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RSS का शताब्दी वर्ष: : संघ की ऐतिहासिक योजनाएं और हिंदू सम्मेलन का महायज्ञ

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रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बेंगलुरु में संपन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। मध्यक्षेत्र संघचालक पूर्णेंदु सक्सेना और प्रांत सरसंघचालक टोपलाल वर्मा ने इन फैसलों को साझा करते हुए बताया कि इस वर्ष संघ अपनी शताब्दी वर्षगांठ को एक भव्य आयोजन के रूप में मनाएगा। इसके तहत पूरे देश में मंडल स्तर पर हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।शताब्दी वर्ष: हिंदू समाज की एकता का संकल्पश्री सक्सेना ने बताया कि विजयादशमी 2025 को आरएसएस अपनी 100वीं वर्षगांठ के रूप में मनाएगा। यह केवल एक उत्सव नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक जागरण होगा, जिसमें संघ अपने मूल विचारों को समाज तक पहुँचाने का प्रयास करेगा। इसके लिए गृह संपर्क अभियान, हिंदू सम्मेलन और सामाजिक समरसता सभाओं की व्यापक योजना बनाई गई है।संघ के निर्णय: हिंदू सम्मेलन और सामाजिक समरसताहर मंडल में हिंदू सम्मेलन – मंडल स्तर पर हिंदू समाज की एकता को मजबूत करने के लिए विशाल सम्मेलनों का आयोजन होगा।गृह संपर्क अभियान – नवंबर 2025 से जनवरी 2026 तक तीन सप्ताह का विशेष अभियान चलेगा, जिसमें हर गांव, हर बस्ती, हर घर तक संघ का संदेश पहुंचेगा।जिला स्तर पर प्रमुख नागरिकों से परिचर्चा – समाज के प्रमुख विचारकों, विद्वानों और समाजसेवियों को एक मंच पर लाया जाएगा।सांस्कृतिक जागरूकता अभियान – हिंदू जीवन मूल्यों को बनाए रखते हुए आधुनिकता के साथ तालमेल पर बल दिया जाएगा।राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक उत्थान – राष्ट्र को विखंडित करने वाले विमर्शों का खंडन करने के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है।संघ का अभूतपूर्व विस्तारसंघचालकों ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में संघ के कार्य में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। मार्च 2024 से 2025 के बीच शाखाओं की संख्या 45,600 से बढ़कर 51,610 हो गई है, जो यह दर्शाता है कि समाज में संघ की स्वीकार्यता निरंतर बढ़ रही है।बांग्लादेश के हिंदुओं के समर्थन में संघ का प्रस्तावसंघ ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। श्री सक्सेना ने कहा कि हाल ही में हुए तख्तापलट के बाद हिंदुओं की स्थिति और दयनीय हो गई है। अपहरण, मतांतरण और हत्याओं की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जो मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।संघ ने इस पर भारत सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की है। संघ ने बांग्लादेश के हिंदुओं को समर्थन देने के लिए वैश्विक हिंदू संगठनों से एकजुट होने का आह्वान किया है।शताब्दी वर्ष में आयोजित होने वाले भव्य कार्यक्रम1. विजयादशमी 2025 – संघ की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मंडल, खंड और नगर स्तर पर विशाल कार्यक्रम आयोजित होंगे।2. गृह संपर्क अभियान – संघ के स्वयंसेवक हर घर तक संघ का विचार और साहित्य पहुँचाएंगे।3. हिंदू सम्मेलन – समाज के प्रत्येक वर्ग को एक साथ लाने के लिए अखिल भारतीय हिंदू सम्मेलन का आयोजन होगा।4. सामाजिक समरसता बैठकें – समाज में सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रीय चेतना को मजबूत करने के लिए विशेष बैठकों का आयोजन किया जाएगा।राष्ट्रीय पुनर्जागरण की ओर एक ऐतिहासिक कदमसंघ अपने शताब्दी वर्ष को भारतीय समाज के पुनर्जागरण के अवसर के रूप में देख रहा है। यह केवल एक वर्षगांठ नहीं, बल्कि एक राष्ट्रव्यापी सांस्कृतिक अभियान होगा, जो भारत के सांस्कृतिक गौरव, हिंदू समाज की एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने का कार्य करेगा।संघ के इन निर्णयों से स्पष्ट है कि आरएसएस अपनी 100वीं वर्षगांठ को हिंदू समाज की चेतना को जागृत करने के अवसर के रूप में प्रयोग करेगा, जिससे राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक उत्थान की नई लहर उठेगी।

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