन्यास से कम नहीं। उसने जो किया, वह केवल हत्या नहीं, इंसानियत को रौंदने वाला कृत्य था। कोर्ट का फैसला अब उन तमाम पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए एक देर से सही लेकिन सुकून देने वाला न्याय है। भारत की न्याय व्यवस्था ने यह स्पष्ट कर दिया कि दरिंदगी चाहे जितनी गहरी हो, कानून की पकड़ उससे कहीं ज्यादा मजबूत है।
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