Vat Savitri Vrat 2023: आज है वट सावित्री व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सब कुछ

admin
Updated At: 19 May 2023 at 11:55 AM
आज यानी 19 मई 2023, दिन शुक्रवार को वट सावित्री व्रत रखा जा रहा है। वट सावित्री का यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या की तिथि को रखा जाता है। वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन व्रत रखकर सुहागिनें वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की विधि-विधान से पूजा करती हैं। वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह का नाश भी करती है।
वट सावित्री व्रत 2023 तिथि
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि आरम्भ: 18 मई 2023, गुरुवार, रात्रि 09:42 मिनट से
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि समाप्त: 19 मई 2023, शुक्रवार, रात्रि 09: 22 मिनट
उदया तिथि के अनुसार वट सावित्री अमावस्या व्रत 19 मई 2023, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।
वट सावित्री व्रत का महत्व
कहा जाता है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थीं। इसलिए पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें इस दिन व्रत रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं सावित्री के समान अपने पति की दीर्घायु की कामना तीनों देवताओं से करती हैं, ताकि उनके पति को अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त हो सके।
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि
इस दिन महिलाएं प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
फिर श्रृंगार करके तैयार हो जाएं। साथ ही सभी पूजन सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित कर लें और थाली सजा लें।
किसी वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा स्थापित करें।
फिर बरगद के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ व मिठाई चढ़ाएं।
वट के वृक्ष पर सूत लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें और अंत में प्रणाम करके परिक्रमा पूर्ण करें।
अब हाथ में चने लेकर वट सावित्री की कथा पढ़ें या सुनें। इसके बाद पूजा संपन्न होने पर ब्राह्मणों को फल और वस्त्रों करें।
वट सावित्री व्रत 2023 पूजा सामग्री
एक वट वृक्ष, बरगद का फल
सावित्री और सत्यवान की मूर्ति या तस्वीर
भीगा हुआ काला चना
कलावा या रक्षासूत्र या सफेद कच्चा सूत
सवा मीटर का कपड़ा, बांस का पंखा
लाल और पीले फूल
मिठाई, बताशा, मौसमी फल
मिट्टी का दीपक, धूप, दीप, अगरबत्ती
सिंदूर, अक्षत, रोली, सवा मीटर का कपड़ा
पान का पत्ता, सुपारी, नारियल
श्रृंगार सामग्री
जल कलश, पकवान, पूड़ी आदि.
स्टील या पीतल की थाली
वट सावित्री व्रत कथा की पुस्तक

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