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आरक्षण बिल 'किलर': भाजपा ने कहा- सरकार ने फंसाया पेंच, कांग्रेस बोली- मोदी करियर किलर पीएम

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admin

Updated At: 29 Dec 2022 at 04:23 PM

छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही आरक्षण बिल पास नहीं होने और विवाद को लेकर एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। भाजपा का कहना है कि जब आरक्षण बचाया जा सकता था, तो ऐसा क्यों नहीं किया गया। वहीं कांग्रेस का कहना है कि जब कर्नाटक में बढ़ सकता है तो छत्तीसगढ़-झारखंड में क्यों नहीं। छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन बिल पर लगी बयानबाजी की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। भाजपा और कांग्रेस ने बिल को लेकर फिर एक-दूसरे पर निशाना साथा है। भाजपा ने जहां कांग्रेस सरकार को दिवालिया करियर किलर सरकार बताते हुए कहा है कि आरक्षण का पेंच इन्होंने ही फंसाया है। वहीं कांग्रेस ने भाजपा को आरक्षण किलर पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी को करियर किलर पीएम बताया है। भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि, इस सरकार के पास युवाओं को नौकरी देने के लिए पैसे नहीं हैं, इसलिये आरक्षण का पेंच फंसा दिया है। पूरा प्रदेश अभी आरक्षण की आग में जल रहा है और इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि, अनुसूचित जनजाति आदिवासी वर्ग का 32 प्रतिशत आरक्षण समाप्त करने के लिए कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है। भाजपा ने इन बिंदुओं पर उठाए सवाल आरक्षण मामले पर चार साल में क्या क्या किया, इस पर कांग्रेस सरकार श्वेत पत्र जारी करे। कांग्रेस अनुसूचित जाति जनजाति व ईडब्ल्यूएस के लोगों को आरक्षण देना ही नहीं चाहती। भूपेश सरकार के 76 प्रतिशत आरक्षण वाले विधेयक के बाद भी हर वर्ग में असंतोष है। सभी ने राज्यपाल को ज्ञापन दिया है। राज्य सरकार क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राजभवन को दिए गए जवाब सार्वजनिक करे, पता चल जाएगा सरकार कितनी झूठी है। स्वतंत्रता के बाद से कांग्रेस लगातार आरक्षण के नाम पर घटिया राजनीति करती रही है। कांग्रेस के कारण छत्तीसगढ़ में कंस्टीट्यूशनअल ब्रेकडाउन हो गया है ऐसी स्थिति कभी नहीं थी। हाईकोर्ट में आरक्षण बचाने सरकार ने कुछ नहीं किया पूर्व मंत्री अग्रवाल ने कहा कि, साल 2012 से आदिवासी समाज को 32 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा था। 19 सितंबर 2022 को आरक्षण 20 प्रतिशत हो गया। 2 दिसंबर को यानी 70 दिन बाद विधेयक लाए। चार साल से कांग्रेस की सरकार है। हाइकोर्ट में आरक्षण बचाने कुछ नहीं किया। जब इनके अधिकारियों का मामला होता है तो करोड़ो रुपये देकर बड़े वकील लगाते हैं। न अध्यादेश लाये और न सुप्रीम कोर्ट से स्थगन लिया। भाजपा नहीं चाहती कि राज्यपाल बिल पर हस्ताक्षर करें वहीं कांग्रेस ने इसे लेकर पलटवार किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बयान से स्पष्ट हो गया कि भाजपा नहीं चाहती कि राजभवन आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर करे। बृजमोहन अग्रवाल ने एक बार भी नहीं कहा कि आरक्षण विधेयक पर तत्काल निराकरण हो। वे बार-बार विधेयक के संबंध में अनावश्यक बातें करते रहे। उन्होंने कहा कि, भाजपा आरक्षण विधेयक को कानून बनने से रोकने का मंशा रखती है। भाजपा आरक्षण किलर पार्टी, मोदी कैरियर किलर पीएम है। राज्यपाल ने खुद होकर हस्ताक्षर करने की बात कहा था फिर विधेयक क्यों रुका है? किसके कहने पर रुका है? सरकार के 10 सवालों के जवाब के बाद भी हस्ताक्षर क्यों नहीं हो रहा है? यह सब भाजपा की साजिश है। कांग्रेस को श्रेय न मिले इसलिए हस्ताक्षर नहीं होने दे रही है। कांग्रेस नेता शुक्ला ने कहा कि, भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि, आदिवासी समाज को दिए गए 32 प्रतिशत आरक्षण पर आपत्ति है या अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए किए गए 27 प्रतिशत आरक्षण से असहमत है? इस बात का विरोध है कि नए आरक्षण विधेयक में अनुसूचित जाति के लिए 13 प्रतिशत आरक्षण के लिए विरोध कर रही है? या गरीब सवर्णों के 4 प्रतिशत आरक्षण के विरोध में भाजपा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि, आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ऊपर नहीं होगी यह निर्णय इंदिरा साहनी प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट में दिया था। मोदी सरकार ने लोकसभा में कानून बनाकर 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के आरक्षण को लागू करवा कर उस सीमा को पार कर दिया। आज देश में 60 प्रतिशत आरक्षण लागू है। ईसुप्रीम कोर्ट ने भी सही मान लिया। फिर छत्तीसगढ़ के 76 प्रतिशत आरक्षण को किस आधार पर गलत बताया जा रहा है? https://admin.cgnow.in/the-bus-going-from-sitapur-in-uttar-pradesh-to-chhattisgarh-went-out-of-control-and-fell-into-a-waterlogged-ravine-20-passengers-were-injured/ उन्होंने कहा कि, आरक्षण बढ़ाने संबंधी विधेयक जब कर्नाटक विधानसभा में पारित होता है तब वहां पर राज्यपाल हस्ताक्षर करते हैं। वैसा ही आरक्षण विधेयक छत्तीसगढ़ और झारखंड विधानसभा में पारित किया जाता है तो राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं करते है। कर्नाटक में आपकी सरकार ने विधेयक बनाया तो श्रेय आपकी पार्टी को मिलेगा। आरक्षण विधेयक को भाजपा के इशारे पर राजभवन में रोका गया है। भाजपा नहीं चाहती कि छत्तीसगढ़ में आरक्षण लागू हो।

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