रायपुर।
छत्तीसगढ़ में सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में मीडिया कवरेज को लेकर जारी किया गया विवादित आदेश अब सरकार ने वापस ले लिया है। पत्रकारों और आम जनता के विरोध को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बुधवार को यह अहम घोषणा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि जारी आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है और भविष्य में ऐसा कोई भी निर्णय पत्रकार संगठनों की सहमति के बिना नहीं लिया जाएगा।
“मीडिया हमारा आईना है” – मंत्री जायसवाल
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। यह जनता को सच्चाई से अवगत कराता है और जहां सरकार की कमियां होती हैं, उन्हें उजागर करता है। हमारा उद्देश्य कभी भी मीडिया कवरेज को रोकना नहीं रहा।” उन्होंने भरोसा दिलाया कि मीडिया की भूमिका को सम्मान देते हुए आगे संवाद और पारदर्शिता के आधार पर सभी निर्णय लिए जाएंगे।
अंबेडकर चौक पर पत्रकारों का प्रदर्शन बना दबाव
मालूम हो कि मंगलवार को रायपुर समेत प्रदेशभर के पत्रकारों ने अंबेडकर चौक में जोरदार प्रदर्शन किया था। डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष पत्रकारों ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के उस आदेश को तुगलकी फरमान बताते हुए नारेबाजी की, जिसमें पत्रकारों के अस्पतालों में प्रवेश और कवरेज को जनसंपर्क अधिकारी या लाइजनिंग ऑफिसर की अनुमति से जोड़ा गया था।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि यह आदेश प्रेस की स्वतंत्रता और जनहित में रिपोर्टिंग के अधिकार का उल्लंघन है, जिससे सरकारी अस्पतालों की खामियों को छिपाया जा सकता है। पत्रकारों ने सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि तीन दिनों में आदेश वापस नहीं लिया गया, तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
विवादित आदेश पर होगी विस्तृत चर्चा
मंत्री जायसवाल ने यह भी कहा कि जिन बिंदुओं पर पत्रकारों को आपत्ति है, उन पर सचिव के विदेश दौरे से लौटने के बाद विस्तार से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित अधिकारियों को विवादित आदेश निरस्त करने की सूचना भेज दी गई है, और निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में कोई भी ऐसा निर्णय पत्रकारों से परामर्श के बाद ही लिया जाए।
सरकार ने माना मीडिया की भूमिका अहम
स्वास्थ्य मंत्री ने माना कि मीडिया के बिना प्रशासनिक पारदर्शिता संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार पत्रकारों के साथ सौहार्दपूर्ण संवाद बनाए रखेगी और उनके सुझावों को गंभीरता से सुनेगी।