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छत्तीसगढ़ी भाषा और लोक संस्कृति के प्रांतीय सम्मेलन: : सादरी और कुडूख की नई उड़ान

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Faizan Ashraf

Updated At: 03 Mar 2025 at 11:06 AM

छत्तीसगढ़ की समृद्ध भाषा और सांस्कृतिक धरोहर को नया आयाम देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा आठवां प्रांतीय सम्मेलन रायपुर के होटल कैसल वुड में 01 और 02 मार्च 2025 को आयोजित की गई इस सम्मेलन में प्रदेशभर के लगभग 450 से अधिक साहित्यकारों भाषाविदों शिक्षाविदों और क्षेत्रीय कलाकारों ने भाग लिया इस ऐतिहासिक अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री माननीय विष्णु देव साय जी ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए छत्तीसगढ़ी भाषा और क्षेत्रीय बोलियों को सशक्त बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ी केवल संवाद का माध्यम ही नहीं अपितु हमारी संस्कृति की आत्मा है इसे सहेजना और आने वाली पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है हमारी सरकार छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है नई शिक्षा नीति 2020 के तहत 18 क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकों का लेखन पूर्ण हो चुका है जिससे बच्चों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा मुख्यमंत्री साय जी ने यह भी घोषणा की कि छत्तीसगढ़ी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में लिखी गई पुस्तकों को प्रदेश के सभी स्कूलों के पुस्तकालय तक पहुँचाया जाएगा जिससे छात्र-छात्राएँ अपने क्षेत्रीय साहित्य और भाषा की समृद्धि को आत्मसात कर सकेंगे

सम्मेलन के मुख्य सत्र भाषा और साहित्य का महाकुंभ यह प्रांतीय सम्मेलन आठ प्रमुख सत्रों में विभाजित था जिनमें छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य मानकीकरण स्थानीय बोलियों का महत्व प्रशासनिक कार्यों में छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रयोग एवं महिला साहित्यकारों की भूमिका जैसे विषयों पर गहन चर्चा-परिचर्चा हुई प्रमुख सत्रों में शामिल थे पुरखा के सुरता – छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य के पूर्वजों को नमन छत्तीसगढ़ी साहित्य में महिला साहित्यकारों की भूमिका – महिलाओं की साहित्यिक योगदान पर चर्चा छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन – प्रदेश के कवियों ने अपनी रचनाओं से समां बांधा छत्तीसगढ़ी भाषा का मानकीकरण – भाषा को एकरूपता देने के प्रयास छत्तीसगढ़ी भाषा और स्थानीय बोलियों का अंतर्संबंध – विभिन्न बोलियों के योगदान पर चर्चा प्रशासनिक कार्यों में छत्तीसगढ़ी का उपयोग – भाषा को सरकारी कार्यों में लागू करने के तरीके खुला सत्र – प्रतिभागियों के विचारों और सुझावों का मंच इन सत्रों में प्रदेश के जाने-माने कवि लेखक शिक्षाविद और भाषा प्रेमियों ने अपने विचार साझा किए और छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया

सादरी और कुडूख को मिली नई पहचान सम्मेलन में जशपुर जिले के वरिष्ठ साहित्यकारों और शोधकर्ताओं ने सादरी और कुडूख जैसी क्षेत्रीय भाषाओं की महत्ता को रेखांकित किया डॉ कुसुम माधुरी टोप्पो ने अपने वक्तव्य में बताया कि कुडूख भाषा न केवल जनजातीय संस्कृति की पहचान है बल्कि इसका छत्तीसगढ़ी भाषा से गहरा संबंध भी है इसे स्कूली शिक्षा में शामिल करना आवश्यक है मुकेश कुमार जिला समन्वयक जशपुर एवं सादरी शोधार्थी साहित्यकार ने सादरी भाषा के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा देने की पहल सराहनीय है उन्होंने घोषणा की वे अपने शोध कार्यों के माध्यम से सादरी लोक साहित्य को नई दिशा देने का प्रयास करेंगे जिससे छात्र-छात्राओं के अध्ययन-अध्यापन में सुविधा होगी इस सत्र में साहित्यकारों ने यह भी बताया कि कैसे सादरी और कुडूख जैसी भाषाएँ छत्तीसगढ़ी संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं और इनका उचित दस्तावेजीकरण और प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है

छत्तीसगढ़ी भाषा के संवर्धन में साहित्यकारों की भूमिका इस सम्मेलन में जशपुर जिले से 15 प्रमुख साहित्यकारों ने भाग लिया जिनमें राजेंद्र प्रेमी सरस् वरिष्ठ साहित्यकार एवं गीतकार शामिल हुए उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा क्षेत्रीय बोलियों और भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की दिशा में एक मजबूत नींव रखी जा रही है इससे न केवल स्थानीय साहित्यकारों और कलाकारों को मंच मिलेगा बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव आएंगे सम्मेलन में जशपुर से शामिल अन्य साहित्यकारों में श्रीमती ज्योति चाणक्य श्रीमती गायत्री देवता श्रीमती गीता यादव एवं डी डी बंजारे महत्वपूर्ण नाम थे

सम्मान और सराहना छत्तीसगढ़ी भाषा के सपूतों को मिला सम्मान सम्मेलन के दौरान विभिन्न साहित्यकारों और शोधकर्ताओं को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया मुकेश कुमार जिला समन्वयक जशपुर को सांसद बृजमोहन अग्रवाल जी ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया विधायक पुरंदर मिश्रा जी ने उन्हें राजकीय गमछा पहनाकर सम्मानित किया सभी प्रतिभागियों को राजभाषा आयोग द्वारा बैग डायरी और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की सचिव डॉ अभिलाषा बेहार ने आयोजन की सफलता के लिए सभी जिला समन्वयकों और कलमकारों का आभार प्रकट किया और उनके प्रयासों की सराहना की

आगे की राह भाषाई समृद्धि के लिए संकल्प इस ऐतिहासिक सम्मेलन के अंत में सभी साहित्यकारों और भाषाविदों ने संकल्प लिया कि वे छत्तीसगढ़ी भाषा और इसकी बोलियों को सशक्त बनाने के लिए सतत प्रयासरत रहेंगे इस आयोजन ने स्पष्ट कर दिया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि हमारी संस्कृति परंपरा और आत्मा का प्रतिबिंब है छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए यह सम्मेलन न केवल एक मील का पत्थर साबित हुआ बल्कि यह भी सिद्ध हुआ कि सही दिशा में प्रयास किए जाएँ तब मातृभाषा में शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में नए आयाम दिए जा सकते हैं छत्तीसगढ़ी गुरतुर भाखा ये एला संजोए के जरूरत हे

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