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कब से हो रही है पितृपक्ष की शुरुआत? जानें तर्पण विधि और श्राद्ध पक्ष की तिथियां

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admin

Updated At: 13 Sep 2023 at 01:32 PM

पितृपक्ष पितरों को समर्पित है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। पंचांग के अनुसार पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से होती है और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर इसका समापन होता है। पितृपक्ष यानी श्राद्ध का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृपक्ष में पितरों को तर्पण देने और श्राद्ध कर्म करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान न केवल पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है, बल्कि उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए भी किया जाता है। पितृपक्ष में श्रद्धा पूर्वक अपने पूर्वजों को जल देने का विधान है। ऐसे में चलिए जानते हैं तर्पण विधि, नियम, सामग्री और मंत्र के बारे में... कब से शुरू हो रहा है पितृपक्ष 2023 ? पितृपक्ष की शुरुआत इस साल 29 सितंबर 2023 से हो रही है। इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा। दिनांक दिन तिथि/श्राद्ध 29 सितंबर 2023 शुक्रवार पूर्णिमा श्राद्ध 29 सितंबर 2023 शुक्रवार प्रतिपदा श्राद्ध 30 सितंबर 2023 शनिवार द्वितीया श्राद्ध 01 अक्टूबर 2023 रविवार तृतीया श्राद्ध 02 अक्टूबर 2023 सोमवार चतुर्थी श्राद्ध 03 अक्टूबर 2023 मंगलवार पंचमी श्राद्ध 04 अक्टूबर 2023 बुधवार षष्ठी श्राद्ध 05 अक्टूबर 2023 गुरुवार सप्तमी श्राद्ध 06 अक्टूबर 2023 शुक्रवार अष्टमी श्राद्ध 07 अक्टूबर 2023 शनिवार नवमी श्राद्ध 08 अक्टूबर 2023 रविवार दशमी श्राद्ध 09 अक्टूबर 2023 सोमवार एकादशी श्राद्ध 11 अक्टूबर 2023 बुधवार द्वादशी श्राद्ध 12 अक्टूबर 2023 गुरुवार त्रयोदशी श्राद्ध 13 अक्टूबर 2023 शुक्रवार चतुर्दशी श्राद्ध 14 अक्टूबर 2023 शनिवारसर्व पितृ अमावस्या पितृपक्ष में तर्पण विधि पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए। तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए। तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करें और गलतियों के लिए क्षमा मांगें। पितृपक्ष 2022 प्रार्थना मंत्र 1- पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।। 2- ॐ नमो व :पितरो रसाय नमो व: पितर: शोषाय नमो व: पितरो जीवाय नमो व: पीतर: स्वधायै नमो व: पितर: पितरो नमो वो गृहान्न: पितरो दत्त:सत्तो व:।। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए जो भी श्राद्ध कर्म करते हैं, उन्हें इस दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए। साथ ही इन दिनों में घर पर सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए। तामसिक भोजन से पूरी तरह परहेज करना चाहिए।

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