जशपुर में 3500 मेगावाट बिजली का उत्पादन पानी से : : "छत्तीसगढ़ में बिजली की बढ़ती खपत को पूरा करने के लिए नए संयंत्रों और जलविद्युत परियोजनाओं की तैयारी"

Faizan Ashraf
Updated At: 02 Mar 2025 at 11:30 AM
रायपुर: प्रदेश में बिजली की खपत में निरंतर वृद्धि हो रही है, और आगामी समय में इसकी मांग 6500 मेगावाट को पार करने की संभावना है। जबकि वर्तमान में उत्पादन क्षमता मात्र 2960 मेगावाट है, और सामान्यत: 2200 से 2500 मेगावाट के बीच ही उत्पादन होता है। इस स्थिति में बिजली की आपूर्ति के लिए राज्य को केंद्रीय सेक्टर और निजी उत्पादकों से बिजली खरीदनी पड़ती है।
छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी ने अब कोरबा में 660 मेगावाट के दो नए संयंत्र स्थापित करने की मंजूरी राज्य सरकार से प्राप्त कर ली है। इसके साथ ही इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है और टेंडर जारी हो चुका है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार ने पानी से बिजली उत्पादन के लिए 7700 मेगावाट की योजना बनाई है, जिसमें से एक महत्वपूर्ण परियोजना मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले में शुरू होने जा रही है, जहां 3500 मेगावाट बिजली उत्पादन की योजना है।
कोरबा में नए संयंत्रों का निर्माण:
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार कोरबा पश्चिम में 660 मेगावाट के दो नए संयंत्र लगाए जाएंगे। इससे पहले, सबसे बड़े संयंत्र मड़वा में 500-500 मेगावाट के दो संयंत्र स्थापित किए गए थे। कोरबा पश्चिम में पॉवर कंपनी के पास अपनी जमीन भी है, जहां पहले 60 साल पुराने 50 मेगावाट के चार और 120 मेगावाट के दो संयंत्र प्रदूषण के कारण बंद हो चुके थे। अब उसी स्थान पर नए संयंत्रों की स्थापना की तैयारी अंतिम चरण में है।
पानी से बिजली उत्पादन की योजना:
पानी से बिजली उत्पादन के लिए प्रदेश में पांच स्थानों का चयन किया गया है। इनमें से हसदेव बांगो कोरबा और सिकासेर बांध गरियाबंद में 1200-1200 मेगावाट के प्लांट, जशपुर के डांगरी में 1400 मेगावाट, और रौनी में 2100 मेगावाट के प्लांट लगाए जाएंगे। पहले चरण में, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले जशपुर में 3500 मेगावाट बिजली का उत्पादन पानी से किया जाएगा। इसके अलावा, बलरामपुर के कोटपल्ली में 1800 मेगावाट का प्लांट लगाया जाएगा। इन सभी परियोजनाओं के जरिए प्रदेश में कुल 7700 मेगावाट बिजली का उत्पादन पानी से किया जाएगा।
बिजली की खपत में तेजी से वृद्धि:
प्रदेश में उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे बिजली की खपत में भी तेज़ी आ रही है। वर्तमान में उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 65 लाख हो चुकी है। पहले जहां रोज़ाना बिजली की खपत 3000 मेगावाट से कम होती थी, वहीं अब यह 6000 मेगावाट से भी ऊपर जा चुकी है। फरवरी माह में खपत 6000 मेगावाट तक पहुंच गई थी, और इस गर्मी में खपत 6500 मेगावाट तक जाने का अनुमान है। ऐसे में, प्रदेश सरकार ने आगामी दो दशकों की खपत को ध्यान में रखते हुए बिजली उत्पादन की योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
निष्कर्ष:
प्रदेश में बिजली की बढ़ती खपत और भविष्य में इसकी बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए, छत्तीसगढ़ सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की है, जो न केवल ऊर्जा की आपूर्ति को बेहतर बनाएगी, बल्कि राज्य में बिजली उत्पादन की क्षमता को भी बढ़ाएगी।
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