पांच साल में भारत के अंदर नशीले पदार्थों की बरामदगी तेजी से बढ़ी, कही गई ये बात

संयुक्त राष्ट्र नारकोटिक्स वॉचडॉग के अनुसार, पिछले पांच साल में भारत में नशीले पदार्थों की जब्ती में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, डार्कनेट और समुद्री मार्ग तस्करों की पसंद बन चुकी है। यहां से आसानी से तस्कर नशीले पदार्थ सप्लाई करते हैं। इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (INCB) ने गुरुवार को अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की। इसमें बड़ी मात्रा में सिंथेटिक दवाओं के अवैध निर्माण से निपटने के लिए भारत द्वारा "सक्रिय नियमों" का भी उल्लेख किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में मादक पदार्थों की बरामदगी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में जहां 2,146 किलोग्राम नशीले पदार्थ बरामद हुए थे, वहीं 2021 में 7,282 किलोग्राम पदार्थ जब्त किए गए। अफीम की जब्ती में भी 70 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। 2017 में 2,551 किलोग्राम अफीम जब्त की गई थी, जो 2021 में बढ़कर 4,386 किलोग्राम हो गई। भांग की बरामदगी में 90 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। 2017 में 3,52,539 किलोग्राम भांग जब्त की गई थी जो 2021 में बढ़कर 6,75,631 हो गई है। 2021 में कोकीन की बरामदगी 364 किलोग्राम थी। पिछले तीन वर्षों में इस तरह की बरामदगी का औसत लगभग 40 किलोग्राम था। 2021 में एक कंटेनर में पाए गए 300 किलोग्राम कोकीन से बरामदी का स्तर बढ़ गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बंदरगाह के अधिकारियों ने शिपिंग कंटेनरों में बड़ी मात्रा में हेरोइन की जब्ती की सूचना दी है। सितंबर 2021 में गुजरात में लगभग तीन टन हेरोइन जब्त हुई। इससे पता चलता है कि दक्षिणी मार्ग और इसके माध्यम से नशीले पदार्थों की तस्करी का विस्तार हुआ है। मार्च 2022 में कोलंबो के बंदरगाह पर श्रीलंका सीमा शुल्क को एक कंटेनर में 350 किलोग्राम कोकीन मिला, जो बेल्जियम और दुबई, संयुक्त अरब अमीरात के रास्ते पनामा से आया था। इसकी सप्लाई भारत में होनी थी। 2020 में एशिया के नौ देशों ने कुल 1.2 टन ट्रामाडोल की जब्ती की सूचना दी। ये एक ऐसा पदार्थ है जो अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में नहीं है, जिसमें से लगभग पूरी मात्रा भारत में रोकी गई थी। 2019 की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि थी जब भारत ने 144 किलोग्राम ट्रामाडोल जब्त किया था। दक्षिण एशिया के अन्य देशों ने संयुक्त रूप से 70 किलोग्राम की बरामदगी की सूचना दी थी। इसमें कहा गया है, 'भारत में जब्ती की कार्रवाई से डार्कनेट का फायदा उठाने वाले ट्रामाडोल और अन्य साइकोएक्टिव पदार्थों की तस्करी करने वाले एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क को खत्म करने में मदद मिली।' रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि फार्मास्यूटिकल ओपिओइड और अवैध रूप से उत्पादित मेथामफेटामाइन, एमडीएमए और केटामाइन जैसी सिंथेटिक दवाओं की वैश्विक मांग बढ़ी है। इसके चलते तस्कर भी बढ़ गए हैं। इसकी सप्लाई भारत से होती है। भारत एक बड़े रासायनिक और दवा उद्योग का गढ़ है। हालांकि, भारत सरकार इसके खिलाफ कड़े और सख्त कदम उठा रही है। इससे नशे के कारोबारियों को नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ऑनलाइन दवा बिक्री के नियमन में सुधार किया जा रहा है और पारंपरिक और डिजिटल जांच क्षमता दोनों को बढ़ाया जा रहा है। ताकि इसकी आड़ में नशीली दवाओं की सप्लाई न हो सके। रिपोर्ट में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट का भी जिक्र है। इसके अनुसार, 10 से 75 वर्ष की आयु के लगभग 23 मिलियन लोगों ने मुख्य रूप से हेरोइन और फार्मास्युटिकल ओपिओइड का उपयोग किया है। ओपियोड उपयोग विकारों के लिए अनुमानित आठ मिलियन लोग पंजीकृत थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान से यूरोप और उत्तरी अमेरिका में अवैध रूप से उत्पादित अफीम की तस्करी करने वालों के लिए दक्षिण एशिया एक महत्वपूर्ण पारगमन क्षेत्र बना हुआ है। इसके अलावा, दक्षिण एशिया के पांच तटीय राज्य, अर्थात् बांग्लादेश, भारत, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका, हिंद महासागर को पार करने वाले समुद्री तस्करी मार्गों के कारण तस्करी के संपर्क में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत ने विशेष रूप से अफगानिस्तान में उत्पन्न होने वाली अफीम की तस्करी और दक्षिणी मार्ग के साथ पूर्व की ओर तस्करी की तीव्रता देखी है।'

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