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जब करप्शन के घने धुंध में कुआं तक चोरी हो जाए तो RTI है ना, जानिए सूचना के अधिकार के बारे में

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admin

Updated At: 19 Nov 2022 at 01:17 PM

मार्च 2021 की बात है। महाराष्ट्र के लातूर जिले में एक किसान का कुआं ही चोरी हो गया! आप भी सोच रहे होंगे कि भला कोई कुआं कैसे चोरी हो सकता है! हुआ ये कि 55 साल के किसान हणमंत कांबले ने सरकारी अनुदान से कुआं खुदवाने के लिए पंचायत समिति को अर्जी दी थी। पता चला कि उन्हें तो 5 साल पहले ही कुआं के लिए 75 हजार रुपये अनुदान मिल चुका था। किसान हैरान-परेशान। उसने तो पहले आवेदन ही नहीं किया था तो अनुदान कैसे मिल गया। दरअसल हुआ यूं कि किसी ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे उनके नाम से अनुदान हासिल कर हड़प लिया था। उनके साथ असल जिंदगी में 'वेलडन अब्बा' वाला फिल्मी खेला हो चुका था। 2010 में आई फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे करप्शन के घने धुंध में किसान का कुआं ही चोरी हो गया। आखिरकार, किसान ने अपने हक के लिए लड़ाई छेड़ दी और इसमें उसका हथियार बना आरटीआई यानी सूचना का अधिकार। ' छत्तीसगढ़ को मिला एक और राष्ट्रीय पुरस्कार, मत्स्य पालन के लिए मिला बेस्ट इनलैण्ड स्टेट का पुरस्कार पहले कुआं चोरी होने की कहानी। किसान ने सरकारी अनुदान से कुआं खुदवाने के लिए आवेदन किया। किस्तों में अनुदान के पूरे पैसे भी मिले लेकिन सारे पैसे दफ्तरों के 'चढ़ावे' में ही खर्च हो गए। उधर कागज में कुआं खुद भी गया। एकदम चकाचक। मीठे पानी वाला। फाइलों में कुएं की खुदाई से लेकर बनकर पूरे होने तक की तस्वीर भी। कागज के कुएं से भला प्यास कहां बुझती। परेशान किसान थाने में अपना कुआं चोरी होने का रिपोर्ट लिखाने जाता है। थानेदार भी हैरान-परेशान। आखिरकार लंबी लड़ाई के बाद किसान अपना कुआं पाने में कामयाब हो ही जाता है। हक की लड़ाई में उसका सबसे बड़ा हथियार बनता है सूचना का अधिकार। राइट टु इन्फॉर्मेशन यानी सूचना का अधिकार वाकई कमाल कर सकता है। इसे लाया ही गया था भ्रष्टाचार पर चोट और पारदर्शिता के लिए। बस एक आरटीआई लगाइए और सरकारी विभाग से सूचना हाजिर। प्रक्रिया भी आसान है। सूचना का अधिकार कानून, 2005 के तहत भारत का कोई भी नागरिक सरकार के किसी भी महकमे से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकता है। सात आईपीएस अधिकारियों के किए तबादले, जानें- किसे कहां की मिली जिम्मेदारी आरटीआई कानून का मकसद -इस कानून का मकसद सरकारी महकमों की जवाबदेही तय करना और पारदर्शिता लाना है ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके। यह अधिकार आपको ताकतवर बनाता है। इसके लिए सरकार ने केंदीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों का गठन भी किया है। -'सूचना का अधिकार अधिनियम 2005' के अनुसार, ऐसी जानकारी जिसे संसद या विधानमंडल सदस्यों को देने से इनकार नहीं किया जा सकता, उसे किसी आम व्यक्ति को देने से भी इनकार नहीं किया जा सकता, इसलिए अगर आपके बच्चों के स्कूल के टीचर अक्सर गैर-हाजिर रहते हों, आपके आसपास की सड़कें खराब हालत में हों, सरकारी अस्पतालों या हेल्थ सेंटरों में डॉक्टर या दवाइयां न हों, अफसर काम के नाम पर रिश्वत मांगे या फिर राशन की दुकान पर राशन न मिले