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इस्लाम धर्म का प्रमुख त्योहार ईद मिलाद-उन-नबी कल

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admin

Updated At: 28 Sep 2023 at 03:28 AM

ईद-ए-मिलाद के रूप में जाना जाने वाला, मिलाद-उन-नबी पैगम्बर मुहम्मद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह उत्सव मुहम्मद के जीवन और उनकी शिक्षाओं की भी याद दिलाता है। मिलाद-उन-नबी इस्लामी पंचांग के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है। हालाँकि मुहम्मद का जन्मदिन एक खुशहाल अवसर है, लेकिन मिलाद-उन-नबी शोक का भी दिन है। यह इस वजह से क्योंकि रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही पैगम्बर मुहम्मद की मृत्यु भी हुई थी। इस साल,मिलाद-उन-नबी 27 सितंबर की शाम को शुरू होगा और 28 सितंबर की शाम को समाप्त होगा। ईद मिलाद-उन-नबी 12वें रबी-उल-अव्वल को मनाया जाता है, जो इस्लामी कैलेंडर का तीसरा महीना है। यह दिन शिया और सुन्नी संप्रदायों द्वारा अलग-अलग दिन मनाया जाता है। सुन्नी विद्वानों ने ईद मिलाद-उन-नबी मनाने के लिए 12वीं रबी-उल-अव्वल को चुना है। जबकि, शिया विद्वान 17वें रबी-अल-अव्वल को उत्सव मनाते हैं।यह दिन इस्लाम धर्म के संस्थापक प्रोफेट मोहम्मद की पैदाइस और उनके इस दुनिया से रुखसत होने का दिन है। अरबी भाषा में मौलिद शब्द का तात्पर्य जन्म से है और मौलिद उन नबी का मतलब हजरत मोहम्मद का जन्मदिन है। उनके इसी दिन रूख्सत (पर्दा) फरमाने के कारण इसे बारावफात भी कहा जाता है जहाँ बारा का मतलब है 12 और वफात का अर्थ है इंतकाल। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी क्यों मनाते हैं? ईद-ए-मिलाद (उर्दू) और मिलाद-उन-नबी (अरबी) के नाम से जाना जाने वाला यह त्यौहार इस्लाम के आखरी पैगंबर हज़रत मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाते है। आपका जन्म 8 जून, 570 ई.को मक्का (सऊदी अरब) में हुआ था। यह पर्व मुहम्मद के जीवन और उनकी शिक्षाओं को याद करने के अवसर के रूप में मनाया जाता है। मुसलमानों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है, इस दिन पैगंबर के बताए गए रास्ते को याद करते हुए, इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान की तिलावत की जाती है। मान्यता है कि इस दिन को जो व्यक्ति नियम से निभाता है वह अल्लाह के और भी करीब चला जाता है, इस्लाम धर्म को मानने वालों में यह एक प्रमुख त्योहार है। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी कैसे मनाते हैं? ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन इस्लामिक मान्यता वाले लोग पैगम्बर मुहम्मद के एक प्रतीक को शीशे के ताबूत में रखकर जुलूस निकालते हैं और हजरत मोहम्मद के जीवन का बखान करते हुए शांति संदेश देते हैं। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर लोग मिठाइयां और अन्य पकवान बांटते है, इस दिन शहद बांटने का विशेष महत्व है। कई विद्वानों की माने तो ऐसा इसलिए क्योंकि शहद प्रोफेट मुहम्मद को सबसे ज्यादा अज़ीज था। इस मौके पर मुस्लिम मस्जिदों में जाकर अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ते हैं और गीत गाते हैं। हालांकि मुहम्मद का जन्मदिन खुशी मनाने का अवसर होता है, लेकिन इस दिन शोक भी मनाया जाता है। जिसके पीछे की वजह रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही पैगम्बर मुहम्मद का इंतकाल हुआ था।

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