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नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई: : बीजापुर-दंतेवाड़ा में नक्सली ऑपरेशन में 22 नक्सली ढेर, भारी मात्रा में हथियार बरामद, एक जवान शहीद

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Bijapur-Dantewada: 22 Naxals killed in operation, huge cache of weapons recovered, one soldier martyred.रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। इस ऑपरेशन में कुल 22 नक्सली मारे गए, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है। हालांकि, इस संघर्ष में एक वीर जवान ने भी अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।गुप्त सूचना के आधार पर सुरक्षाबलों ने बीजापुर और दंतेवाड़ा के घने जंगलों में सर्च ऑपरेशन शुरू किया। इस अभियान में डीआरजी, एसटीएफ और सीआरपीएफ की संयुक्त टीमों को तैनात किया गया था। जैसे ही जवानों ने जंगल में प्रवेश किया, नक्सलियों ने अचानक हमला कर दिया। सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई में 22 नक्सलियों को ढेर कर दिया, जिससे इस ऑपरेशन को एक बड़ी सफलता मिली।मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी और जंगलों में तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान जवानों को एके-47, इंसास, एसएलआर जैसे अत्याधुनिक हथियार, हजारों की संख्या में कारतूस, आईईडी विस्फोटक सामग्री, नक्सली वर्दी और प्रचार सामग्री बरामद हुई।मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस सफल अभियान के लिए सुरक्षाबलों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सरकार का संकल्प है कि छत्तीसगढ़ को पूरी तरह से नक्सल मुक्त बनाया जाएगा। उन्होंने इस कार्रवाई को उन निर्दोष लोगों के लिए न्याय करार दिया, जिन्हें नक्सलियों ने वर्षों तक पीड़ा दी है।गृह मंत्री ने इस ऑपरेशन को ऐतिहासिक जीत बताते हुए कहा कि यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा एजेंसियां नक्सलवाद को खत्म करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब नक्सलियों के पास दो ही रास्ते बचे हैं – या तो वे आत्मसमर्पण करें या फिर मारे जाएं।मुठभेड़ के बाद भी सुरक्षाबलों का सर्च ऑपरेशन जारी है। जवानों को उम्मीद है कि कुछ और नक्सली घायल अवस्था में जंगलों में छिपे हो सकते हैं या भागने की कोशिश कर सकते हैं। इस ऑपरेशन के बाद बस्तर में नक्सलियों का नेटवर्क पहले से कहीं अधिक कमजोर हो गया है।बीते कुछ महीनों में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ लगातार कड़ी कार्रवाई की है, जिससे उनका प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है। कई बड़े नक्सली नेताओं ने आत्मसमर्पण भी किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है।राज्य सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा को और कड़ा करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही, गांवों में विकास योजनाओं को तेजी से लागू किया जाएगा ताकि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति स्थापित की जा सके। आने वाले समय में सुरक्षाबलों का अभियान और अधिक आक्रामक होगा ताकि छत्तीसगढ़ को पूरी तरह से नक्सल मुक्त बनाया जा सके।इस बड़ी सफलता ने साबित कर दिया है कि अब नक्सलवाद के दिन गिने-चुने रह गए हैं। सुरक्षाबलों की इस वीरता ने छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ा दिया है।

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