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विश्व हाथी दिवस : प्रवासी हाथियों को क्यों भा गए है छत्तीसगढ़ के जंगल? हाथी मानव द्वन्द रोकना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती

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समीर इरफ़ान /उदालक नायडू विश्व विश्व हाथी दिवस पर विशेष मुख्यमंत्री साय रायपुर में करेंगे ध्वजारोहण, देखें लिस्ट कौन कहाँ फहराएगा तिरंगा….. छत्तीसगढ़ :-हाथियों को छत्तीसगढ़ के कोरबा रायगढ़ जशपुर सरगुजा सूरजपुर बालोद, महासमुंद समेत का कई जिलों का जंगल भा रहा है. यहाँ के जंगल हाथियों का रहवास बन गये है. यहां अलग-अलग हाथियों के दल विचरण करते रहते हैं. जहां हाथी और मानव का द्वंद लगातार जारी है जिसे रोकना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. छत्तीसगढ़ के जिलों के समृद्ध जंगल हाथियों को बेहद पसंद आ रहा है. कुछ समय पहले तक हाथी समूह जशपुर सरगुजा कोरबा रायगढ़ वन मंडल के इलाकों में प्रवास करते थे और पड़ोसी राज्यों झारखण्ड ओड़िशा से आकर वापस लौट जाते थे, लेकिन अब यही हाथियों के लिए एक तरह का स्थाई निवास बन गया है. लेमरू हाथी रिजर्व और हसदेव अरण्य क्षेत्र में आने वाले घने और बड़े जंगल हाथियों को भा रहे हैं. पड़ोसी राज्यों में जंगल का सिमटता दायरा खनिज पदार्थ का तेजी से उत्तखन्न, बड़े उद्योगो के कारण लगतार दो दशकों से पलायन हुआ है. इन हाथियों के समूहों ने अलग अलग जंगल में अपना स्थाई बसेरा बना लिया है अब वे छत्तीसगढ़ के वासी हो गए है और जंगलों के निवासियों के द्वन्द हो रहा है अब हाथियों की संख्या इतनी अधिक तादाद में हो गईं है कि इन्हें संभालने के साथ ही हाथी मानव द्वंद रोकना भी अब वन विभाग लिए एक बड़ी चुनौती है. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में भी हाथी लगातार मौजूद है यहां के घने जंगल हैं. जहां हाथियों को अधिक मात्रा में खाना और पानी मिल जाता है. इसके कारण हाथी यहां स्थाई तौर पर निवास कर रहे हैं. इन क्षेत्रों के ग्रामीणों को भी लगातार सतर्क किया जा रहा है. लोगों को जंगल के आसपास जाने हैं और ऐसी कोई भी परिस्थिति से बचने की हिदायत दी जाती है, जिससे कि हाथी मानव द्वंद की गुंजाइश हो. विष्णु का सुशासन,सिर्फ आधार कार्ड लेकर आइये और निशुल्क डायलिसीस कराइये हाथियों के मौजूदगी जंगल के समृद्ध होने का प्रमाण है. यह एक शुभ संकेत माना जाता है. हाथी एक अंब्रेला स्पीशीज होता है. वह जहां जाता है, जंगल का दायरा बढ़ता है. लेकिन उन्हें संभालना भी किसी चुनौती की तरह है. जनहानि या किसी भी तरह का नुकसान होने पर मुआवजा प्रकरण तैयार करते हैं, लेकिन लोगों को भी चाहिए कि वह हाथियों को किसी तरह का नुकसान न पहुंचाए. उन्हें परेशान ना करें, हाथी बेहद बुद्धिमान जानवर होते हैं और वह भूलते नहीं. अगर उन्हें नुकसान पहुंचाया जाएगा तो वह भी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं. हमारा प्रयास है कि लोगों को जागरूक किया जाए और हाथियों के लिए उपयुक्त वातावरण का निर्माण किया जाए. - संकुल समन्वयक सहित की दो शिक्षिकाएं निलंबित,बिल्हा बीईओ, बीआरसी और मटियारी स्कूल के प्राचार्य को नोटिस,मटियारी स्कूल के प्रधान पाठक सहित 5 शिक्षकों को वहां से हटाने के निर्देश लोगों को हाथियों के साथ रहना सिखाना होगा: वन विभाग के लिए हाथी प्रबंधन का काम करने वाले एलीफेंट एक्सपर्ट बताते है, कि "छत्तीसगढ़ के लिए हाथी नया नहीँ है. इतिहास में 1930 तक उत्तर छत्तीसगढ़ में हाथियों का उल्लेख मिलता है, लेकिन इसके बाद हाथी यहां से चले गए थे. इसके बाद साल 1986 में हाथी आए और साल 2000 के बाद से छत्तीसगढ़ में हाथियों की लगातार मौजूदगी बनी हुई है. पूरे छत्तीसगढ़ में लगभग 250 से 300 के बीच हाथियों की संख्या है. हाथी एक बार में एक ही