तालिबान के झंडे के साथ यूएन अधिकारियों ने ली तस्वीर, संयुक्त राष्ट्र को मांगनी पड़ी माफी

admin
Updated At: 21 Jan 2023 at 08:00 PM
संयुक्त राष्ट्र की डिप्टी सेक्रेटरी जनरल अमीना मोहम्मद ने बीते हफ्ते अफगानिस्तान का दौरा किया। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र के कुछ अधिकारियों ने तालिबान के झंडे के साथ तस्वीरें लीं और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र की आलोचना होने लगी और लोगों ने संयुक्त राष्ट्र की निष्पक्षता और अखंडता पर सवाल उठा दिए। बता दें कि तालिबान के झंडे को अभी तक वैश्विक स्तर पर मान्यता नहीं मिली है।नेशनल रेजिस्टेंट फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान के विदेश मामलों के प्रमुख अली मैजम नाजरी ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि यूएन के लोग काबुल में एक आतंकी संगठन के झंडे के साथ तस्वीर लेकर संयुक्त राष्ट्र की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं। हम एंटोनियो गुटेरस से पूछना चाहते हैं कि वह इस मामले की जांच कराएं क्योंकि ऐसे असंवेदनशील कार्यों से संयुक्त राष्ट्र की प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकता है। आलोचना के बाद संयुक्त राष्ट्र ने इस पर माफी मांगी है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस के प्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि यह तस्वीर नहीं ली जानी चाहिए थी. यह साफ तौर पर गलती है और हम इसके लिए माफी मांगते हैं। जिन कर्मचारियों ने यह तस्वीर ली है, उनके अधिकारी इस बारे में उनसे बात करेंगे।उल्लेखनीय है कि तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता कब्जाने के बाद इसके झंडे में भी बदलाव किया था। तालिबान का नया झंडा सफेद रंग का है और उस पर शहादा लिखा है। इससे पहले अफगानिस्तान का झंडा हरे और लाल रंग का था। दुनिया के कई देशों ने तालिबान के नए झंडे को मान्यता नहीं दी है। यही वजह है कि यूएन अधिकारियों की तालिबान के झंडे के साथ तस्वीरें सामने आने के बाद इस पर विवाद हो गया है।बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की डिप्टी सेक्रेटरी जनरल अमीना मोहम्मद के साथ यूएन वूमन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सीमा बाहौस और यूएन के राजनीति विभाग की असिस्टेंट सेक्रेटरी जनरल खालेद अमीरी ने अफगानिस्तान का चार दिवसीय दौरा किया। अपने दौरे में अमीना मोहम्मद ने अफगानिस्तान सरकार के नेताओं के सामने महिलाओं की शिक्षा और काम पर लगे प्रतिबंधों और मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं को लेकर चिंता जाहिर की। बता दें कि अफगानिस्तान ने महिलाओं की शिक्षा और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संस्थाओं के लिए काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अफगानिस्तान सरकार के इस फैसले से गैर सरकारी संगठनों में काम कर रही लाखों महिलाएं प्रभावित होंगी। साथ ही अफगानिस्तान में महिलाओं के पार्क, जिम आदि में जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
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