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जन्मदिन पर विशेष : : इंजीनियर से जनसेवा तक का प्रेरणादायक सफर, जनता के सरोकारों के नेता, विकास और संघर्ष की मिसाल यू. डी. मिंज:

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Faizan Ashraf

Updated At: 02 Mar 2025 at 04:56 AM

छत्तीसगढ़ की राजनीति में बदलाव की बयार लाने वाले नेताओं में एक नाम यू. डी. मिंज का भी है। वे सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि जनता की आवाज और विकास के प्रतीक बन चुके हैं। इंजीनियरिंग के बाद सरकारी नौकरी छोड़कर समाज सेवा का संकल्प लेना और फिर राजनीति में आकर जनसेवा को प्राथमिकता देना, यह उनकी दूरदर्शिता और संकल्प का परिचायक है।

राजनीति में प्रवेश: जुनून और संघर्ष का सफर

2 मार्च 1967 को जशपुर जिले के जोकारी गांव में जन्मे यू. डी. मिंज का प्रारंभिक जीवन न्यायधीश माता-पिता के संरक्षण में बीता। उच्च शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने भोपाल के एम.ए.सी.टी. से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और कुछ वर्षों तक सरकारी सेवा में कार्यरत रहे, लेकिन उनका मन समाज सेवा में अधिक रमता था। चार-पाँच वर्षों की नौकरी के बाद उन्होंने उसे छोड़ दिया और अपनी कर्मभूमि कुनकुरी को बना लिया।

उनका राजनीति से जुड़ाव छात्र जीवन से ही रहा। कॉलेज के दिनों में वे छात्र राजनीति में सक्रिय थे और बड़े राजनेताओं के सानिध्य में आकर अनुभव प्राप्त कर रहे थे। हालांकि, पारिवारिक दबाव में उन्होंने सरकारी नौकरी तो कर ली, लेकिन जनता के लिए कुछ बड़ा करने का सपना हमेशा उनके मन में रहा। अंततः उन्होंने राजनीति को ही अपना मिशन बनाया और सीधे जनता के बीच पहुंचे।

भाजपा के अभेद्य किले में कांग्रेस का परचम

जशपुर जिला लंबे समय तक भाजपा का अभेद गढ़ माना जाता था। यहाँ स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव ने दशकों तक भाजपा का नेतृत्व किया और जिले को भगवा रंग में रंगे रखा। 2003 से 2018 तक भाजपा ने प्रदेश में सत्ता कायम रखी, लेकिन 2018 में यू. डी. मिंज ने इतिहास रच दिया। कांग्रेस ने 35 वर्षों के वनवास के बाद इस गढ़ को भेद दिया और यू. डी. मिंज विधायक बनकर जनता की सेवा में समर्पित हो गए।

यह सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं थी, बल्कि जशपुर की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत थी। उनकी मेहनत, जनता के प्रति समर्पण और विकास कार्यों ने जनता का दिल जीत लिया। वे जनता से संवाद करने वाले नेता बने, जिनका मकसद सिर्फ चुनावी जीत नहीं, बल्कि जनता की सेवा और क्षेत्र का विकास था।

विकास पुरुष की छवि और जनता का विश्वास

यू. डी. मिंज ने विधायक बनने के बाद साबित किया कि राजनीति सिर्फ वादों और आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं हो सकती, बल्कि यह जनता के विकास का माध्यम भी हो सकती है। उन्होंने राजनीति में नई सोच और कार्यशैली को अपनाया।

जनता के बीच रहकर उनकी समस्याओं को समझा और समाधान निकाला, कई विकास योजनाओं को मूर्त रूप दिया और कुनकुरी को नए आयाम दिए, जनता की भागीदारी सुनिश्चित की, विपक्ष के सुझावों को भी महत्व दिया और "रिमोट कंट्रोल विधायक" बनने के बजाय हमेशा जनता के साथ खड़े रहे।

उनकी जनप्रियता और विकास कार्यों ने विपक्ष को चुनौती दी। विरोधियों ने उनकी छवि को धूमिल करने की कई कोशिशें कीं, लेकिन जनता के अपार समर्थन ने उन्हें हर बार और मजबूत बना दिया। कुछ विरोधी यह पचा नहीं पा रहे थे कि एक ईसाई नेता हिंदू बहुल क्षेत्र में इतना लोकप्रिय कैसे हो सकता है, लेकिन जनता ने उनके धर्म को नहीं, बल्कि उनकी सेवा और ईमानदारी को प्राथमिकता दी।

जनता के नेता, कांग्रेस के मजबूत स्तंभ

यू. डी. मिंज को राजनीति विरासत में नहीं मिली थी। न ही वे किसी बड़े नेता की छत्रछाया में पले-बढ़े। उन्होंने मेहनत और संघर्ष से अपना मुकाम बनाया।

2008 में जब पहली बार चुनाव लड़े, तो 8,000 मतों से हार गए। 2013 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया, लेकिन वे पार्टी के लिए काम करते रहे। 2018 में भाजपा की 29,000 वोटों की बढ़त को खत्म कर 4,000 वोटों से ऐतिहासिक जीत दर्ज की। फिर अगले विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा लेकिन फिर से नए हौसले के साथ अगली लड़ाई के लिए तैयार हो गए.

आज भले ही वे विधायक नहीं हैं, लेकिन उनकी जनप्रियता और राजनीतिक कद पहले से भी ज्यादा ऊँचा है। वे सिर्फ कुनकुरी नहीं, बल्कि पूरे जशपुर की राजनीति के केंद्र में हैं। उनकी लोकप्रियता और जनसेवा का जुनून विपक्ष के बड़े नेताओं को भी बेचैन कर देता है।

विकास की नई ऊँचाइयाँ और भविष्य की उम्मीदें

यू. डी. मिंज ने अपने कार्यकाल में यह साबित किया कि विकास सिर्फ भाषणों में नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर होता है। उनके कार्यों को देखते हुए जनता मानती है कि अगर उन्हें दोबारा अवसर मिला, तो जशपुर जिला विकास के नए आयाम छुएगा।

उनका मानना है कि जनता के लिए काम करना और क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देना ही मेरा धर्म है। वे मानते हैं कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है और एक जनप्रतिनिधि का कर्तव्य जनता की सेवा करना होता है। यही वजह है कि वे हमेशा जनता के बीच रहते हैं, उनकी समस्याओं को समझते हैं और समाधान के लिए तत्पर रहते हैं।

यू. डी. मिंज: नाम नहीं, राजनीति की धुरी

यू. डी. मिंज की कहानी सिर्फ एक नेता के संघर्ष की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने अपने क्षेत्र और जनता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

इंजीनियर से विधायक तक का उनका सफर इस बात का सबूत है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बदलाव संभव है। आज जनता उन्हें सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि अपने परिवार का हिस्सा मानती है। उनकी लोकप्रियता, संघर्ष और विकास की सोच ने उन्हें राजनीति में एक अलग पहचान दिलाई है।

यू. डी. मिंज अब सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि जशपुर की राजनीति की धुरी बन चुके हैं। उनके नेतृत्व में क्षेत्र ने जो तरक्की देखी, वह उनकी ईमानदारी, मेहनत और जनता के प्रति समर्पण का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

आज उनके जन्मदिन पर पूरा क्षेत्र उन्हें सलाम करता है और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।

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