तो आप सूचना के अधिकार यानी आरटीआई के तहत ऐसी सूचनाएं पा सकते हैं। -सिर्फ भारतीय नागरिक ही इस कानून का फायदा ले सकते हैं। इसमें निगम, यूनियन, कंपनी वगैरह को सूचना देने का प्रावधान नहीं है क्योंकि ये नागरिकों की परिभाषा में नहीं आते। अगर किसी निगम, यूनियन, कंपनी या एनजीओ का कर्मचारी या अधिकारी आरटीआई दाखिल करता है है तो उसे सूचना दी जाएगी, बशर्ते उसने सूचना अपने नाम से मांगी हो, निगम या यूनियन के नाम पर नहीं। -हर सरकारी महकमे में एक या ज्यादा अधिकारियों को जन सूचना अधिकारी (पब्लिक इन्फर्मेशन ऑफिसर यानी पीआईओ) के रूप में अपॉइंट करना जरूरी है। आम नागरिकों द्वारा मांगी गई सूचना को समय पर उपलब्ध कराना इन अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है। -नागरिकों को डिस्क, टेप, विडियो कैसेट या किसी और इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंटआउट के रूप में सूचना मांगने का हक है, बशर्ते मांगी गई सूचना उस रूप में पहले से मौजूद हो। - रिटेंशन पीरियड यानी जितने वक्त तक रेकॉर्ड सरकारी विभाग में रखने का प्रावधान हो, उतने वक्त तक की सूचनाएं मांगी जा सकती हैं। -सरकारी विभागों के साथ-साथ सरकारी सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूल, कॉलेज, सरकार से फंडिंग पाने वाले एनजीओ भी इसके दायरे में आते हैं। यानी उनसे आरटीआई के तहत सूचना मांगी जा सकती है। सीएम भूपेश बघेल ने कहा- तिलक, गांधी जी या भगत सिंह ने नहीं, सावरकर ने मांगी अंग्रेजों से माफी किन पर लागू नहीं होता कानून -किसी भी खुफिया एजेंसी की वैसी जानकारियां, जिनके सार्वजनिक होने से देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरा हो - दूसरे देशों के साथ भारत से जुड़े मामले - थर्ड पार्टी यानी निजी संस्थानों संबंधी जानकारी लेकिन सरकार के पास उपलब्ध इन संस्थाओं की जानकारी को संबंधित सरकारी विभाग के जरिए हासिल कर सकते हैं सूचना देने के लिए तय समयसीमा सूचना का अधिकार कानून की धारा 7 के मुताबिक सूचना मांगे जाने के 30 दिनों के भीतर उसे दिया जाना जरूरी है। अगर सूचना शख्स के जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ी है तो उसे 48 घंटे के भीतर दी जाएगी। दिनों की ये गणना फीस जमा करने की तारीख से होगी। अगर आवेदक को निर्धारित समय के भीतर सूचना नहीं दी जाती तो संबंधित विभाग पर 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगेगा। हालांकि, जुर्माने की राशि 25000 रुपये से ज्यादा नहीं होगी। कहां करें अप्लाई संबंधित विभागों के पब्लिक इन्फमेर्शन ऑफिसर को एक ऐप्लिकेशन देकर इच्छित जानकारी मांगी जाती है। इसके लिए सरकार ने सभी विभागों में एक पब्लिक इन्फर्मेशन ऑफिसर यानी पीआईओ की नियुक्ति की है। संबंधित विभाग में ही पीआईओ की नियुक्ति की जाती है। कैसे करें अप्लाई सादे कागज पर हाथ से लिखी हुई या टाइप की गई ऐप्लिकेशन के जरिए संबंधित विभाग से जानकारी मांगी जा सकती है। ऐप्लिकेशन के साथ 10 रुपये की फीस भी जमा करानी होती है। आप ऑनलाइन भी अप्लाई कर सकते हैं। सुरंगपानी हास्टल अधिक्षिका ज्योति अग्रवाल निलंबित..