बच्चे को जन्म देते हैं. दूसरे बच्चे का जन्म 5 साल बाद ही होता है, इसलिए इनकी संख्या बहुत तेजी से नहीं बढ़ती. हाथियों की संख्या फिलहाल छत्तीसगढ़ में स्थिर बनी हुई है." युक्तियुक्तकरण नीति के दिशा निर्देशों से शिक्षा के गुणवत्ता पर विपरीत असर होगा-फेडरेशन यहाँ के ग्रामीण हाथी के साथ एडजस्ट नहीं कर पा रहे. इसलिए लोगों को सिखाना होगा कि हाथियों के साथ कैसे रहना है. हाथी बेहद बुद्धिमान जानवर होता है. चिंपांजी को मानव का सबसे करीबी जीव माना जाता है. जिसका 98% डीएनए मानव से मेल खाता है. हाथी की तुलना चिंपांजी से की जाती है. वह बेहद शांत स्वभाव के होते हैं और किसी भी चीज को भूलते नहीं. विश्व में अब केवल हाथियों के दो ही प्रजातियां बची है. एक समय था जब हाथियों की डेढ़ सौ प्रजातियां थी. लेकिन अब केवल दो है. एशिया में जितने भी हाथी पाए जाते हैं. भारत उनका प्रतिनिधित्व करता है. एशिया के कुल हाथियों में से 60% भारत में हैं. इसलिए इनका संरक्षण भी बेहद जरूरी है. हाथी पर्यावरण के लिए बेहद उपयोगी जानवर है. इसलिए इनका संरक्षण जरूरी है. लोगों को हाथियों के साथ रहने के तरीकों को सिखाना होगा. -प्रभात दुबे, एलीफेंट एक्सपर्ट हाथियों से बचने के लिए कई बार ग्रामीण शॉर्टकट अपनाते हैं. वह अपने खेत में करंट लगा देते हैं, जिससे हाथियों की मौत हुई है. लगभग 8 हाथियों कि मौत करंट लगने से हो गई, कुछ हाथी बिजली विभाग का हाई टेंशन तार के संपर्क में आने से हाथी की मौत हुई थी. जबकि फसल और जनहानि के मामले भी सामने आए हैं. वनांचल में निवास करने वाले ग्रामीण वनोपज पर आश्रित रहते हैं. वह वनों की ओर जाते हैं और हाथी से उनका सामना होता है. तब जनहानि भी होती है. हालांकि वन विभाग का कहना है कि जानहानी और किसी भी तरह का नुकसान होने पर वह तत्काल मुआवजा प्रकरण तैयार करते हैं. पंजीयन विभाग के 3 सब रजिस्ट्रार निलंबित हाथियों ने अब तक सैकड़ो मकान तोड़ चुके है हजारों हेक्टेयर फसल रौंद दी है और लोगों की भी जान ली है जंगलों का कटाव, खदानों में अंधाधुंध ब्लास्ट और रिहायशी इलाकों का बेहिसाब बढ़ाव भी इनके दूसरे इलाकों में बढ़ने की वजह है छत्तीसगढ़. अब तक नक्सल समस्या से त्रस्त छत्तीगसढ़ की नई आफत से जूझ रहा है। यह आफत हैं हाथी। आफत इसलिए क्योंकि बेहद कम समय में इनका दायरा 5 जिलों से बढ़कर 10 जिलों तक बढ़ गया है। पांच साल में 300 से अधिक जान ले लिया है. पांच साल पहले तक हाथी सिर्फ कोरबा, कोरिया, रायगढ़, जशपुर व सरगुजा के कुछ वन क्षेत्रों तक सिमटे थे। अब ये महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद के साथ सरगुजा संभाग के बलरामपुर, सूरजपुर तक फैल चुके हैं। जंगलों में वनवासियों की बस्तियां, आसपास के गांव जरूर इनके निशाने पर रहते थे। अब हाथी महासमुंद, अंबिकापुर में कलेक्टोरेट तक पहुंच गए, रायपुर के सीमावर्ती गांव में महीनों से इनका दल उपद्रव कर रहा है। कोरबा की कॉलोनियों से अक्सर इनकाे खदेड़ना पड़ता है। विष्णु का सुशासन,सिर्फ आधार कार्ड लेकर आइये और निशुल्क डायलिसीस कराइये 90 के दशक में जशपुर और सरगुजा में आए फिर बन गया स्थायी ठिकाना मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरीडोर भी कहा जाता है। प्रमाण मिलते हैं कि यह इलाका सदियों से हाथियों के विचरण क्षेत्र का हिस्सा रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड के बेतला और ओड़िशा के सारांडा के जंगलो से जशपुर और सरगुजा की सीमा में घुसे, इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गए। इधर ओडिशा से भी इनका पलायन रायगढ़, महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद जिले में होता गया। छत्तीसगढ़ में एक साथ होंगे पंचायत और निकाय चुनाव, सरकार ने बनाई कमेटी हाथियों की समस्या से निपटने वन विभाग ने ढेरों उपाय