अंबिकापुर। सरगुजा कल एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने जा रहा है। 73 वर्ष बाद पहली बार देश की राष्ट्रपति अंबिकापुर पहुंचेंगी। भारत की पहली जनजातीय और महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 20 नवंबर को सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में आयोजित राज्य स्तरीय जनजातीय गौरव दिवस समारोह 2025 में शामिल होंगी। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आयोजित यह कार्यक्रम उत्साह और गौरव से भरपूर होने वाला है।
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73 वर्षों बाद लौट रही है राष्ट्रपति की उपस्थिति
1952 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद सरगुजा आए थे। उन्होंने पंडो और कोरवा जनजातियों की स्थिति को करीब से समझा और सरगुजा में ही 8 वर्षीय बसंत पंडो को गोद लेने की घोषणा की थी।
आज बसंत पंडो 80 वर्ष के हो चुके हैं, और पूरा पंडो समाज राष्ट्रपति के फिर से सरगुजा आगमन को भावनात्मक जुड़ाव के रूप में देख रहा है। समाज चाहता है कि बसंत पंडो की मुलाकात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराई जाए।
साल 1952 की यह ऐतिहासिक यात्रा आज भी सरगुजा में मौजूद देश के एकमात्र ग्रामीण राष्ट्रपति भवन स्मारक के रूप में जीवंत है।
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अंबिकापुर तैयार—उत्साह चरम पर
राष्ट्रपति मुर्मू के आगमन को देखते हुए शहर में तैयारियां पूरी गति पर हैं। गांधी स्टेडियम में हेलीपैड का निर्माण पूरा कर लिया गया है और पीजी कॉलेज ग्राउंड में मुख्य मंच सज रहा है।
अपर कलेक्टर सुनील कुमार नायक ने पूरी व्यवस्था का निरीक्षण किया और सुरक्षा, यातायात तथा स्वागत व्यवस्था की रूपरेखा तय की गई है।समारोह में—राष्ट्रपति जनजातीय नृत्य महोत्सव के विजयी दलों को सम्मानित करेंगी। मुख्यमंत्री अखरा विकास योजना तथा मुख्यमंत्री गुनिया बैगा सम्मान निधि का शुभारंभ करेंगी। इन योजनाओं से जनजातीय परंपरा, संस्कृति और सामाजिक सम्मान को नई पहचान मिलने की उम्मीद है।
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एसपीजी ने संभाली सुरक्षा, शहर बना सुरक्षा घेरा
राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए एसपीजी की विशेष टीम अंबिकापुर पहुंच चुकी है। शहर के प्रमुख मार्गों, कार्यक्रम स्थल और हेलीपैड ज़ोन में कड़े सुरक्षा इंतज़ाम किए गए हैं।
कार्यक्रम में गवर्नर, मुख्यमंत्री, मंत्रीगण, सांसद, विधायक और वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।
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सरगुजा के लिए गौरव का पुनरुत्थान
स्थानीय जनजातीय समुदाय इस क्षण को अपने इतिहास का नया अध्याय मान रहा है।1952 ने सरगुजा को राष्ट्रीय पहचान दिलाई थी—और 2025 एक बार फिर उसी गौरव को पुनर्जीवित करने जा रहा है। कल जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अंबिकापुर की धरती पर उतरेंगी, सरगुजा 73 वर्षों बाद फिर से वही गौरवशाली पल महसूस करेगा।

