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Snakebite Compensation Process Revised : सर्पदंश मुआवजा प्रक्रिया में बदलाव,नए निर्देश जारी

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छत्तीसगढ़ में सर्पदंश से होने वाली मौतों के मामलों में मुआवजा प्रक्रिया को सटीक और पारदर्शी बनाने के लिए रीजनल फॉरेंसिक लैब ने नए निर्देश जारी किए हैं। अब, सर्पदंश के मामलों में जांच के लिए पीड़ित या मृतक के शरीर के जिस हिस्से में सांप ने काटा है, उस हिस्से की त्वचा को काटकर नमक में लपेटकर लैब में जमा करना होगा। यह नया तरीका सुनिश्चित करेगा कि सर्पदंश से संबंधित मामलों की जांच अधिक सटीकता से हो सके, जिससे पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने में पारदर्शिता बनी रहे। रीजनल फॉरेंसिक लैब के इंचार्ज ने दुर्ग एवं राजनांदगांव संभाग के आईजी एवं एसपी को एक पत्र जारी किया है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में सर्पदंश के मामलों में जमा हो रहे सैंपल से सटीक रिपोर्ट प्राप्त नहीं हो पा रही है। इसलिए, नए निर्देशों के तहत, सैंपल जमा करने के तरीके में यह बदलाव किया गया है। यह कदम राज्य में सर्पदंश से होने वाली मौतों के मामलों में मुआवजा प्रक्रिया को सुधारने और पीड़ित परिवारों को न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।छत्तीसगढ़ में सर्पदंश के मामलों में हाल के वर्षों में वृद्धि देखी गई है, विशेष रूप से कुछ जिलों में। निम्नलिखित आंकड़े विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किए गए हैं:विशेष रूप से, जशपुर जिला, जिसे 'नागलोक' के नाम से जाना जाता है, में सर्पदंश के मामलों में जागरूकता अभियानों के चलते मृत्यु दर में कमी आई है। उदाहरण के लिए, 279 मामलों में से 269 मरीजों की जान बचाई गई है। हालांकि, कुछ जिलों में सर्पदंश से संबंधित मुआवजा वितरण में अनियमितताओं के आरोप भी सामने आए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। उपरोक्त आंकड़े दर्शाते हैं कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में सर्पदंश के मामलों और उनसे होने वाली मौतों की संख्या में अंतर है। यह आवश्यक है कि सर्पदंश से प्रभावित क्षेत्रों में जागरूकता और चिकित्सा सुविधाओं में सुधार किया जाए ताकि मृत्यु दर को कम किया जा सके।

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