किये। पहले हुल्ला पार्टी मशाल लेकर खदेड़ती थी। अब यह बंद है। गांवों में सोलर फेंसिंग कराई गई, वह भी गायब हो गई है। अब लोगों को हाथियों की लोकेशन की सूचना देने के साथ जंगल में नहीं जाने की मुनादी कराई जाती है। कुमकी हाथियों पर लाखों खर्चने के बाद अभियान महासमुंद और उत्तर छत्तीसगढ़, दोनों जगह फेल रहा। मधुमक्खी पालन, भोजन की व्यवस्था करने सहित अन्य उपाय भी बेकार साबित हुए हैं। लंबे समय बाद लेमरू रिजर्व का काम शुरू, अब इससे उम्मीद राज्य सरकार ने 4 वन मंडल कोरबा, कटघोरा, धरमजयगढ़ व सरगुजा के 1995 हेक्टेयर जंगल को शामिल कर लेमरू एलीफेंट रिजर्व बनाने की घोषणा की गईं है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने रिजर्व के भीतर ही 100 करोड़ का रेस्क्यू सेंटर बनाने की घोषणा की है। संभावना है कि रिजर्व बनने के बाद लोगों को कुछ राहत मिल सकती है। 2007 में केंद्र से मंजूरी मिलने के बावजूद यह योजना कभी अधिग्रहण तो कभी सर्वे जैसे कारणों से रुकी हुई थी। किया जाता है प्रचार-प्रसार वन विभाग की टीम भी हाथी और मानव के बीच द्वंद्व को रोकने हाथी प्रभावित गांवों में लगातार प्रचार-प्रसार करते हुए हाथी विचरण करने वाले जंगलों में ग्रामीणों को किसी भी हाल में जंगल तरफ नही जाने की समझाइश दी जाती रही है, ताकि किसी तरह की जनहानि की घटना घटित न हो। साथ ही साथ गांव-गांव में मुनादी कराकर हाथी से सावधानी बरतने की बात कही जाती है। दल से भटकता नहीं हाथी बताया जाता है कि नर हाथी दल से बिछड़ता नहीं है, बल्कि बरसात के समय उनका उत्पात अधिक हो जाने के चलते मादा हथनियां जो कि हाथियों के दल की प्रमुख होती हैं, उनके द्वारा ही उस नर हाथी को दल से खदेड़ दिया जाता है जो कि कुछ समय बाद पुनः अपने दल में वापस मिल जाता है। डाक विभाग ने की रक्षाबंधन पर विशेष व्यवस्था, बहनें अब आसानी से भेज सकेंगी राखी फसलों से प्रभावित होते हैं हाथी जानकार लोगों का कहना है कि हाथियों में सूंघने की शक्ति अधिक होती है। इस वजह से जंगलों में विचरण करने वाले हाथी अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में लगे फसलों केला, गन्ना, कटहल, धान से प्रभावित होकर गांव तक पहुंच जाते हैं और यहां उत्पात मचाकर वापस जंगलों में लौट जाते हैं। जंगल कम होने से हाथियों के हमले बढ़ रहे हैं हाथियों के क्षेत्र में मानव दखल बढ़ता जा रहा हैं। खदानें खुल रही हैं। जंगल कम हो रहे हैं। इससे हाथी गांवों में घुस रहे हैं। अब कई जगह हाथी और इंसान के बीच संघर्ष की स्थिति बन रही है। इस समस्या पर रोक लगाने के लिए हमें अधिक से अधिक संरक्षित वन क्षेत्र विकसित करना होगा। -अमलेंदु मिश्र, वन्यजीव विशेषज्ञ (हाथियों के विषय पर दो दशक से अधिक समय से काम कर रहे) पुलिस को चकमा देने की लिए XUV 500 महेंद्रा कार के सीट के नीचे चेंबर बनाकर कर रहे थे गांजा की तस्करी, 4 लाख के गांजे समेत 02 अन्तर्राज्जीय तस्कर पुलिस की गिरफ्त में रायपुर में होगा विश्व हाथी दिवस कार्यक्रम का आयोजन राजधानी रायपुर में 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस के अवसर पर हाथियों के संरक्षण एवं संवर्धन पर केंद्रित राष्ट्रीय स्तर के विश्व हाथी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम भारत सरकार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जाएगा। विश्व हाथी दिवस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव होंगे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय विशेष सम्मानित अतिथि तथा वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप विशिष्ट अतिथि के रूप में हिस्सा लेंगे। साथ ही कार्यक्रम में विभिन्न राज्य से वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगेl

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