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सूर्योपासना का चार दिवसीय छठ पर्व नहाय खाय के साथ आज से

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admin

Updated At: 05 Nov 2024 at 12:02 PM

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ राज्योत्सव का किया शुभारंभ: कहा – छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश का प्रेम सगे भाईयों की तरह, डबल इंजन की सरकारें दोनों राज्यों को तेजी से लेकर जा रही विकास की राह पर छठ पूजा प्रकृति को समर्पित पर्व है जिसमें सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा होती है। कमलेश सिन्हा ने बताया कि यह पर्व चार दिनों तक चलता है जिसका आरंभ चतुर्थी तिथि से हो जाता है और समापन सप्तमी तिथि पर होता है, चतुर्थी पांच नवंबर को है। छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। लोहारीडीह कांड को लेकर राज्य सरकार ने SIT जांच के लिए टीम का किया गठन इस साल षष्ठी तिथि सात नवंबर दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और आठ नवंबर शुक्रवार को रात्रि 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। छठ पर्व के चार दिनों का महत्व छठ पर्व मुख्य रूप से षष्ठी तिथि को किया जाता है, लेकिन इसका आरंभ नहाय खाय से हो जाता है यानी छठ पर्व शुरुआत में पहले दिन व्रती नदियों में स्नान करके भात, कद्दू की सब्जी और सरसों का साग एक समय खाती हैं। एमपी के थानों में मंदिर निर्माण पर रोक हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा सवाल- किसके आदेश पर बन रहे दूसरे दिन खरना किया जाता है जिसमें शाम के समय व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैया को भोग लगाती हैं और पूरा परिवार इस प्रसाद को खाता है। तीसरे दिन छठ का पर्व मनाया जाता है जिसमें अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व को समापन किया जाता है। छत्तीसगढ़ में पैसे मांगने पर मरीज ने डॉक्टर को पीटा नशे में जख्मी होकर पहुंचा था IMI अस्पताल छठ पूजा की तिथियां - नहाय खाय : पांच नवंबर छठ पूजा के पहले दिन, श्रद्धालु नदी या तालाब में स्नान करते हैं और केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। महिलाएं दिन भर व्रत रखती हैं। खरना (Chhath Kharna): छह नवंबर को दूसरे दिन, व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खीर, रोटी और फल खाए जाते हैं। संध्या अर्घ्य (Chhath Sandhya Arag): सात नवंबर तीसरे दिन, व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। सुबह का अर्घ्य : आठ नवंबर चौथे दिन, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रती अपना व्रत संपन्न करते हैं और प्रसाद वितरण करते हैं। छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का प्रयोग किया जाता है। ये सभी प्रसाद शुद्ध सामग्री से बनाए जाते हैं और सूर्य देवता को अर्पित किए जाते हैं।

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