सैयद समीर इरफ़ान
जिन्दा रहते जिस हस्ती ने मुंछे दाँव लगा कर तीन पारी की सत्ता दिलाई, मरणोपरांत अब उनकी आदमकद मूर्ति भाजपा के सत्ता की राह आसान करेगी? भाजपा का जनाधार बढेगा? ये यक्ष प्रश्न नहीं है आम जनमानस का सोंच है कि इस कार्यक्रम के बाद भाजपा का राजनैतिक मार्ग प्रशसस्त होगा ,भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ता ऊर्जावान हो जायेंगे. रियासत के ग्रामीण और आदिवासी स्व. दिलीप सिंह जूदेव के नाम से एकजुट होकर वर्तमान राजनीति की दिशा बदल सकते है. आज पूर्व केंद्रीय मंत्री और सबके दिलों में बसने वाले कुमार स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत पहुंच रहे है.
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फोटो : स्व. दिलीप सिंह जूदेव मूर्ति सह संघ प्रमुख मोहन भागवत[/caption]
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जूदेव का जादुई व्यक्तित्व
14 अगस्त 2013 क़ो दिलीप सिंह जूदेव का निधन हुआ, उनकी आदमकद प्रतिमा लगाने की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने की थी, उनके निधन के बाद भाजपा सत्ता के तीसरे पायदान पर चढ़ शायद यह भूल गईं की स्व. दिलीप सिंह जूदेव एक भाजपा नेता के साथ साथ हिन्दुत्त्व के हस्ती थे.जो भी स्व. दिलीप सिंह जूदेव के नजदीक आया वह उनके जादुई व्यक्तित्व का आजीवन कायल रहा. उनके इसी व्यवहार के कारण उनके आभमंडल से अपने जीवन काल में बाहर नहीं आ सका. चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का आम हो या खास उनके जादुई व्यक्तित्व ने सबको घेरे रखा. इसके बाद भाजपा के नेता उनके नाम का सहारा लेकर तीसरी पारी भी जीत गईं लेकिन स्व दिलीप सिंह जूदेव और उनके हस्ती क़ो सम्मान देने में लेट कर गई. उनके चाहने वालों ने भाजपा क़ो सत्ता से बेदखल कर दिया

स्व दिलीप सिंह जूदेव के नाम के बदौलत जिन्होंने अपना नाम बनाया, सत्ताशीन रहे, लालबत्तीयों में अपनी शान बढ़ाई, वो ये भूल गए कि स्व दिलीप सिंह जूदेव ने अपनी आन बान और शान क़ो दर किनार कर राजपुताना स्वाभिमान का प्रतीक अपनी मूँछ दांव लगा कर इन्हें सत्ता दिलाई जिसका उपयोग और उपभोग उन्होंने जूदेव के नाम पर खूब किया पर मरणोपरांत उनके सम्मान से समझौता किया गया,उनकी आदमकद प्रतिमा क़ो सम्मान देने में सत्ता रहते पाँच साल, विपक्ष में रहते 4 साल लग गए.
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फोटो :- संघ प्रमुख मोहन भागवत[/caption]
बहरहाल देर से ही सही लेकिन आगामी 14 नवम्बर क़ो तय हुआ है कि आरएसएस सर संघचालक मोहन भागवत स्व दिलीप सिंह जूदेव की आदमकद प्रतिमा का अनावरण करेंगे अंततः देर से ही सही स्व दिलीप सिंह जूदेव क़ो उचित सम्मान सही मायने मिल रहा है. इसका राजनैतिक लाभ कितना मिलेगा यह तो वक्त ही तय करेगा.
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RSS प्रमुख मोहन भागवत दो दिन के छत्तीसगढ़ दौरे पर रहेंगे,वह 14 नवंबर को रांची से जशपुर पहुंचेंगे. वह अंबिकापुर और जशपुर जिले में अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल होंगे, संघ प्रमुख का यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि वह यहां संघ की प्रांतीय बैठक में हिस्सा लेंगे इसके अलावा पथ संचलन में भी शामिल होंगे. इस ऐतेहासिक प्रवास के दौरान मोहन भागवत, वनवासी कल्याण आश्रम में दो रात बिताएंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार मोहन भागवत,13 नवम्बर की रात को जशपुर पहुचेंगे।

