भारत में बना पहला मधुमेह बैंक, अब लंबे समय तक सुरक्षित रहेंगे बायो सैंपल
admin
Updated At 13 Dec 2024 at 12:43 PM
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भारत में पहला मधुमेह बैंक शुरू हुआ है, जिससे इस बीमारी के उपचार में प्रगति मिलेगी। चेन्नई में मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ) ने नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान आयोग (आईसीएमआर) के सहयोग से इसकी शुरुआत की है। इससे मधुमेह को लेकर शोध और नए बायोमार्कर की पहचान कर पाना आसान होगा। साथ ही बैंक में रोगियों के बायो सैंपल्स लंबे समय तक सुरक्षित रखे जाएंगे।
विशेषज्ञों ने प्रकाशित किया अध्ययन
आईसीएमआर, दिल्ली एम्स और एमडीआरएफ के विशेषज्ञों ने इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में एक अध्ययन प्रकाशित किया है, जिसमें इस मधुमेह बैंक की समूह प्रोफाइल को साझा किया गया।
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रक्त के 75 हजार, सीरम के 10 हजार नमूने
फाउंडेशन के डॉ. विश्वनाथन मोहन के मुताबिक, मधुमेह और इसकी जटिलताओं में शामिल कारणों का पता लगाने के लिए यहां लगभग 75 हजार रक्त नमूने, 10 हजार सीरम नमूने, 16 हजार आनुवंशिक नमूने और जनसंख्या-आधारित सर्वे से प्राप्त पांच हजार मूत्र नमूने सुरक्षित रखे गए हैं।
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देश में 11 करोड़ से ज्यादा लोग पीड़ित
इस मामले में डॉ. मोहन का कहना है कि मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) का बढ़ता बोझ एक अहम वैश्विक स्वास्थ्य चिंता बना हुआ है। हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-इंडिया डायबिटीज स्टडी (आईसीएमआर-इंडआईएबी) के अध्ययन में पता चला है कि भारत में 11 करोड़ से ज्यादा लोग मधुमेह से पीड़ित हैं, जबकि 13 करोड़ से ज्यादा लोगों में बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका है।
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इनमें प्री डायबिटीज का पता चला है। इसके अलावा उच्च रक्तचाप, सामान्यीकृत बीमारियां और पेट के मोटापे से क्रमशः 31.5, 25.4 और 35.1 करोड़ लोग प्रभावित हुए। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिनमें मधुमेह के साथ-साथ इन तीनों में से एक परेशानी भी शामिल है।
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