जांच प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर की कार्रवाई इनका रखें ध्यान - किसी भी विभाग से सूचना मांगने में यह ध्यान रखें कि सीधा सवाल पूछा जाए। सवाल घूमा-फिराकर नहीं पूछना चाहिए। सवाल ऐसे होने चाहिए, जिसका सीधा जवाब मिल सके। इससे जन सूचना अधिकारी आपको भ्रमित नहीं कर सकेगा। - एप्लिकेंट को इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि आप जो सवाल पूछ रहे हैं, वह उसी विभाग से संबंधित है या नहीं। उस विभाग से संबंधित सवाल नहीं होने पर आपको जवाब नहीं मिलेगा। हो सकता है आपको जवाब मिलने में बेवजह देरी भी हो सकती है। - अगर आप ऑफलाइन आवेदन दे रहे हैं तो उसे स्पीड पोस्ट से ही भेजना चाहिए। इससे आपको पता चल जाएगा कि पीआईओ को एप्लिकेशन मिली है या नहीं। कैसे लिखें आरटीआई ऐप्लिकेशन - सूचना पाने के लिए कोई तय प्रोफार्मा नहीं है। सादे कागज पर हाथ से लिखकर या टाइप कराकर 10 रुपये की तय फीस के साथ अपनी ऐप्लिकेशन संबंधित अधिकारी के पास किसी भी रूप में (खुद या डाक द्वारा) जमा कर सकते हैं। - आप हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी स्थानीय भाषा में ऐप्लिकेशन दे सकते हैं। - ऐप्लिकेशन में लिखें कि क्या सूचना चाहिए और कितनी अवधि की सूचना चाहिए? - आवेदक को सूचना मांगने के लिए कोई वजह या पर्सनल ब्यौरा देने की जरूरत नहीं। उसे सिर्फ अपना पता देना होगा। फोन या मोबाइल नंबर देना जरूरी नहीं लेकिन नंबर देने से सूचना देने वाला विभाग आपसे संपर्क कर सकता है। हालांकि, ऑनलाइन आवेदन के लिए ई-मेल आईडी देना अनिवार्य है। बाबा भगवान राम ट्रस्ट ब्रह्मनिष्ठालय सोगड़ा आश्रम एवं सर्वेश्वरी समूह द्वारा निःशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर रेंगले में रविवार 20 नवम्बर क़ो होगी शेष मरीजों की जाँच कैसे जमा कराएं फीस - फीस नकद, डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर से दी जा सकती है। डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर संबंधित विभाग (पब्लिक अथॉरिटी) के अकाउंट ऑफिसर के नाम होना चाहिए। डिमांड ड्राफ्ट के पीछे और पोस्टल ऑर्डर में दी गई जगह पर अपना नाम और पता जरूर लिखें। पोस्टल ऑर्डर आप किसी भी पोस्ट ऑफिस से खरीद सकते हैं। - गरीबी रेखा के नीचे की कैटिगरी में आने वाले आवेदक को किसी भी तरह की फीस देने की जरूरत नहीं। इसके लिए उसे अपना बीपीएल सर्टिफिकेट दिखाना होगा। इसकी फोटो कॉपी लगानी होगी। एक्स्ट्रा फीस सूचना लेने के लिए आरटीआई एक्ट में ऐप्लिकेशन फीस के साथ एक्स्ट्रा फीस का प्रोविजन भी है, जो इस तरह है : - फोटो कॉपी: हर पेज के लिए 2 रुपये - बड़े आकार में फोटो कॉपी: फोटो कॉपी की लागत कीमत - दस्तावेज देखने के लिए: पहले घंटे के लिए कोई फीस नहीं, इसके बाद हर घंटे के लिए फीस 5 रुपये - सीडी: एक सीडी के लिए 50 रुपये जिले के बच्चे सीखेंगे एक्टिंग के गुर ,जिला प्रशासन जशपुर का अभिनव पहल,5 दिसंबर से स्क्रीन एक्टिंग कोर्स का होगा आयोजन, ऑनलाइन आवेदन कैसे करें आरटीआई के लिए आप ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं जो बहुत ही आसान है। केंद्र सरकार से जुड़े किसी विभाग से जानकारी लेना चाहते हैं तो https://rtionline.gov.in/ पर आप आवेदन कर सकते हैं। अगर मांगी गई जानकारी राज्य सरकार के विभाग से जुड़ी है तो संबंधित राज्य सरकार की वेबसाइट पर ऑनलाइन आरटीआई दायर की जा सकती है। जैसे- यूपी के लिए https://rtionline.up.gov.in/ या एमपी के लिए rti.mp.gov.in/ वेबसाइट पर जा सकते हैं। मैं शराबी नहीं….. शराब पीकर स्कूल और ऑफिस नहीं जायेंगे, बिना पिए करेंगे सरकारी काम, शिक्षा विभाग के शिक्षक और