अगले दिन 14 नवम्बर को उनके दिन की शुरुआत कल्याण आश्रम,परिसर में होने वाले प्रार्थना और शाखा में शामिल होने से होगी। दोपहर 12 बजे, मोहन भागवत, बिरसा मुंडा चौक में भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित कर, विशाल शोभायात्रा को रवाना करेंगे। सुरक्षागत कारणों से उनका इस शोभायात्रा में शामिल होने की संभावना नहीं है। दोपहर 2 बजे, प्रतिमा का अनावरण करने के बाद मोहन भागवत, रणजीता स्टेडियम में में आयोजित आम सभा मे शामिल होंगे
दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का करेंगे अनावरण
मोहन भागवत 14 नवंबर को जशपुर में दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का अनावरण करेंगे, इसके अलावा वह बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण करेंगे, जबकि यहां वनवासी कल्याण आश्रम की आमसभा को संबोधित करेंगे. इसके बाद 15 नवंबर को अंबिकापुर में आरएसएस के पथ संचालन और सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होंगे, जहां वह संघ के कार्यकर्ताओं को भी संबोधित करेंगे. जानकारों का मानना है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का ये दौरा बहुउद्देशीय है, यही वजह है कि उनके दौरे को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं.
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बताया जा रहा है कि अंबिकापुर में संघ प्रमुख पथ संचलन और कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के बाद शहर के डॉक्टर, वकील, सीए, साहित्यकार सहित सूचीबद्ध बुद्धिजीवी वर्ग से जुड़े लोगों से मुलाकात कर संवाद करेंगे.
दरअसल, सरगुजा संभाग में आरएसएस अपनी शाखाओं का विस्तार एवं मजबूत करने में जुटा है. संघ के कार्यकर्ता लगातार आदिवासी लोगों के बीच काम कर रहे हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि शाखाओं का विस्तार करने में संघ प्रमुख का यह दौरा अहम साबित हो सकता है.
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आगामी चुनाव के लिहाज से भी अहम दौरा....
खास बात यह है कि 2023 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होना है, ऐसे में राज्य में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है, बीजेपी नेताओं का भी मानना है कि संघ प्रमुख का सरगुजा संभाग के दौरे पर रहने से फायदा मिलेगा, क्योंकि संघ को बीजेपी का बैकबोन भी कहा जाता है. राज्य में आदिवासी आबादी प्रदेश की सत्ता का रास्ता तय करती है, ऐसे में बीजेपी 2018 के नतीजों को देखते हुए इस इलाके में अपना खोया जनाधार वापस लाने में जुटी है. यही वजह है की संघ के साथ-साथ बीजेपी भी यहां सक्रिय बनी हुई है. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि संघ प्रमुख का यह छत्तीसगढ़ बीजेपी के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है. संघ प्रमुख के दौरे की तैयारियां यहाँ जोरों पर हैं.
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी.......
स्व दिलीप सिंह जूदेव RSS के लिए तुरूप का एक्का रहे संघ के सभी बड़े पदाधिकारियों से छोटे कार्यकर्त्ता तक के लिए आँखों के तारे बने रहे .इसलिए संघ ने उन्हें स्टार बना दिया उन्हें हिन्दुत्त्व के लिए काम करने की बागडोर सौंप दी गईं उन्होंने अपने जीवनकाल में दी गईं जिम्मेदारी क़ो बखूबी निभाया. जशपुर कुमार दिलीप सिंह जूदेवने हिन्दुत्त्व के रक्षा की दिशा में सर्वस्व लुटा दिया.
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उन्होंने पदयात्रा से अपनी पहचान बनाई, राजा से फ़क़ीर के रास्ते निकल पड़े धर्मान्तरण का जमकर विरोध किया फिर उन्होंने पैर धोकर धर्मांतरित आदिवासियों क़ो मूल धर्म में लाने ऑपरेशन घरवापसी अभियान का नेतृत्व किया .जिसके बाद स्व जूदेव की लोकप्रियता तेजी से बढ़ती गई और छत्तीसगढ़ में अपनी मूछों को दांव पर लगाकर 2003 में कांग्रेस की सरकार का सफाया कर दिया, स्व जूदेव के बदौलत 15 साल लगातार भाजपा ने छत्तीसगढ़ में सरकार चलाया, जैसे ही उनकी उपेक्षा हुई 2018 में हुई सरकार चली गई .

अब वर्षों बाद फिर स्व. जूदेव चर्चा में है देखना है भविष्य में इसका लाभ कितना भाजपा क़ो मिल पायेगा. स्व दिलीप सिंह जूदेव की मूर्ति का आशीर्वाद मिलता है, या फिर उनकी मूर्ति यूँ ही मुस्कुराते हुए खामोश रहेगी....या मन ही मन शेर गुनगुनाएंगे...
राज़ी हैं हम उसी में,जिसमें तेरी रजा है।
इसमें भी वाह वाह है उसमें भी वाह वाह है।
मुश्किल में रहने वालों को किस बात की परवाह है .. इसमें भी वाह वाह है उसमें भी वाह है ..
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