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फर्जी मतदान पर लगेगा अंकुश: : मतदाता पहचान पत्र होगा आधार से लिंक, अप्रैल तक मांगे गए सुझाव

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Faizan Ashraf

Updated At: 19 Mar 2025 at 07:21 AM

Voter ID to be linked with Aadhaar, suggestions invited till April; Curb on fake voting

नई दिल्ली। चुनाव प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने और फर्जी मतदान पर रोक लगाने के लिए अब मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। इस महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा मंगलवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और केंद्रीय गृह सचिव की बैठक के बाद की गई।

इस कदम से फर्जी मतदाताओं की पहचान आसान होगी और चुनावी धांधली पर रोक लगेगी। बैठक की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने की, जिसमें चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी, केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव, यूआईडीएआई के सीईओ तथा अन्य तकनीकी विशेषज्ञ उपस्थित थे।

अप्रैल तक मांगे गए सुझाव

इस प्रक्रिया को तेजी से लागू करने के लिए चुनाव आयोग 31 मार्च से पहले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, जिला चुनाव अधिकारियों और मुख्य चुनाव अधिकारियों की बैठक बुलाएगा। आयोग ने इस विषय पर सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल तक सुझाव मांगे हैं

संविधान के अनुरूप होगा पूरा प्रोसेस

करीब तीन घंटे तक चली इस बैठक में निर्णय लिया गया कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 के प्रावधानों के तहत की जाएगी। आयोग ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का भी हवाला दिया और कहा कि इस प्रक्रिया को पूरी तरह संवैधानिक और पारदर्शी तरीके से लागू किया जाएगा

सुप्रीम कोर्ट के रुख पर होगी नजर

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया पर पहले भी रोक लगा चुका है। दरअसल, चुनाव आयोग ने मार्च 2015 से अगस्त 2015 के बीच राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्यक्रम के तहत 30 करोड़ वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक किया था। लेकिन आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 55 लाख लोगों के नाम छंटने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, और कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। अब चुनाव आयोग इस बार सुप्रीम कोर्ट के रुख पर भी नजर बनाए हुए है

तकनीकी विशेषज्ञों से ली जाएगी सलाह

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) और चुनाव आयोग जल्द ही तकनीकी विशेषज्ञों से परामर्श करेगा, ताकि इस प्रक्रिया को प्रभावी, सुरक्षित और पारदर्शी बनाया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट की भावना के अनुरूप निर्णय

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सिविल संख्या 77/2023 में अपनी राय व्यक्त की थी। इसके अलावा, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) में भी इसी प्रकार की मंशा जाहिर की गई है।

इस ऐतिहासिक निर्णय से चुनावों में पारदर्शिता बढ़ेगी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और मजबूत किया जा सकेगा

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