कर्मचारी करेंगे इसकी घोषणा, डीईओ ने जारी किया फरमान मान लीजिए कि आपको केंद्र सरकार से जुड़े किसी विभाग से जानकारी चाहिए। इसके लिए आपको भारत सरकार की वेबसाइट https://rtionline.gov.in/ पर जाना होगा। इसके बाद आपके सामने ऑनलाइन रिक्वेस्ट फॉर्म खुल जाएगा फॉर्म में अपना नाम, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर, जेंडर, पता समेत मांगे गए डीटेल भरें। किस मंत्रालय या विभाग से सूचना मांग रहे हैं, उसका चयन करें। फॉर्म में एप्लिकेशन के लिए जगह दी गई होगी। वहां आप अपना एप्लिकेशन लिख दें। ध्यान रखें कि आवेदन अधिकतम 3000 अक्षरों का हो। साथ में सपोर्टिंग डॉक्युमेंट को अपलोड करें। एक निगाह हर डीटेल पर डाल लें कि कहीं कोई गलती तो नहीं है। इसके बाद सबमिट कर दें। सबमिट बटन पर क्लिक करने के बाद 10 रुपये का आरटीआई फी जमा करना होगा। इसे आप इंटरनेट बैंकिंग या कार्ड पेमेंट के जरिए जमा कर सकते हैं। फी जमा करने के बाद आपकी आरटीआई फाइल हो जाएगी जिसकी सूचना आपको ईमेल और मोबाइल पर मेसेज के रूप में मिलेगी। एप्लिकेशन का स्टेटस चेक करने के लिए आपको एक नंबर भी मिलेगा जिसके जरिए आप वेबसाइट पर अपने स्टेटस को चेक कर सकते हैं। अगर तय समय के भीतर आपको मांगी गई सूचना नहीं मिलती है या आप दी गई सूचना से असंतुष्ट हैं तो ऑनलाइन अपील भी कर सकते हैं। फर्स्ट अपील के बाद भी अगर आप असंतुष्ट हैं तो 90 दिनों के भीतर सेकंड अपील भी कर सकते हैं। अपील का अधिकार - अगर आवेदक को तय समयसीमा में सूचना मुहैया नहीं कराई जाती या वह दी गई सूचना से संतुष्ट नहीं होता है तो वह प्रथम अपीलीय अधिकारी के सामने अपील कर सकता है। पीआईओ की तरह प्रथम अपीलीय अधिकारी भी उसी विभाग में बैठता है, जिससे संबंधित जानकारी आपको चाहिए। - प्रथम अपील के लिए कोई फीस नहीं देनी होगी। अपनी ऐप्लिकेशन के साथ जन सूचना अधिकारी के जवाब और अपनी पहली ऐप्लिकेशन के साथ-साथ ऐप्लिकेशन से जुड़े दूसरे दस्तावेज अटैच करना जरूरी है। - ऐसी अपील सूचना उपलब्ध कराए जाने की समयसीमा के खत्म होने या जन सूचना अधिकारी का जवाब मिलने की तारीख से 30 दिन के अंदर की जा सकती है। - अपीलीय अधिकारी को अपील मिलने के 30 दिन के अंदर या खास मामलों में 45 दिन के अंदर अपील का निपटान करना जरूरी है। सेकंड अपील कहां करें - अगर आपको पहली अपील दाखिल करने के 45 दिन के अंदर जवाब नहीं मिलता या आप उस जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो आप 45 दिन के अंदर राज्य सरकार की पब्लिक अथॉरिटी के लिए उस राज्य के स्टेट इन्फर्मेशन कमिशन से या केंद्रीय प्राधिकरण के लिए सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन के पास दूसरी अपील दाखिल कर सकते हैं। दिल्ली के लोग दूसरी अपील सीधे सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन में ही कर सकते हैं। - इसके अलावा कुछ और वजहों से आप सीआईसी जा सकते हैं, जैसे कि अगर आप संबंधित पब्लिक अथॉरिटी में जन सूचना अधिकारी न होने की वजह से आरटीआई नहीं डाल सकते। - केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी आपकी ऐप्लिकेशन को संबंधित केंद्रीय लोक (जन) सूचना अधिकारी या अपीलीय अधिकारी को भेजने से इनकार करे - सूचना के अधिकार एक्ट के तहत सूचना पाने की आपकी रिक्वेस्ट ठुकरा दी जाए या आधी-अधूरी जानकारी दी जाए।

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